यूपीएससी की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स के बीच डॉ तनु जैन का नाम अंजाना नहीं है। हर aspirant उनकी जीवनी से भली भांति परिचित भी है और guidance के लिए उनके videos भी देखता है। वे दृष्टि आईएएस नाम के coaching संस्थान में mock interviews लेती हैं और students को आँकने और उनकी कमियों को समझाने और उसे दूर करने के तरीके बताने का निराला अंदाज़ स्टूडेंट्स को बहुत पसंद आता है। लेकिन उनकी कहानी सिर्फ इतनी नहीं है कि वे एक आईएएस अधिकारी हैं, बल्कि उनकी कहानी aspirants को यूपीएससी की हर मुश्किल का डट कर सामना करने के लिए भी प्रेरित करती है। और इसीलिए आज के विडियो में हम तनु मैम के सफलता के मंत्र आपके साथ share करेंगे। 

डॉ तनु जैन एक व्यवसायिक परिवार से आती हैं, और इस वजह से उसे बचपन से ही प्रतियोगिता और पेशेवर माहौल नहीं मिला, जो यूपीएससी ( UPSC ) जैसी कठिन परीक्षाओं को पास करने के लिए आवश्यक होती है। उनके मुताबिक जब उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की तो यह उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी। उन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कैंब्रिज स्कूल श्रीनिवासपुरी से प्राप्त की। जहां उन्हें 12वीं के परीक्षा में 94% अंक मिले थे। उसी समय मेडिकल जांच के दौरान उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया और वह बुरी तरह घायल हो गए। इसके वजह से उनके पिता को 2 साल बिस्तर पर बिताने पड़े। पिता के घायल होने के बाद डॉ जैन को लग रहा था कि वह कुछ नहीं कर पाएगी। लेकिन उन्हें मेडिकल की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित कर उनके पिता ने बेटी को पूरा साथ दिया। जिसके बाद उन्होंने मेरठ के सुभारती मेडिकल से Bachelor of Dental Surgery की डिग्री हासिल की। डॉक्टर बनने के बाद भी तनु जैन अपने काम से खुश नहीं थी। इसी दौरान उन्हें पता चला कि, यूपीएससी परीक्षा भी होती है पास करने के बाद आईएएस अधिकारी या आईपीएस अधिकारी बना जा सकता है और लोगों के साथ साथ देश का भी सेवा की जा सकती है। उसके बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा के लिए तैयारी करने लगी और दो बार असफल होने के बाबूजी भी तीसरे प्रयास की और 2014 में पूरे भारत में 648 रैंक के साथ पास होकर आईएएस अधिकारी बन गई।

दोस्तों, यह तो उनकी कहानी थी लेकिन उनकी कहानी में कई संदेश छिपे हैं जो हमें समझने की जरूरत है। सबसे पहला तो यह कि यूपीएससी के लिए कोई guidance ना होने के बावजूद भी उन्होने एक अंजान डगर पर चलने में कोताही नहीं की। इससे यह पता चलता है कि अपने कम्फर्ट zone में रह कर आप बहुत ज्यादा हासिल नहीं कर सकते हैं। यदि आप जीवन में अलग मुकाम बनाना चाहते हैं तो आपको comfort zone से बाहर आना ही पड़ेगा।

दोस्तों, यह तो उनकी कहानी थी लेकिन उनकी कहानी में कई संदेश छिपे हैं जो हमें समझने की जरूरत है। सबसे पहला तो यह कि यूपीएससी के लिए कोई guidance ना होने के बावजूद भी उन्होने एक अंजान डगर पर चलने में कोताही नहीं की। इससे यह पता चलता है कि अपने कम्फर्ट zone में रह कर आप बहुत ज्यादा हासिल नहीं कर सकते हैं। यदि आप जीवन में अलग मुकाम बनाना चाहते हैं तो आपको comfort zone से बाहर आना ही पड़ेगा।

डॉ तनु जैन को सफलता अपने तीसरे प्रयास में मिली थी। उन्होंने पहले प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन मुख्य परीक्षा पास नहीं कर पाई। फिर दूसरी प्रयास में प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा दोनों उत्तीर्ण की और साक्षात्कार में पहुंचे, लेकिन उन्होंने साक्षात्कार में अधिक अंक हासिल नहीं कर पाई। और आखिरी प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की कठिन परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ही ली। इससे यह संदेश मिलता है कि असफलताओं से घबरा कर अपने सपने का गला नहीं घोंटना चाहिए क्योंकि यदि कोई पूरी ईमानदारी से मेहनत करेगा तो एक न एक दिन उसे सफलता जरूर मिलेगी। 

इन सबके अलावा, डॉ जैन लड़कियों को विशेष सलाह देती हैं कि यूपीएससी की तैयारी से पहले खुद को financially independent बनाने की कोशिश करें। उनका मानना है कि जब आप अपने पैसे खुद कमाते हैं तो आप अपने decisions भी खुद लेने के लिए सक्षम हो जाते हैं और जब आप अपने फैसले खुद लेने लगते हैं तब आप किसी भी pressure में काम करने को बाध्य नहीं होते। 

डॉ जैन aspirants के साथ साथ पैरेंट्स को भी सलाह देती हैं कि वे अपने बच्चों पर भरोसा रखें और समाज और रिशतेदारों को उनके ऊपर हावी ना होने दें। उनका मानना है कि यदि पूरा परिवार एकजुट होकर अपने बच्चों के सपनों को प्रोत्साहित करता है तो बच्चों को खुले आसमान में विचरण करने की छूट मिलती है और उनके अरमानों की उड़ान दिन प्रतिदिन ऊंची होती रहती है।