आज की तारीख है 23 जनवरी बात 1945 की है जापान दूसरा विश्व युद्ध हार चुका था | अंग्रेजी पुलिस एक व्यक्ति की तलाश कर रही थी | इसे देखते हुए उस व्यक्ति ने रूस से मदद मांगने का मन बनाया | 18 अगस्त 1945 को उसने मंचूरिया की तरफ उड़ान भरी | इसके बाद वह किसी को फिर वो दिखाई नहीं दिए | 5 दिन बाद टोक्यो रेडियो ने जानकारी दी कि जिस विमान से वह युवक जा रहा था | वो ताइहोकू हवाई अड्डे के पास क्रैश हो गया . इस हादसे में वह बुरी तरह से जल गया | ताइहोकू सैनिक अस्पताल में उनका निधन हो गया | उनके साथ सवार बाकी लोग भी मारे गए| यहा युवक और कोई नहीं आजाद हिंद फौज के नेता 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस' थे |
एक रसूखदार वकील जानकीनाथ और प्रभावती बोस के घर सुभाष का आज ही के दिन यानि 23 जनवरी को जन्म हुआ | सुभाष अपने माता-पिता के 14 बच्चों में नौवीं संतान थे | पढ़ाई में होशियार सुभाष जल्द ही स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रभावित हो गए | मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करके वह कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज पहुंचे यहां भारत विरोधी बयान देने वाले प्रोफेसर ओटेन से भिड़ गए | टकराव बढ़ा तो वहां से निकलकर कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्कॉटिश चर्च कॉलेज में दाखिला ले लिया | जिसके बाद 1918 में दर्शनशास्त्र में ग्रेजुएशन किया | अपने पिता को दिया वादा पूरा करने के लिए सुभाष सिविल अफसर बनने लंदन पहुंच गए| एग्जाम पास किया और आईसीएस में चौथी रैंक हासिल की | असहयोग आंदोलन से प्रभावित सुभाष चंद्र बोस ने 1921 में सिविल सेवा से इस्तीफा दे दिया | जिसके बाद वह भारत लौटे |
भारत लौटते ही नेता जी स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद गए, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की शुरुआत में नेता जी कलकत्ता में कांग्रेस पार्टी के नेता रहे चितरंजन दास के नेतृत्व में काम करते थे | नेता जी चितरंजन दास को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे| 1922 में चितरंजन दास ने मोतीलाल नेहरु के साथ कांग्रेस को छोड़ अपनी अलग पार्टी स्वराज पार्टी बना ली थी| जब चितरंजन दास अपनी पार्टी के साथ मिल रणनीति बना रहे थे, नेता जी ने उस बीच कलकत्ता के नौजवान, छात्र-छात्राओं और मजदूरों के बीच अपनी खास जगह बना ली थी| वे जल्द से जल्द पराधीन भारत को स्वाधीन भारत के रूप में देखना चाहते थे|
अब लोग सुभाषचंद्र जी को नाम से जानने लगे थे, उनके काम की चर्चा चारों और फ़ैल रही थी| नेता जी एक नौजवान सोच लेकर आये थे, जिससे वो यूथ लीडर के रूप में चर्चित हो रहे थे | 1928 में गुवाहाटी में कांग्रेस की एक बैठक के दौरान नए और पुराने सदस्यों के बीच बातों को लेकर मतभेद उत्पन्न हुआ नए युवा नेता किसी भी नियम पर नहीं चलना चाहते थे, वे स्वयं के हिसाब से चलना चाहते थे, लेकिन पुराने नेता ब्रिटिश सरकार के बनाये नियम के साथ आगे बढ़ना चाहते थे| सुभाषचंद्र और गाँधी जी के विचार बिल्कुल अलग थे. नेता जी गाँधी जी की अहिंसावादी विचारधारा से सहमत नहीं थे, उनकी सोच नौजवान वाली थी, जो केवल अहिंसा में विश्वास नहीं रखते थे | दोनों की विचारधारा अलग थी लेकिन मकसद एक था, दोनों ही भारत देश की आजादी जल्द से जल्द चाहते थे | 1939 में नेता जी राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के पद के लिए खड़े हुए, इनके खिलाफ गांधीजी ने पट्टाभि सीतारामैया को खड़ा किया , जिन्हें नेता जी ने हरा दिया | गांधीजी को ये अपनी हार लगी थी जिससे वे दुखी हुए थे, नेता जी ने ये बात जान कर अपने पद से इस्तीफा दे दिया | विचारों का मेल ना होने की वजह से नेता जी लोगों की नजर में गाँधी विरोधी होते जा रहे थे, जिसके बाद उन्होंने खुद ही कांग्रेस छोड़ दी |
