यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास करने की जब बात आती है, तो कैंडिडेट्स अक्सर कई तरह के सवाल उठाते हैं और कई विषयों को लेकर चिंतित दिखते हैं | जैसे उनका बैकग्राउंड हंबल है, उनका एजुकेशनल रिकॉर्ड ठीक नहीं, उनके पढ़ाई का माध्यम हिंदी है और ऐसे ही कई सारे सवाल उनके मन में आते हैं | लेकिन इस सभी सवालों का जवाब है रवि कुमार सिहाग | जिन्होंने एक बहुत ही साधारण किसान परिवार से और हिंदी मीडियम का स्टूडेंट होने के बावजूद अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास की लेकिन उनको उनके पसंद की रैंक और पोस्ट नहीं मिली
जिसके बाद रवि ने 2 बार फिर से इस परीक्षा को देने का फैसला किया और आखिरकार अपने तीसरे प्रयास में उनहोंने हिंदी माध्यम से टॉप किया और IAS बन गए | रवि को देखकर साफ पता चलता है कि एक एवरेज स्टूडेंट जिसकी स्कूलिंग बहुत ही साधारण जगह से हुई हो या जिसके परिवार में कोई इस फील्ड में न रहा हो, वह भी अगर ठान ले और मेहनत करे तो सफल हो सकता है | आइए जानते हैं रवि कुमार सिहांग की सफलता की कहानी |
रवि कुमार सिहाग राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के रहने वाले हैं | रवि के पिता एक साधारण किसान हैं और उनका परिवारिक माहौल भी खेती और किसानी से जुड़ा हुआ है | अपने ग्रेजुएशन के दिनों तक रवि अपने पिता के साथ खेती और किसानी में उनका हाथ बँटाते थे | UPSC 2021 की परीक्षा में रवि कुमार सिहाग ने 18वीं रैंक हासिल की जो हिंदी माध्यम की सर्वश्रेष्ठ रैंक है | रवि अपनी सफलता में भाषा को कभी बाधा के रूप में नहीं देखते हैं | वह कहते हैं कि यदि सही दिशा और दशा में रहकर परिश्रम किया जाए तो किसी भी भाषा से इस परीक्षा को पास किया जा सकता है | वह हिंदी के साथ साथ अंग्रेज़ी भाषा को भी पढ़ने की सलाह देते हैं क्योंकि कामकाज और अन्य स्थानों पर अंग्रेज़ी की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता है |
अपने सफर के बारे में रवि बताते हैं कि वे अपने पिता के साथ बचपन से ही खेती-किसानी का काम देखते थे | बीए तक उन्होंने खेती से जुड़े हर काम की जिम्मेदारी संभाली है | ऐसे में जब गांव में खेतों को लेकर, सिंचाई को लेकर या इससे संबंधित किसी भी एरिया में समस्या आती थी तो कहा जाता था कलेक्ट्रेट ऑफिस जाओ | हर परेशानी का समाधान वहीं होता था | तब से वे सोचते थे कि आखिर कलेक्टर होता कौन है जिसके पास हर छोटी-बड़ी समस्या का समाधान होता है | इसके अलावा गांव में अक्सर लोग कहते थे कि तुम कौन सा कलेक्टर हो जो ये काम कर लोगे, ये परेशानी दूर कर दोगे वगैरह | ऐसी बातें सुनकर ही रवि का इस क्षेत्र के प्रति आकर्षण पैदा हुआ | तभी बीए के बाद उन्होंने इस क्षेत्र में किस्मत आजमाने का फैसला किया ताकि लोगों की समस्या का समाधान आसानी से कर सकें |
रवि कहते हैं कि यूपीएससी का सिलेबस ठीक से देखने और समझने के बाद उन्होंने बेसिक बुक्स से शुरुआत की अपने इस सफर में सबसे खास साथी वे एनसीईआरटी की किताबों को मानते हैं | रवि कहते हैं कि यूपीएससी परीक्षा एक पूरा पैकेज होती है जो प्री से लेकर पर्सेनेलिटी टेस्ट तक आपको हर प्रकार से टेस्ट करती है | पहले आप यह ठीक से समझ लें कि आखिर यह एग्जाम आपसे चाहता क्या है उसके बाद मैदान में उतरें बुक लिस्ट की जहां तक बात है तो यह ज्यादातर स्टूडेंट्स के लिए सेम ही होती है. बस ख्याल इस बात का रखना है कि कम से कम किताबें इकट्ठी करें और उनसे बार-बार पढ़ें | लिमिटेड रिसोर्स, मैक्सिमम रिवीजन पॉलिसी को फॉलो करें | ये मानकर चलें कि किताब में लिखा एक-एक शब्द आपको पता होना चाहिए इतनी बार रिवीजन हो जाए |
वे दूसरे कैंडिडेट्स को भी यही सलाह देते हैं कि इन फालतू चीजों में समय न गंवाएं कि आपका माध्यम क्या है या आप पहले पढ़ाई में अच्छे नहीं थे | इस एनर्जी को परीक्षा की तैयारी में लगाएं तो ज्यादा लाभ मिलेगा | किसी इंग्लिश मीडियम कैंडिडेट को सफलता पाने के लिए जितने पापड़ बेलने पड़ते हैं उतने ही आपको भी बेलने होंगे माध्यम कभी इसमें रुकावट नहीं बनता | आपको बता दें कि साल 2018 और 2019 में भी रवि UPSC में चयनित हुए थे और तब उनकी रैंक 337 और 317 थी | इसके बावजूद भी IAS बनने के लिए उन्होंने दोबारा परीक्षा दी और आखिरकार कठिन परिश्रम और लगन से 18वीं रैंक के साथ हिंदी माध्यम के टॉपर रहे और IAS बनने का सपना भी पूरा किया |