यूक्रेन पर रूस करने वाला है केमिकल हथियार से हमला 

देश में लाखों बच्चे IAS-IPS बनने का सपना देखते हैं। इसके लिए दिन-रात मेहनत से पढ़ाई भी करते हैं। हर साल लाखों अभ्यर्थी यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा देते हैं लेकिन मुट्ठी भर अभ्यर्थी ही एग्जाम क्लियर कर पाते हैं। उनमें से भी इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस में ऑफिसर बनने वालों की संख्या बहुत कम होती है।  

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यूक्रेन पर रूस करने वाला है केमिकल हथियार से हमला 

  • लाखों की जान ले चुके केमिकल हथियार और इससे जुड़े सभी कानून हाल ही में अमेरिका और ब्रिटेन ने आशंका जताई है, कि रूस यूक्रेन के खिलाफ केमिकल वेपन यानि रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है।
  • यूक्रेन ने इस तरह के हमले की आशंका जताते हुए रूस को सावधान किया है कि अगर उसने ऐसा किया तो उसे और कड़े प्रतिबंध का सामना करना पड़ेगा।
  • यह रूस ने इससे पहले अमेरिका पर यूक्रेन में केमिकल और बॉईल गूगल हथियार बनाने का आरोप लगाया था केमिकल हथियारों का इस्तेमाल पहले विश्व युद्ध और उसके बाद कई बार हो चुका है जिसमें लाखों लोगों की जान जा चुकी है।
  •  क्या होते हैं केमिकल हथियार ऑर्गेनाइजेशन फॉर थे प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वेपंस यानि ओपीसीडब्ल्यू के मुताबिक केमिकल हथियार ऐसे हथियार होते हैं जिनमें जहरीले केमिकल का इस्तेमाल जान-बूझकर लोगों को मारने या नुकसान पहुंचाने के लिए होता है।
  • ऐसे सैन्य उपकरण जो खतरनाक केमिकल को हथियार बना सकते हैं उन्हें भी केमिकल हथियार या रासायनिक हथियार माना जा सकता है।
  • केमिकल हथियार इतने घातक होते हैं कि यह पल भर में हजारों लोगों को मौत की नींद सुला सकते हैं और साथ ही उन्हें अलग-अलग बीमारियों के प्रभाव से तडप कर मरने को मजबूर कर सकते हैं।
  •  केमिकल हथियार बायोलॉजिकल हथियार से अलग होते हैं बायलॉजिकल हथियारों में बैक्टीरिया और वायरस के जरिए लोगों को मारा या बीमार किया जाता है।
  • केमिकल  द्वारा हथियार को बनाया जाता है केमिकल वेपंस इनसे शरीर को नुकसान न केवल युद्ध बल्कि इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट्स से भी हो सकते हैं उदाहरण के लिए 1984 में भी भोपाल में पॉजिशन और आइसोसाइनेट जैसे केमिकल से बने मिथाइल आइसोसाइनेट नामक जहरीली गैस लीक होने से हजारों लोगों की जान चली गई थी।
  •  कौन से हैं सबसे घातक केमिकल हथियार केमिकल हथियारों में इस्तेमाल होने वाले केमिकल या गैसों यानि केमिकल वेपन एविडेंस व्यक्तित्व यानी सीबीडीटी के आधार पर होता है।
सबसे घातक केमिकल हथियार को पांच कैटेगिरी में बांट सकते हैं :
  1. तंत्रिका एजेंट
  2. घुट एजेंट
  3. रक्त एजेंट
  4. ब्लिस्टर एजेंट
  5. रवेट कंट्रोल एजेंट
पहला 
न इवेंट इन अरविंद को अक्षर नरगिस भी कहते हैं,इनसे सबसे घातक केमिकल हथियार बनते हैं।यह शरीर के नर्वस सिस्टम पर असर सकते हैं। इसके लिए आप अपने पैरों के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं। इनकी छोटी सी यूजर कुछ ही सेकेंड में एक किसी को भी मार सकती है। इनमें सरीन सुमन ताबुन और साइकिल नसरीन और विवेक शामिल है इनमें सबसे घातक व्यक्ति सरीन और तांबूल माने जाते हैं तथा यह लिक्विड एरोसोल वाश और धूल के रूप में फैलते हैं।