1939 में द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था, तब नेता जी ने वहां अपना रुख किया, वे पूरी दुनिया से मदद लेना चाहते थे, ताकि अंग्रेजो के ऊपर से दबाब पड़े और वे देश छोडकर चले जाएँ | इस बात का उन्हें बहुत अच्छा असर देखने को मिला, जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया | जेल में लगभग 2 हफ्तों तक उन्होंने ना खाना खाया ना पानी पिया| उनकी बिगड़ती हालत को देख देश में नौजवान उग्र होने लगे और उनकी रिहाई की मांग करने लगे | तब सरकार ने उन्हें कलकत्ता में नजरबन्द कर रखा इस दौरान 1941 में नेता जी अपने भतीजे शिशिर की मदद के वहां से भाग निकले सबसे पहले वे बिहार के गोमाह गए, वहां से वे पेशावर जा पहुंचे इसके बाद वे सोवियत संघ होते हुए, जर्मनी पहुँच गए, जहाँ वे वहां के शासक एडोल्फ हिटलर से मिले |
राजनीति में आने से पहले नेता जी दुनिया के बहुत से हिस्सों में घूम चुके थे, देश दुनिया की उन्हें अच्छी समझ थी, उन्हें पता था हिटलर और पूरा जर्मनी का दुश्मन इंग्लैंड था, ब्रिटिशों से बदला लेने के लिए उन्हें ये कूटनीति सही लगी और उन्हें दुश्मन के दुश्मन को दोस्त बनाना उचित लगा इसी दौरान उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की एमिली से शादी कर ली थी, जिसके साथ वह बर्लिन में रहते थे, उनकी एक बेटी भी हुई अनीता बोस
1943 में नेता जी जर्मनी छोड़ साउथ-ईस्ट एशिया मतलब जापान जा पहुंचे यहाँ वे मोहन सिंह से मिले, जो उस समय आजाद हिन्द फ़ौज के मुख्य थे| नेता जी मोहन सिंह और रास बिहारी बोस के साथ मिल कर ‘आजाद हिन्द फ़ौज’ का पुनर्गठन किया इसके साथ ही नेता जी ‘आजाद हिन्द सरकार’ पार्टी भी बनाई 1944 में नेता जी ने अपनी आजाद हिन्द फ़ौज को ‘ तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ नारा दिया. जो देश भर में नई क्रांति लेकर आया | नेता जी इंग्लैंड गए जहाँ वे ब्रिटिश लेबर पार्टी के अध्यक्ष व राजनीति मुखिया लोगों से मिले जाना उन्होंने भारत की आजादी और उसके भविष्य के बारे में बातचीत की ब्रिटिशों को उन्होंने बहुत हद तक भारत छोड़ने के लिए मना भी लिया था|
1945 में जापान जाते समय नेता जी का विमान ताईवान में क्रेश हो गया, लेकिन उनकी बॉडी नहीं मिली थी, कुछ समय बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था | भारत सरकार ने इस दुर्घटना पर बहुत सी जांच कमिटी भी बैठाई, लेकिन आज भी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है | मई 1956 में शाह नवाज कमिटी नेता जी की मौत की गुथी सुलझाने जापान गई, लेकिन ताईवान ने कोई खास राजनीती रिश्ता ना होने से उनकी सरकार ने मदद नहीं की 2006 में मुखर्जी कमीशन ने संसद में बोला, कि ‘नेता जी की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी, और उनकी अस्थियाँ जो रेंकोजी मंदिर में रखी हुई है, वो उनकी नहीं है.’ लेकिन इस बात को भारत सरकार ने ख़ारिज कर दिया आज भी इस बात पर जांच और विवाद चल रहा है|
दोस्तों आइए अब आखिर में जानते है देश और दुनिया की आज की तारीख यानि 21 जनवरी की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में :
1664: शिवाजी के पिता शाहूजी का निधन हुआ था।
1920: वायु परिवहन और वायु डाक सेवा की शुरुआत की गई थी।
1926: शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे का जन्म हुआ।
1973: अमेरिका के प्रेसीडेंट निक्सन ने वियतनाम शांति समझौते की घोषणा की। ये अमेरिका की तरफ से लड़ा गया सबसे लंबा युद्ध था। युद्ध विराम 27 जनवरी से लागू हुआ था।
1976: गौतम बुद्ध के लापता शहर कपिल वस्तु को खुदाई के बाद ढूंढा गया था। 1989: तजाकिस्तान में भूकंप में सैकड़ों लोगों की जान गई।
1977: इंदिरा गांधी के नेतृत्व के खिलाफ कई राजनीतिक दलों ने मिलकर जनता पार्टी की स्थापना की।
1997: मेडलीन अल्ब्राइट राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की सरकार में विदेश मंत्री बनीं। वे अमेरिका की पहली महिला विदेश मंत्री थीं।
2002: अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल को पाकिस्तान के कराची में किडनैप कर उनकी हत्या कर दी गई।
2009: फिल्मों और टीवी प्रोग्राम पर धूम्रपान के दृश्यों पर प्रतिबंध लगाया गया।