हाई स्पीड से घूम रही पृथ्वी , कंप्यूटर की दुनिया में मचा हड़कंप

पृथ्वी 24 घंटे में अपनी धुरी पर एक चक्कर पूरा करती है | लेकिन क्या आपको पता है कि पृथ्वी ने ये कारनामा 24 घंटे से भी कम समय में कर दिखाया है | 29 जुलाई को पृथ्वी ने अपनी धुरी पर एक चक्कर 1.9 मिली सेकेंड पहले पूरा कर लिया | आपको भले ही ये बहुत छोटी लगे, लेकिन टेक्निकली ये 24 घंटे से कम है | वैज्ञानिकों का कहना है कि घूर्णन की गति हाल ही में बढ़ रही है, लेकिन अभी इसका कारण अज्ञात है | अगर पृथ्वी के घूमने की स्पीड बढ़ती रहती है तो वह 24 घंटे से कम समय में ही चक्कर पूरा कर लिया करेगी | ये कम्युनिकेशन सिस्टम के लिए अच्छा नहीं होगा |


ऐसे में आइए जानते हैं कि धरती क्यों इतनी तेज घूम रही है? इससे फायदा होगा या नुकसान ?

सभी लीप ईयर के बारे में तो जानते ही होंगे | जैसे हर 4 साल में 1 दिन जोड़ दिया जाता है | ठीक इसी तरह कभी-कभी 1 सेकेंड जोड़ने की जरूरत भी पड़ती है | लीप ईयर की ही तरह इसे लीप सेकेंड कहा जाता है | धरती को 360 डिग्री घूमने यानी एक चक्कर लगाने में 86(छियासी)हजार 400 सेकेंड यानि 24 घंटे लगते हैं | लेकिन अपनी धुरी पर ये गुरुत्वाकर्षण की वजह से लड़खड़ाने लगती है जिससे चक्कर पूरा करने में सेकेंड से भी कम वक्त का हेरफेर हो जाता है | अगर इस समय को सटीक रूप से नापा जाए तो दरअसल यह 86 (छियासी) हजार400.002 सेकेंड के बराबर होता है|


हर दिन ये 0.002 सेकेंड जमा होते रहते हैं और एक साल में करीब 2 मिली सेकेंड जुड़ जाते हैं | इस तरह से करीब 3 साल में एक पूरा सेकेंड बन जाता है, लेकिन यह इतना छोटा वक्त है कि कई बार इसे पूरा होने में काफी लंबा वक्त लगता है | इसका असर यह होता है कि इंटरनेशनल एटॉमिक टाइम यानी IAT से इसका तालमेल बिगड़ जाता है | इसे सही करने के लिए कई बार 1 सेकेंड को जोड़ कर घड़ियों का टाइम सही किया जाता है |


29 जून दिन 24 घंटे से कम का था, यानी अब तक सबसे छोटा दिन | इस दिन धरती ने अपनी एक्सिस यानी धुरी पर 24 घंटे से कम समय यानी 1.59 मिली सेकेंड (एक सेकंड के एक हजारवें हिस्से से थोड़ा अधिक) पहले ही यह चक्कर पूरा कर लिया | वहीं 26 जुलाई को भी धरती ने अपना एक चक्कर 1.50 मिली सेकेंड पहले पूरा कर लिया था |


क्या है धरती के तेज घूमने की वजह ?

यदि हम लंबी अवधि में इसे देखें तो धरती के घूमने की गति धीमी हो रही है | वैज्ञानिकों के मुताबिक हर सदी में धरती एक चक्कर पूरा करने में कुछ मिली सेकेंड ज्यादा समय लेती है | पृथ्वी की गति तेज होने की फिलहाल तो कोई स्पष्ट वजह नहीं बताई गई है, लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का अनुमान है कि धरती के इनर या आउटर लेयर में बदलाव, समुद्र, टाइड या जलवायु परिवर्तन इसकी वजह हो सकता है | वहीं कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चांडलर वॉबल की वजह से हो सकता है, जो पृथ्वी के घूमने की धुरी में एक छोटा सा डीविएशन यानी विचलन है |


इससे फायदा होगा या नुकसान ?

रिपोर्ट के मुताबिक, यदि धरती तेज गति से घूमती रही तो एक नए निगेटिव लीप सेकेंड की जरूरत पड़ेगी, ताकि घड़ियों की गति को सूरज के हिसाब से चलाया जा सके | निगेटिव लीप सेकेंड से बड़े नुकसान की भी आशंका जताई जा रही है | इससे स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य कम्यूनिकेशन सिस्टम की घड़ियों में गड़बड़ी पैदा हो सकती है | मेटा ब्लॉग की रिपोर्ट कहती है कि लीप सेकेंड वैज्ञानिकों और एस्ट्रोनॉमर्स यानी खगोलविदों के लिए तो फायदेमंद हो सकता है, लेकिन यह एक खतरनाक परंपरा है जिसके फायदे कम नुकसान ज्यादा हैं |


यह इसलिए क्योंकि घड़ियां 23:59:59(उनसठ) के बाद 23:59(उनसठ):60 पर जाती हैं और फिर 00:00:00 से दोबारा शुरू होती हैं | टाइम में यह बदलाव कंप्यूटर प्रोग्रामों को क्रैश कर सकता है और डेटा को करप्ट कर सकता है क्योंकि यह डेटा टाइम स्टैंप के साथ सेव होता है | मेटा ने बताया कि यदि निगेटिव लीप सेकेंड जोड़ा जाता है तो घड़ियों का समय 23:59(उनसठ):58(अट्ठावन) के बाद सीधा 00:00:00 पर जाएगा और इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं | इस समस्या के हल के लिए इंटरनेशनल टाइमर्स को ड्रॉप सेकेंड जोड़ना होगा | अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियां जैसे कि गूगल, अमेजन, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां लीप सेकेंड को खतरनाक बताते हुए इसे खत्म करने की मांग की है |