WHO भारत में स्थापित करेगा विश्व का पहला           ‘ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन’ 

यूपीएससी हमारे देश की सबसे कठीन व प्रतिष्ठित परीक्षा है। हर साल लाखों युवा महज कुछ सीटों के लिए इस एग्जाम की तैयारी करते हैं। इस परीक्षा में सफलता का प्रतिशत बहुत ही कम है। इस परीक्षा में वही सफल होता है जिसमें शैक्षणिक योग्यता के साथ ही अनुशासन और धैर्य हो। लेकिन हर प्रतियोगी परीक्षा की तरह इस परीक्षा में अपियर होने के लिए भी कुछ मिनिमम criteria निर्धारित किए गए हैं। क्या? आइए जानते हैं आज के वीडियो में।
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भारत ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के बीच एक मेजबान देश समझौते पर हस्ताक्षर के साथ गुजरात के जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम) की स्थापना को स्वीकृति दे दी है। 
  • आयुष मंत्रालय के तहत जामनगर में डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम की स्थापना की जाएगी। 
  • यह दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा के लिए प्रथम और एकमात्र आउटपोस्टिड वैश्विक केंद्र होगा।
  • ध्यातव्य है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेबेरियस ने भारत के माननीय प्रधानमंत्री की गरिमामयी उपस्थिति में 13 नवंबर, 2020 को 5वें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर भारत में डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम की स्थापना की घोषणा की थी।

जीसीटीएम की स्थापना के लाभ 

आयुष प्रणालियों को दुनिया भर में स्थापित करना।

पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित वैश्विक स्वास्थ्य मामलों में नेतृत्व प्रदान करना।

पारंपरिक चिकित्सा की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता, पहुंच और तर्कसंगत उपयोग को सुनिश्चित करना।

डेटा अंडरटेकिंग एनालिटिक्स एकत्र करने और प्रभाव का आकलन करने के लिए प्रासंगिक तकनीकी क्षेत्रों, उपकरणों और कार्यप्रणाली में मानदंड, मानक और दिशानिर्देश विकसित करना।

मौजूदा टीएम डेटा बैंकों, आभासी पुस्तकालयों, और शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से डब्ल्यूएचओ टीएम सूचना विज्ञान केंद्र की अवधारणा को सुनिश्चित करना।

उद्देश्यों के लिए प्रासंगिकता के क्षेत्रों में विशिष्ट क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करना और परिसर, आवासीय, या वेब-आधारित, और डब्ल्यूएचओ अकादमी और अन्य रणनीतिक भागीदारों के साथ साझेदारी के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
  • माननीय प्रधानमंत्री ने डब्ल्यूएचओ की इस पहल की प्रशंसा करते हुए उल्लेख किया कि डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक कल्याण, साक्ष्य-आधारित अनुसंधान, प्रशिक्षण और जागरूकता के केंद्र के रूप में उभरेगा।
  • इस केंद्र की स्थापना के लिए गतिविधियों के समन्वय, निष्पादन और निगरानी के लिए एक संयुक्त कार्य बल (जेटीएफ) का गठन किया गया है।
  • जेटीएफ में भारत सरकार, भारत के स्थायी मिशन, जिनेवा और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि शामिल हैं।
  • इसके तहत, चिन्हित तकनीकी गतिविधियों और पूरी तरह कार्यात्मक डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम की योजना को निष्पादित करने के लिए गुजरात के जामनगर में आईटीआरए के तौर पर एक अंतरिम कार्यालय की स्थापना की जा रही है।
  • अंतरिम कार्यालय का उद्देश्य साक्ष्य और नवाचार, पारंपरिक चिकित्सा के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित समाधान, कोक्रेन के सहयोग से व्यवस्थित समीक्षा, डब्ल्यूएचओ जीपीडब्ल्यू 13 में पारंपरिक चिकित्सा डेटा पर वैश्विक सर्वेक्षण (2019-2023) जैसे कार्यों को सतत विकास लक्ष्यों, सामाजिक-सांस्कृतिक पारंपरिक चिकित्सा और जैव विविधता विरासत के साथ सतत विकास और प्रबंधन एवं  क्रॉस-कटिंग कार्यों, व्यापार संचालन तथा प्रशासनिक प्रक्रियाओं के लिए डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम के मुख्य कार्यालय की स्थापना हेतु एक अग्रगामी दृष्टिकोण के तौर पर व्यापक रूप से प्रस्तुत करना है। 
  • डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित सभी वैश्विक स्वास्थ्य मामलों में नेतृत्व प्रदान करेगा और साथ ही पारंपरिक चिकित्सा अनुसंधान, प्रथाओं और सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न नीतियों को आकार देने में सदस्य देशों को समर्थन प्रदान करेगा।
  • आयुष मंत्रालय ने कई मोर्चों पर डब्ल्यूएचओ के साथ आयुर्वेद और यूनानी प्रणाली के प्रशिक्षण और अभ्यास के मामले में महत्वपूर्ण दस्तावेज़ विकसित करने, रोग-11 के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण के पारंपरिक चिकित्सा अध्याय में दूसरा मॉड्यूल पेश करने, एम-योग जैसे ऐप विकसित करने, हर्बल मेडिसिन के अंतर्राष्ट्रीय फार्माकोपिया और अन्य अनुसंधान अध्ययनों आदि के कार्य के समर्थन में सहयोग किया है।
  • पारंपरिक चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल वितरण प्रणाली का एक प्रमुख स्तंभ है और अच्छे स्वास्थ्य और सेहत को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 
  • सुरक्षित और प्रभावी पारंपरिक चिकित्सा यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी ताकि सभी लोगों को गुणवत्तापूर्ण आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं एवं सुरक्षित, प्रभावी और सस्ती आवश्यक दवाओं तक पहुंच प्राप्त हो, क्योंकि विश्व सतत विकास लक्ष्यों के लिए दस साल के महत्वपूर्ण लक्ष्य 2030 के काफी करीब पहुंच चुका है। 
  • डब्ल्यूएचओ-जीसीटीएम संबंधित देशों में पारंपरिक चिकित्सा को विनियमित करने, एकीकृत करने और भविष्य में देशों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों की पहचान करेगा।
  • आगामी डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम और डब्ल्यूएचओ के सहयोग से कई अन्य पहलें भारत को दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में अपना वर्चस्व बनाने में सहायता प्रदान करेंगी।
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देखते रहिए, 
Prabhat Exams,
नमस्कार!