आज की तारीख है 25 जनवरी, बात है साल 1916 की  जब एक युवक इंटरमीडिएट की परीक्षा देने मुंबई जा रहा था  उस युवक ने रास्ते में अपने स्कूल और कॉलेज के सभी सर्टिफिकेट जला दिए | जिसके बाद उसने गांधी जी को एक पत्र लिखा और उनसे संपर्क किया | उस 20 साल के युवक के पत्र से गांधीजी काफी प्रभावित हुए और उसको अहमदाबाद स्थित अपने कोचराब आश्रम में आने का आमंत्रण दिया | 7 जून, 1916 को वह युवक ने गांधी जी से भेंट की और आश्रम में रहने लगा | उस युवक ने आश्रम की सभी तरह की गतिविधियों में हिस्सा लिया और साधारण जीवन जीने लगा | इस तरह उसने अपना जीवन गांधी के विभिन्न कार्यक्रमों को समर्पित कर दिया | वह युवक और कोई नहीं आचार्य विनोबा भावे थे ,जिन्होंने गांधीजी  की विरासत को आगे ले जाने का काम किया | वे स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ साथ एक प्रसिद्ध गांधीवादी समाज सुधारक नेता भी थे | उन्हें महाराष्ट्र के भूदान आंदोलन से पूरी दुनिया में बड़ी पहचान मिली थी |


आचार्य विनोबा भावे का जन्म 11 सितंबर, 1895(पंचानबे) को महाराष्ट्र के कोलाबा जिले के एक गांव में हुआ था | उनका नाम विनायक नरहरि भावे था | भावे के पिता का नाम नरहरि शम्भू राव और माता का नाम रुक्मिणी देवी था | उनके तीन भाई और एक बहन थीं | उनकी माता रुक्मिणी काफी धार्मिक स्वाभाव वाली महिला थीं | अध्यात्म के रास्ते पर चलने की प्रेरणा भावे को उनकी मां से ही मिली | छात्र जीवन में विनोबा को गणित में काफी रुचि थी | काफी कम उम्र में ही भगवद गीता के अध्ययन के बाद उनके अंदर अध्यात्म की ओर रुझान पैदा हुआ |


वैसे विनोबा भावे मेधावी छात्र थे लेकिन परंपरागत शिक्षा में उनको काफी आकर्षण नहीं दिखा | लेकिन उनके पिता चाहते थे की वह खुब पढ़े | जिस वजह से हाई स्कूल में पहुंचने पर जब पिता ने फ्रेंच सीखने पर जोर दिया तो विनोबा की मां ने उन्हें संस्कृत पढ़ने पर जोर दिया | विनोबा ने हाईस्कूल में फ्रेच को चुना तो घर में संस्कृत भी सीखने लगे | वे पुस्तकालय में दुर्लभ पुस्तकों को पढ़ने जाते रहे, फ्रेंस साहित्य के साथ उन्होंने वेदों उपनिषदों को भी खूब पढ़ा | लेकिन वैराग्य के प्रति उनका मोह नहीं छूटा | हाई स्कूल में इंटर की परीक्षा के लिए वे मुंबई जाने वाली रेलगाड़ी में तो बैठे  लेकिन मन की सुनने के बाद वे बीच में ही दूसरी गाड़ी में बैठ कर आधात्मिक यात्रा पर हिमालय के लिए निकल पड़े | अपने ज्ञान की तलाश में विनोबा बहुत भटके  लेकिन काशी में वे लंबे समय तक रहे | वहीं समाचार पत्रों में गांधीजी के बारे में पढ़कर उन्हें लगा कि गांधी जी उनके लिए मार्गदर्शक हो सकते हैं | उस समय गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से लौटे ही थे | उन्होंने गांधी जी को पत्र लिखा जिसके जवाब में उन्हें आमंत्रण मिला और वे तुरंत अहमदाबाद रवाना हो गए |


विनोबा भावे और महात्मा गांधी जी पहली मुलाकात में ही एक दूसरे के मुरीद हो गए | विनोबा ने इस भेंट के बारे में कहा था कि काशी में उनकी इच्छा हिमालय पर जाकर तप करने की थी | वे इसके साथ ही बंगाल के क्रांतिकारियों से भी मिलना चाहते थे | लेकिन समय उन्हें गांधी जी तक ले गया | गांधीजी से मिलने पर उन्हें लगा कि उनकी दोनों इच्छाएं पूरी हो गईं | गांधी जी ने इस मुलाकात पर कहा कि लोग उनके पास कुछ लेने आते हैं | लेकिन उन्हें विनोबा पहले व्यक्ति लगे जो कुछ देने आए थे | इसके बाद विनोबा ने खुद को गांधी जी के आश्रम के लिए समर्पित कर दिया | जब गांधी जी को लगा कि वे अहमदाबाद या कहीं भी कितना भी बड़ा आश्रम बना लें | देश भर में अहिंसक सैनिक तैयार ना हो सकेंगे | इसलिए उन्होंने विनोबा को वर्धा भेजा | जहां उनकी महाराष्ट्र धर्म नाम से मराठी में प्रकाशित होने वाली पत्रिका बहुत लोकप्रिय हुई |