दूसरा 
यह घातक केमिकल हथियार श्वसन अंगों पर असर डालते हैं।जोकि नाक गले और खास तौर पर फिट में जलन पैदा करते हैं यह फेफड़ों के जरिए शरीर में घुसते हैं और इससे फेफड़ों में पानी भरने लगता है जिससे पीड़ित का दम घुट जाता है। इन में क्लोरीन ₹2 स्क्रीन डिपोजिशन पॉजिशन अभी गैस से शामिल है, इनमें सबसे घातक पॉजिशन और क्लोरिन होते हैं तथा यह गैस के रूप में फैलते हैं।

तीसरा
ब्लडेड यह घातक केमिकल हथियार जो ब्लड सेल पर असर डालते हैं,और शरीर में ऑक्सिजन पासवर्ड को रोक देते हैं। जिससे व्यक्ति का दम घुट जाता है। यह सांसो के जरिए प्रवेश करते हैं इन में हाइड्रोजन सायनाइड साइनोजन क्लोराइड और सिंह ऐसे शामिल है,इनमें सबसे घातक हाइड्रोजन सायनाइड और सिद्ध होते हैं यह सभी गैसों के रूप में फैलते हैं। 

चौथा
ब्लिस्टरिंग एजेंट केमिकल हथियारों में इनका सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। मसल्स हमेस्टर डाइट सूजन मस्टर्ड वेबसाइट और फोर्सज इन बॉक्सिंग शामिल है। यह स्किन और फलों के जरिए शरीर में एंट्री करते हैं, यह घातक केमिकल ऑयली पदार्थ होते हैं। जो आंखों श्वसन अंगों और फेफड़ों को प्रभावित करते हैं इससे घातक खपोली पड़ जाते हैं यह शरीर में जलने जैसे घाव बन जाते हैं। इससे आदमी अंधा हो सकता है या मौत भी हो सकती है। इनमें सबसे घातक सफर मस्ट होता है तथा इनका फैलाव लिक्विड पेरोल वास और धूल के रूप में होता है।

पांचवां
रॉयल कंट्रोल टेस्ट यह सबसे कम घातक केमिकल यूज को मूंग गले में जलन पैदा करने के लिए होता है। और इस तरह के केमिकल हथियारों के उदाहरण के जरिए शरीर में घुसे और आंखों में आंसू आना जो स्किन नाक और मुंह में जलन होती है। कई बार इससे सांस लेने में भी दिक्कत होती है इसका इस्तेमाल भीड़ को नियंत्रित करने में होता है आंसू गैस ब्रोमो एसीटोन पेपर स्प्रे कैपसाइसिन इत्यादि के उदाहरण है तथा इन्हें फैलाव लिक्विड एरोसोल के रूप में ही होता है।

  • केमिकल हथियारों का सबसे पहले इस्तेमाल 429 ईसा पूर्व में हुआ था। तब तात्या की घेराबंदी के दौरान स्पार्टन सैनिकों ने शहर की दीवार के बाहर एक बड़ा लकड़ी का ढेर लगाया और उस पर तारकोल और सल्फर डालकर आग लगा दी, इससे नीली लपटें निकली और तीखी बदबू पैदा हुई सल्फर चलाकर स्पार्टन सैनिकों ने जहरीली सल्फर डाइऑक्साइड गैस लीव्स कि जिस से जल्द ही प्लेट यहां के लोग अपनी जगह छोड़कर भाग गए के पहले और दूसरे विश्व युद्ध में भी यही हुआ था। 

  • इस्तेमाल आधुनिक युग में केमिकल हथियारों का सबसे पहले इस्तेमाल पहले विश्व युद्ध के दौरान हुआ था, इस युद्ध में घातक केमिकल गैसों के इस्तेमाल से करीब एक लाख लोग मारे गए थे जर्मन सेना नहीं 1915 में बेल्जियम के खिलाफ 168 अंकों ग्रीन गैस का इस्तेमाल किया था। 

