दोस्तों, इस बात में तो कोई शक ही नहीं है कि हमारे देश के अधिकांश युवाओं में career की पहली पसंद आईएएस है और इसका सबसे बड़ा कारण है एक आईएएस की जिंदगी। अक्सर एक आईएएस को देख कर, उसके lifestyle को देख कर स्कूल और कॉलेज की स्टूडेंट्स भी उसी की तरह बनने के लिए प्रेरित होते हैं। ऐसे में aspirants के मन में एक आईएएस की जिंदगी को लेकर कौतूहल होना स्वाभाविक है। आपके इसी कौतूहल को ध्यान में रख कर आज के इस वीडियो में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आईएएस बनने के बाद आपकी जिंदगी कैसी होने वाली है?


IAS बनने के बाद कैसी होती है ज़िन्दगी ?


यूपीएससी की परीक्षा क्लियर करने के बाद एक mandatory ट्रेनिंग होती है जिससे सभी candidates को गुजरना पड़ता हाई। हमने इन trainings के बारे में आपको अपनी videos के बारे में विस्तार से बताया है इसीलिए आज हम सीधे उसके बाद वाले पार्ट से शुरू करते हैं।


एक बार जब IAS अधिकारी अपना प्रशिक्षण पूरा कर लेते हैं, तो उनका शेड्यूल उनके आवंटित पद के आधार पर अलग-अलग हो जाता है। एक आईएएस अधिकारी के लिए फील्ड में एक सामान्य दिन की शुरुआत सुबह 9 बजे से होती है। इसमें दैनिक प्रगति रिपोर्ट पढ़ना, सरकारी विभागों या जिले का सर्वेक्षण करना, विकास कार्यों और बैठकों के कार्यान्वयन की समीक्षा करना शामिल होगा। गतिविधियां पूरे दिन तक चल सकती हैं और आमतौर पर लगभग 9 बजे समाप्त होती हैं।


एक आईएएस अधिकारी के जीवन को विस्तार से समझने के लिए सबसे पहली उसकी भूमिका को समझना जरूरी है –

  1. नीति निर्माण, कार्यान्वयन और समीक्षा सहित सरकारी मामलों को संभालना 
  2. विभिन्न विभागों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ परामर्श 
  3. विभिन्न योजनाओं के लिए आवंटित सार्वजनिक धन का प्रबंधन 
  4. विभिन्न सरकारी योजनाओं और नीतियों के कार्यान्वयन का पर्यवेक्षण करना 
  5. प्राकृतिक आपदाओं, बड़ी दुर्घटनाओं और दंगों जैसी आपात स्थितियों के जवाब में राहत कार्यों का जवाब देना और समन्वय करना

एक आईएएस अधिकारी बनने के बाद व्यक्ति को कई जिम्मेदारियों का पालन करना पड़ता है। उन्हें आवंटित जिले में सरकारी योजनाओं, नई परियोजनाओं और प्रस्तावों सहित कार्य के उचित निष्पादन और पर्यवेक्षण के लिए विभिन्न विभागों के संपर्क में रहने और बाढ़, भूकंप, दुर्घटना आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटना पड़ता है। एक IAS अधिकारी के कर्तव्य इस प्रकार हैं -


• जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखना 

• प्रशासनिक कार्य 

• दस्तावेज़ीकरण, जिसमें पॉलिसी दस्तावेज़ों की सटीकता की समीक्षा और जाँच शामिल है
 
• उसके अधीन कर्मचारियों का प्रबंधन


आईएएस ऑफिसर के रोल यानी भूमिका उन्हें दिए जाने वाले असाइनमेंट यानी फील्ड, पीएसयू और सेंट्रल सेक्रेटेरियट पर निर्भर करता है।


1. फील्ड असाइनमेंट- एक आईएएस ऑफिसर की ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्टिंग आमतौर पर एक फील्ड असाइनमेंट होता है। विभिन्न स्तरों पर वे अनेक चुनौतियों के साथ काम करते हैं। एक एसडीएम के रूप में, कानून और व्यवस्था का रखरखाव, सब डिविजन के भीतर विकास और प्रशासनिक गतिविधियों की देखरेख करना भी आईएएस ऑफिसर के रोल के रूप में पहला स्थान रखता है। एक डीएम, कलेक्टर व डिप्टी कमिश्नर के रूप में, जिला स्तर पर एक एसडीएम के समान कार्य करते हैं और उनकी भूमिका में एसडीएम की निगरानी भी करते हैं। 


2. पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग - कई अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर पीएसयू कैडर में तैनात हो जाते हैं और विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों जैसे बिजली स्टेशनों, औद्योगिक इकाइयों आदि के उच्च प्रबंधन का हिस्सा बन जाते हैं। 


3. सेंट्रल सेकरेटेरियट असाइंमेंट - केंद्र सरकार के स्तर पर सचिव स्तर की पोस्टिंग विभिन्न मंत्रालयों के लिए नीति समीक्षा, निर्माण और कार्यान्वयन से संबंधित है।


एक आईएएस अधिकारी का जीवन चुनौतीपूर्ण और संतोषजनक दोनों होता है। उसके निर्णय पर समाज का भविष्य जुड़ा होता है और  यही बात उसे औरों से अलग बनाती है। लबासना से शुरू होने वाली जिंदगी समाज के बीच में रहते हुए समाज को आगे ले जाने की प्रक्रिया के साथ निरंतर चलती रहती है। यह सच है कि अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए संविधान ने उन्हें कई शक्तियाँ दी हैं लेकिन दूसरा सच यह भी है कि उन शक्तियों को प्रयोग करने का मौका उन्हीं लोगों को मिलता है जो चुनौतियों का सामना करने से नहीं डरते और हमेशा समाज की भलाई के लिए कार्यरत रहते हैं।