आजादी तक विनोबा भावे आचार्य और संत के रूप में पहचाने जाने लगे थे | गांधी जी के निधन के बाद उन्होंने गांधी जी की विरासत को कायम रखा, लेकिन वे अपने स्वभाव के मुताबिक इसे आध्यात्मिक तौर से ही आगे बढ़ाते रहे | साल 1951 में महाराष्ट्र में भूदान आंदोलन ने उन्हें दुनिया भर में मशहूर कर दिया | इस आंदोलन का उद्देश्य भूसुधार और भूमिहीनों को भूमि का आवंटन कराना था | इस आंदोलन के तहत 18 अप्रैल 1951 को आंध्रप्रदेश के पोचमपल्ली में दानस्वरूप प्रधम ग्राम प्राप्त हुआ और यही से इस आंदोलन का शुभारम्भ हुआ |


यह स्वैच्छिक सुधार आंदोलन था जिसमें रचनात्मक कार्यों और विचारों को प्रयोग कर सामाजिक स्तर पर बदलाव के प्रयास किए गए | गांधी जी के करीबी रहने के बाद भी विनोबा कभी राजनैतिक व्यक्ति नहीं रहे | उन्होंने सर्वोदय समाज की स्थापना की आजादी के  बाद का अपने जीवन का बाकी हिस्सा विनोबा ने वर्धा के ब्रह्म विद्या मंदिर आश्रम में गुजारा | वहीं 15 नवंबर 1982(बयासी) में उन्होंने अन्न जल त्याग कर समाधि मरण को अपना लिया |


विनोबा ने एक बार कहा था, 'सभी क्रांतियाँ स्रोत पर आध्यात्मिक हैं। मेरी सभी गतिविधियों का एकमात्र उद्देश्य दिलों का मिलन है।' विनोबा 1958 में सामुदायिक नेतृत्व के लिए अंतर्राष्ट्रीय रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता थे | उन्हें आज ही के दिन यानि 25 जनवरी साल1983(तिरासी) में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था |


▶दोस्तों आइए अब आखिर में जानते है देश और दुनिया की आज की तारीख यानि 21 जनवरी की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में :-

1971 : हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। 

1971: युगांडा की सशस्त्र सेना के प्रमुख इदी अमीन ने सैन्य तख्तापलट के जरिए राष्ट्रपति मिल्टन ओबोट से सत्ता छीनी। 

1980 : नागरिक सम्मान भारत रत्न, पद्म विभूषण आदि प्रदान करने का सिलसिला फिर से शुरू किया गया। सम्मान प्रदान करने का चलन आठ अगस्त 

1977 : को रोक दिया गया था। 

1980 : मदर टेरेसा को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 

1983 : विनोबा भावे को मरणोपरांत भारत रत्न प्रदान किया गया। 

1990 : कोलंबिया का बोइंग 707 जेटलाइनर विमान न्यूयार्क में कोव नेक में एक पहाड़ी से टकराया। इस घटना में 88 लोग बच गये। बाद में पता चला कि हादसे के समय विमान के चारों इंजन बंद हो चुके थे और उसमें ईंधन लगभग खत्म था। 

1999 : कोलंबिया में शक्तिशाली भूकंप में 300 लोगों की मौत और एक हजार घायल। 

1999 : अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के छह अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद निष्कासित कर दिया गया। 

2002 : भारत ने मध्यम दूरी तक मार करने वाले परमाणु क्षमता से लैस ‘प्रक्षेपास्त्र’ का परीक्षण किया। 

2005 : महाराष्ट्र के सतारा जिले में एक पहाड़ी पर स्थित देवी के मंदिर में भगदड़ मचने से 300 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत। 

2009 : श्रीलंका सेना ने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम से उसका आखिरी गढ़ मल्लाइतिवु छीना। 

2010 : इराक की राजधानी बगदाद में तीन होटलों में बम फटने से 36 लोगों की मौत।


▶ आचार्य विनोबा भावे की सबसे प्रसिद्ध पुस्तकें :-