विकसित की टच-लेस टच स्क्रीन प्रौद्योगिकी इससे लग सकती है, संपर्क से फैलने वाले वायरस पर लगाम ?

यूपीएससी परीक्षा का पाठ्यक्रम बहुत बड़ा होता है यह तो सब जानते हैं। इसमें कई विषय हाल ही के दिनों में चल रही बहस और मुद्दों से संबंधित हो सकते हैं। हाल के समय का मतलब एक वर्ष नहीं है, बल्कि यह एक से लेकर तीन साल तक की घटनाओं से संबंधित हो सकते हैं। उम्मीदवारों के मन में हमेशा यह सवाल रहता है कि इतना बड़ा घटनाक्रम कैसे cover करें? ऐसे विषयों से संबंधित डेटा का प्रामाणिक स्रोत क्या होना चाहिए? उन insights को कैसे प्रस्तुत करें? आइए जानते हैं आज के विडियो में। 

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विकसित की टच-लेस टच स्क्रीन प्रौद्योगिकी  


•दुनिया में कोरोना संक्रमण ने कई तकनीकों में बदलाव ला दिए हैं। विशेषकर, कोशिश यही है कि जिन चीजों को छूने से संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है, उनमें परिवर्तन किए जाएं।

•ऐसी ही एक टच स्क्रीन तैयार हो गई है, जो 9 सेमी की दूरी से अपने आसपास होनी वाली गतिविधियों को पकड़ लेगी। यानी बिना टच किए यह स्क्रीन आपके निर्देशों को फॉलो कर लेगी।

 Touch-less Touch Screen:संक्रमण को फैलने से रोकेगी

भारतीय वैज्ञानिकों ने कम लागत वाला एक टच-कम-प्रॉक्सिमिटी सेंसर अर्थात स्पर्श-सह-सामीप्य संवेदक विकसित करने के लिए प्रिंटिंग तकनीक के जरिये एक किफायती समाधान प्रदान किया है जिसे टचलेस टच सेंसर कहा जाता है।

•कोरोनावायरस महामारी ने हमारी जीवन शैली को महामारी परिदृश्यों के अनुकूल बनाने के प्रयासों को तेज कर दिया है।

•कामकाज स्वाभाविक रूप से वायरस फैलने के जोखिम को कम करने के लिए रणनीतियों से प्रेरित हो गया हैं, खासतौर से सार्वजनिक स्थलों पर जहां सेल्फ-सर्विस कियोस्क, एटीएम और वेंडिंग मशीनों पर टचस्क्रीन लगभग अपरिहार्य हो गए हैं।

 JNCASR  के वैज्ञानिकों ने की तैयार

हाल ही में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थानों के नैनो और सॉफ्ट मैटर साइंसेज (सीईएनएस) तथा जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस एंड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने प्रिंटिंग एडेड पैटर्न (लगभग 300 माइक्रोन का रिजॉल्यूशन) पारदर्शी इलेक्ट्रोड के उत्पादन के लिए एक अर्ध-स्वचालित उत्पादन संयंत्र स्थापित किया है

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देखते रहिए, 

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