UPSC का कोर्ट में जवाब,सिविल सेवा परीक्षा में एक और मौका देना पेचीदा मसला
यूपीएससी हमारे देश की सबसे कठीन व प्रतिष्ठित परीक्षा है। हर साल लाखों युवा महज कुछ सीटों के लिए इस एग्जाम की तैयारी करते हैं। इस परीक्षा में सफलता का प्रतिशत बहुत ही कम है। इस परीक्षा में वही सफल होता है जिसमें शैक्षणिक योग्यता के साथ ही अनुशासन और धैर्य हो। लेकिन हर प्रतियोगी परीक्षा की तरह इस परीक्षा में अपियर होने के लिए भी कुछ मिनिमम criteria निर्धारित किए गए हैं। क्या? आइए जानते हैं आज के वीडियो में।
नमस्कार, स्वागत है आपका Prabhat Exam के Youtube Channel पर। ये एक ऐसा Platform है, जहां आपको मिलती है सभी Competitive exams से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां, जो आपकी किसी भी exam में सफल होने में काफी मदद कर सकती हैं। अगर आप हमारे YouTube Channel पर पहली बार आए हैं, तो हमें Like और Subscribe ज़रूर करें और हमारे latest videos और updates सबसे पहले आप तक पहुँचें इसके लिए Bell icon को press करना ना भूलें। तो आइए शुरुआत करते हैं आज के video की, जो है -
IAS बनने के लिए कहाँ तक पढ़ाई करनी होती है?
सुनवाई के दौरान संघ लोक सेवा आयोग ने याचिका पर अपना जवाब पेश करते हुए कहा कि उम्मीदवारों को एक और मौका देना बहुत कठिन मसला है। पेचीदगी भरे इस मसले पर नीतिगत विचार करने की आवश्यकता है। इसके लिए पीठ ने मामले की सुनवाई 21 मार्च तक के लिए टाल दी है।यूपीएससी (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा के तीन उम्मीदवारों ने एक याचिका के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उन्होंने यूपीएससी 2021 की प्रारंभिक परीक्षा पास की थी, लेकिन बाद में कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद वे मुख्य परीक्षा के सभी पेपरों में उपस्थित नहीं हो सके थे।
याचिकाकर्ता अगली मुख्य परीक्षा में भाग लेने की अनुमति देने या फिर 2021 की परीक्षा का रिजल्ट घोषित करने से पूर्व उनके लिए छूटे हुए पेपरों की विशेष परीक्षा आयोजित करने की मांग कर रहे हैं।
यूपीएससी की ओर से पेश अधिवक्ता ने शीर्ष अदालत से कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर कोई भी फैसला लेने से पहले निर्देश लेने और सभी पहलुओं को रिकॉर्ड में रखने की जरूरत है।
अधिवक्ता ने जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ को बताया कि यह एक ऐसा मुद्दा है जो बहुत ही पेचीदा है, इसलिए, मौका दिया जा सकता है या नहीं, यह तय करने में थोड़ा समय लगेगा।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 21 मार्च, 2022 को सुनवाई के लिए निर्धारित कर दिया और कहा कि अगली तारीख से पहले सभी पक्षकारों को हलफनामा दायर करने को कहा है।
ध्यातव्य है कि संघ लोक सेवा आयोग की ओर से यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 7 से 16 जनवरी, 2022 के मध्य आयोजित की गई थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने पीठ को बताया कि इन तीन में से दो याचिकाकर्ता UPSC CSE मुख्य परीक्षा के कुछ शुरुआती पेपर दे चुके थे तथा कोरोना होने के कारण बचे हुए पेपर में भाग नहीं ले सके थे, जबकि तीसरा याचिकाकर्ता कोरोना संक्रमण के कारण किसी भी पेपर में उपस्थित नहीं हो पाया था।
अगर आपको हमारा ये video पसंद आया हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी ज़रूर Share करें, और अगर आपके पास हमारे लिए कोई सवाल है, तो उसे Comment में लिखकर हमें बताएँ। जल्द ही आपसे फिर मुलाकात होगी एक नए topic पर, एक नए video के साथ,
देखते रहिए,
Prabhat Exams,
नमस्कार!
👉Follow us: You Tube Telegram Facebook Twitter Instagram Whatsapp