सफलता की कहानी मनिंदर सिंह (IAS Maninder Singh)
यूपीएससी परीक्षा का पाठ्यक्रम बहुत बड़ा होता है यह तो सब जानते हैं। इसमें कई विषय हाल ही के दिनों में चल रही बहस और मुद्दों से संबंधित हो सकते हैं। हाल के समय का मतलब एक वर्ष नहीं है, बल्कि यह एक से लेकर तीन साल तक की घटनाओं से संबंधित हो सकते हैं। उम्मीदवारों के मन में हमेशा यह सवाल रहता है कि इतना बड़ा घटनाक्रम कैसे cover करें? ऐसे विषयों से संबंधित डेटा का प्रामाणिक स्रोत क्या होना चाहिए? उन insights को कैसे प्रस्तुत करें? आइए जानते हैं आज के विडियो में।
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- मनिंदर सिंह ने मई 2015 में दिल्ली आकर यूपीएससी की तैयारी शुरू की थी,बगैर तैयारी पहली बार प्रीलिम्स का परीक्षा दी पर आसफलता मिलि वह पंजाब पीसीएस का प्रीमियम और मींस का परीक्षा दे चुके थे।
- लेकिन वह उसमें भी असफल रहे थे इतने हताश होने की बजाय होने नतीजा आने के बाद कुछ देर तक अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर दिया और एक बहुत ही महत्वपूर्ण सबक सीखा वह अब ऐसी त्यारी करेंगे की दुनिया को पता लग जाएगा की हार मान लेना हर किसी की बात नहीं है।
- तब उनका पूरा परिवार दिल्ली में ही था और यहां रहन-सहन के बढ़ते खर्चों के निराश ने उन्हें नींद आनी बंद हो गई थी या और कुत्तों के भौंकने की आवाज से उनकी नींद भी पूरी नहीं हो पाती थी इन तमाम वजहों से उनकी पढ़ाई से ध्यान हटना शुरू हो गया था।
- पूरा दिन उनका मन चिड़चिड़ा ही रहता था उन्होंने उस साल यूपीएससी इंटरव्यू दिया था और 21 अगस्त 2017 को नतीजे का इंतजार कर रहे थे लेकिन 7:00 उन्हें गहरा सदमा लगा।
- जब उनके सफल उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम ही नहीं आया लेकिन यह वह वक्त था जब मैंने एक जरूरी सबक सीखना था चेहरे पर बगैर किसी घंटे पूरा साहस बटोरकर अपने माता-पिता से रूबरू होना क्योंकि उनके लिए नतीजे उतने अच्छे नहीं थे।
- निपटान की खुशी और मानसिक हालात थी अगर माता-पिता को अपने बच्चे ठीक-ठाक हालत में नहीं लगाते तो वह ज्यादा घबरा जाते हैं खास तौर पर तब जब बच्चा घर से दूर हो उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि कैसे पहली बार इस परीक्षा के लिए गंभीरतापूर्वक उन्होंने कोशिश की थी।
- लिहाजा उन्होंने से ऐसे 2017 के यह वापस घर लौटने का फैसला किया उन्होंने प्रिलिम्स पास कर लिया वह अपनी कोशिशों से काफी खुश थे।
- 27 अप्रैल को नतीजे का इंतजार कर रहे थे नतीजे आने से कुछ दिनों पहले से उनकी घबराहट बढ़नी शुरू हो गई थी ठीक उसी वक्त यानी रात 7:00 नतीजे घोषित हुए उन्हें ढूंढा लेकिन इससे उनका नाम कहीं दिखाई नहीं किया या उन्हें एक और जरूरी सबक सीखने को मिला मैं अंदर से तहस-नहस और तब महसूस कर रहे थे।
- लेकिन उन्हें दिखाना था कि सब कुछ ठीक है घर वापस आने पर वह पूरे में साहस के साथ अपने माता पिता से मिले बल्कि उनसे यह भी कहा कि इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता उन्हें अपने बुरे नतीजे के लिए आसानी से एक बलि का बकरा बना लिया जो था वैकल्पिक विषय भूगोल लेकिन इससे भी बड़ा सदमा उनके इंतजार कर रहा था।
- जो उन्हें 11 अप्रैल को लगा जब उनके नंबर सामने आएंगे उन्होंने मैच में एसटी-1 नंबर प्राप्त किए उस कटऑफ 806 लेकिन पीटी में उन्हें केवल 132 नंबर मिले थे इसकी वजह से महज 23 नंबरों से वह सूची में अपनी जगह नहीं बना पाए यदि आपने भी तैयारी शुरू की है।
- इस परीक्षा को लेकर एक सकारात्मक और प्रतिबद्धता पूर्ण रवैया अपनाया इधर ध्यान भटकाने से बगैर है कि बैकअप या किसी और चीज का ख्याल भी मन में न लेकर आएं जो कुछ हाथ में है बस एकाग्रता से उसे पर फोकस करेंगे खूब मेहनत करें खुद पर अपनी काबिलियत पर और अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा बनाए रखें आप के प्रयास व्यर्थ नहीं जाएंगे जैसा कि उन्होंने पहले भी बताया आपके भगवान न करें यदि आप इस परीक्षा में सफल नहीं होते हैं।
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देखते रहिए,
Prabhat Exams
नमस्कार!