अभी कुछ दिनों पहले केंद्र सरकार ने यूपीएससी के ट्रेनिज को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है जिससे कुछ सालों के बाद हमारे देश की दशा और दिशा बदलने वाली है। अब आप सोच रहे होंगे की लबासना में होने वाली ट्रेनिंग से देश की दशा दिशा कैसे बदल सकती है? तो ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है, बस इस वीडियो को पूरा देख लीजिये, आपको जवाब मिल जाएगा।


आज़ादी के 75 सालों में हम यह तो समझ गए हैं कि इस देश की प्रगति और उन्नति में civil servants की कितनी बड़ी भूमिका होती है। 75 वर्षों में देश ने उन्नति की तो है मगर यह भी सच है कि देश के हर भाग की उन्नति एक समान नहीं हुई है। इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है  हमारे देश के पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्य जिन्हें इंग्लिश में Himalayan states भी कहते हैं। भारत के पूर्वोत्तर राज्य आज भी देश की तरक्की के साथ कदम मिलाने के लिए मौके तलाश रहे हैं और यह मौका आया है केंद्र सरकार के हाल के निर्णय के साथ। दरअसल केंद्र की सरकार ने यह निर्णय किया है कि लबासना में फ़ाउंडेशन ट्रेनिंग के दौरान हर ट्रेनी को कम से कम सप्ताह किसी हिमालयन स्टेट के कम से कम एक गाँव में बिताने होंगे। इसके पीछे सरकार की मंशा है कि वे इन राज्यों को भविष्य के लोक सेवकों के और नजदीक ला सकें ताकि वे उनको ध्यान में रख कर नीति निर्माण और निर्धारण कर सकें। इसे वे उन गांवों में रहने वाले लोगो की समस्याओं को बेहतर समझ सकेंगे और उनके लिए एक बढ़िया प्रोग्राम तैयार कर सकेंगे। वे उन गांवों के resources और opportunities को identify कर उनके रोजगार की उत्तम व्यवस्था कर सकेंगे। इसके अलावा वे उन गांवों के लोगों तक सरकार की योजनाओं को भी पहुंचा सकेंगे ताकि उनका जीवन बेहतर बनाया जा सके।


इसके अलावा इस निर्णय का एक और पहलू भी है जो देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। दोस्तों, आप यह तो जानते ही होंगे कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य लंबे समय तक अलगाववाद और विद्रोह की समस्या से जूझता रहा है। इसका एक प्रमुख कारण है सरकार की योजनाओं और सुविधाओं को इन इलाकों तक पहुंचा पाने में सरकारों की विफलता। इसके अलावा हमारे पड़ोस के देशों से भी हमले का खतरा लगातार बना रहता है जिसकी पहली casualty इनहि राज्यों और गांवों के लोग बनते हैं।


दोस्तों, पहाड़ी इलाका होने के कारण इन राज्यों में जीवन वैसे ही मुश्किल होता है और ऐसे में यदि सरकार भी अपना मुंह फेर ले तो देश के दुश्मनों, असामाजिक तत्वों और विद्रोहियों के लिए भोले भले लोगों को अपने साथ मिलाना बहुत आसान हो जाता है। और लंबे समय तक इन राज्यों में यही होता रहा है। मगर अब सरकार ने यह फैसला किया है कि वह इन राज्यों के साथ अब तक हो रहे सौतेले व्यवहार को बंद करेगी और इन इलाकों को भी देश की तरक्की में शामिल करेगी  बल्कि उन्हें देश की तरक्की में एक महत्वपूर्ण player भी बनाएगी।


अब दूसरा सवाल यह उठता है कि आखिर ट्रेनिंग के दौरान civil servants को इन गांवों में रहना क्यों जरूरी है? तो दोस्तों, याद कीजिये कि सरदार पटेल ने civil servants को rashtr निर्माण का steel frame कहा था। अब steel frame को यदि मजबूत रखना है तो steel को बेहतर तो बनाना ही होगा। दरअसल अभी तक इन राज्यों को लेकर सरकार hands off approach की policy के साथ कम कर रही थी। यानि इन इलाकों में ज्यादा हस्तक्षेप ना करो, उन्हें अपने तरीके से बढ़ने दो। लेकिन आज़ादी के 75 सालों के बाद यह महसूस हुआ कि जब तक इन इलाकों में रहने वाले लोगों के बीच में रह कर उनके लिए काम नहीं किया जाएगा तब तक समस्याएँ कम नहीं होंगी। और इसका एक बहुत बड़ा कारण मोदी सरकार की look east policy भी है। आपको याद होगा कि अपने पहले कार्यकाल से ही नरेंद्र मोदी ने पूर्व के देशों के साथ संपर्क को बेहतर बनाने पर ज़ोर दिया है और उनके इस उद्देश्य को पूरा करने में ये राज्य बहुत बड़ी भूमिका निभा सके हैं।