  • जिस से कम से कम 5 हजार सैनिक मारे गए थे पहले विश्व युद्ध के दौरान क्लोरीन फौजी और सन फार्मा स्टॉक्स ओं जैसे केमिकल हथियारों का इस्तेमाल किया गया था पहले विश्व युद्ध में 1 लाख 90 हजार टन केमिकल हथियारों का इस्तेमाल किया गया था।

  • जिनमें से 93 हजार टन क्लोरीन और 36 हजार टन फॉर चीटिंग की यह दूसरे विश्वयुद्ध में 1947 में जर्मनी ने पोलैंड के वह शहर पर कुछ मस्टर्ड गैस बम गिराए थे इसके अलावा जापान ने चीन के खिलाफ काफी कम मस्टर्ड गैस और लेफ्ट साइड से बने केमिकल हथियारों का इस्तेमाल किया था।

  • रूस का केमिकल हथियारों से कनेक्शन रूस ने वैसे तो 2017 में ही अपने केमिकल हथियारों को नष्ट करने का दावा किया था, लेकिन उसके बाद से मॉस्को में हुए दो केमिकल हम लोग नहीं इन दावों को सवालों के घेरे में ला दिया 2018 में रूसी खुफिया एजेंसी के पूर्व जासूस असर गई स्क्रिप्ट को उनकी बेटी के साथ नर्म एजेंट ने भिक्षुक जहर दे दिया गया था।

  • जिसमे कथित तौर पर रूस का हाथ था,हालांकि उसने इसे कभी नहीं माना अगस्त 2002 इसमें पोकिंग के प्रमुख विरोधी नेता अलेक्सी नवालनी को नवी चौक जहर दिया गया था, जिसमें बहुत मुश्किल से उनकी जान बच सकी केमिकल हथियारों पर प्रतिबंध के लिए क्या है कारण कौन से पेज हैं, इसमें शामिल जुड़वा प्रोटोकॉल 1925 और चीनी प्रोटोकॉल 1949 केसर यह 38 देशों के बीच हुई संधि से केमिकल हथियारों पर प्रतिबंध के साथ ही युद्ध में इन हथियारों के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगाने के लिए समझौता हुआ था। इन संधियों पर हस्ताक्षर के बावजूद सोवियत रूस अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस जर्मनी और जापान जैसे ताकतवर देशों ने गुप्त तरीके से केमिकल वेपन बनाना जारी रखा केमिकल हथियारों पर बैन लगाने के लिए पहला वैश्विक समझौता 1993 में हुए केमिकल वेपन कन्वेंशंस यानि सीबीसी के तहत हुआ था।

  • सीबीसी का मसविदा 1992 में तैयार हुआ 1993 में इसे हस्ताक्षर के लिए प्रस्तुत किया गया और अप्रैल 1997 से प्रभावी हुआ था इस समझौते से युद्ध में केमिकल हथियारों के यूज उनके डिवैलपमैंट रखने और उनके ट्रांसफर पर रोक लगा दी गई थी 2021 तक सीडब्ल्यूसी के 193 सदस्य थे जिनमें से 165 ने इस पर साइन किए थे भारत रूस और अमेरिका नहीं केमिकल हथियारों पर बैन लगाने वाले सीडब्लूसी पर 1993 ने साइन किए थे।
  • यवन के अलावा चार देशों में मिस्र, इसराइल, नॉर्थ कोरिया और साउथ सूडान ने सीडब्लूसी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

  • सीबीसी समझौते को लागू करने के लिए 1997 में ऑर्गेनाइजेशन आफ प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वेपंस यानि ओपीसीडब्ल्यू नामक एक अंतर सरकारी संगठन बना था।इसका हेड क्वार्टर नीदरलैंड के हेग में है इसके 193 सदस्य है मिस्र इसराइल नॉर्थ कोरिया और साउथ सूडान इस से नहीं जुड़े हैं ओपीसीडब्ल्यू का काम केमिकल हथियारों के गैरकानूनी इस्तमाल की निगरानी करना और उनके प्रसार पर रोक लगाना है 2000 में हुए एक समझौते के तहत ओपीसीडब्लू संयुक्त राष्ट्र संघ को रिपोर्ट करता है हुआ है।

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देखते रहिए, 
Prabhat Exams
नमस्कार!