अक्सर कहा जाता है कि फिल्में वही बनती है जो समाज में घटित होता है या यूं कहें कि फिल्में समाज का आईना होती हैं। सामान्य तौर पर भारतीय फिल्मों की कहानी सामाजिक मुद्दों के इर्द-गिर्द ही घूमती है जो मनुष्य की सोच, कार्य तथा व्यवहार को बहुत हद तक प्रभावित भी करती है। और OTT के जमाने में जब दर्शकों के पास इतने सारे प्लेटफार्म उपलब्ध है तो जाहिर तौर पर फिल्में वही बनती है जिससे आम आदमी खुद को जोड़ सके. आम तौर पर अगर देखें तो आजकल उन फिल्मों की सफलता सुनिश्चित लगती है जो किसी भी सामाजिक संरचना के ऊपर बनी हो

बॉलीवुड में कई फिल्में IAS तथा IPS अधिकारियों के जीवन पर आधारित हैं जो देश के युवाओं में IAS अधिकारी बनने के लिए प्रेरित किया है। देश के युवाओं को प्रेरणादायक फिल्में अवश्य देखनी चाहिए, हो सकता है कि ऐसी फिल्में युवाओं को एक अच्छा करीयर चुनने तथा सही मुकाम पर पहुंचने के लिए प्रेरित कर सकें।

प्रभात एग्जाम के इस विडियो में हमनें कुछ ऐसी हीं बॉलीवुड फिल्मों के बारे में बताया है जो IAS तथा IPS अधिकारी बनने की चाह रखने वाले उम्मीदवारों के लिए प्रेरणाश्रोत साबित हो सकती हैं।

गंगाजल

यह फिल्म बिहार के एक काल्पनिक जिले, तेजपूर, में तैनात एक एक ईमानदार IPS अधिकारी की कहानी है। इस फिल्म में एक ईमानदार IPS अधिकारी पूरे जिले में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के क्रम  में असमाजिक तत्वों के साथ-साथ अपने हीं विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों के साथ लड़ता है। यह फिल्म युवा-पीढ़ी तथा वर्तमान के सिविल सेवा अधिकारियों के लिए एक सीख है कि किस तरह अपने दायित्व एवं कर्तव्यों का पालन करते हुए समाज में स्थापित राजनीतिक आपराधिक गठजोड़ को समाप्त किया जा सकता है। समाज के शासक वर्ग में बढ़ती सत्ता की भूख तथा महत्वाकांक्षा किस तरह आम आदमी के जीवन को श्रस्त कर देती है तथा एक ईमान्दार पुलिस अफसर लालच तथा सुख-सुविधाओं को नज़रअंदाज करते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करता है। IAS उम्मीदवारों को यह फिल्म अवश्य देखनी चाहिए। 

सरफरोश

यह फिल्म एक युवा तथा जुझारु IPS अधिकारी की कहानी है जो क्रॉस-बॉर्डर हथियार तस्करी नेटवर्क को नष्ट कर देता है। यह फिल्म एक IPS अधिकारी के तीन महत्वपूर्ण गुणों को सिखाने में कामयाब है – अधीनस्थ अफसरों के साथ बेहतर समन्वय, उपलब्ध संसाधनों का सरवोत्तम उपयोग तथा राजनैतिक दबावों को नियंत्रित करने की शैली। 

पाताल लोक

इस फिल्म में एक पुलिस ऑफिसर के लगन, मेहनत, आशा, अपेक्षा और पारिवारिक जीवन को बहुत ही बेहतरीन ढंग से परदे पर उतारा गया है. अगर आप फिल्म से कुछ सीख सकते है तो वो है अनवरत प्रयास अपने लक्ष्य तक पहुँचने की. आप भले ही आधे उम्र तक कुछ ख़ास न कर पाए हों, पर पिक्चर अभी भी बाकी है मेरे दोस्त. उठिए और हर उस पत्थर से अपने नींव को और मजबूत करिए जिसे आपके तरफ फेंका गया हो

सेहर

यह फिल्म वास्तविक घटनाओं पर आधारित है जो कि 90 के दशक में उत्तर प्रदेश मे बढ़ते संगठित अपराधों से निपटने के लिए राज्य पुलिस के मुहीम को दर्शाती है। यह फिल्म में एक IPS अधिकारी की भूमिका को दर्शाया गया है जो उत्तर प्रदेश में राजनीतिज्ञ-माफिया-पुलिस-बिल्डर गठजोड़ को तोड़ने के लिए प्रतिबद्ध पुलिस अधिकारियों के समूह से एक विशेष कार्यबल (एसटीएफ) का गठन करने में कामयाब होता है।

वॉन्टेड

यह फिल्म एक अंडर-कवर IPS अधिकारी की कहानी है जो स्थानीय गिरोहों को आपस मे लड़ाता है और फिर एक अंतरराष्ट्रीय गैंगस्टर को मारने में सफल हो जाता है। यह फिल्म अंडर-कवर पुलिसकर्मियों की कुशलता और साहस के महत्व को बखूबी दर्शाती है।

कोई यह कह सकता है कि ऐसी घटनाएं केवल फिल्मी कहानियों में हीं संभव है तथा एक अंडर-कवर पुलिसकर्मी के वास्तविक जीवन में ऐसी घटनाओं का होना नामुमकिन है, पर यह सच नहीं है। मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल, जो कि एक IPS अधिकारी हैं, जिन्हें भारत के महान जासूसों में से एक माना जाता है। वह पाकिस्तान के लाहौर में एक मुस्लिम के रूप में सात वर्षों तक भारतीय गुप्त एजेंट के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं।

शंघाई
यह फिल्म एक विकास परियोजना के ईर्द-गिर्द हीं घूमती है जिसमे भ्रष्ट राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों तथा स्थानीय गिरोहों की मिली-भगत को दर्शाया गया है। फिल्म में एक IAS अधिकारी का किरदार है जो भ्रष्ट नेताओं, सरकारी अधिकारियों तथा स्थानीय गिरोहों के गठजोड़ के खिलाफ मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज़ को बुलंद करता है तथा दबाव बनाने में कामयाब होता है।

रंग दे बसंती
यह फिल्म छह युवा भारतीयों की कहानी है, जो भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, शिवराम राजगुरु, अशफाकुल्ला खान और राम प्रसाद बिस्मिल पर एक डॉक्यूमेंट्री तैयार करने में ब्रिटिश मूल की एक महिला की सहायता करते हैं। हमारे देश के बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों की कार्यों से प्रेरित होकर, वे भ्रष्ट व्यवस्था से लड़ते हैं।

ज़िंदगी जीने के दो हीं तरीक़े होते हैं;
एक जो हो रहा है उसे होने दो, बर्दाश्त करते जाओ
या फिर ज़िम्मेदारी उठाओ उसे बदलने की।”

फिल्म रंग दे बसंती की यह चंद पंक्तियां देश के युवाओं में देशभक्ति की भावना पैदा करने में सफल माना जा सकता है।

हम आशा करते हैं कि इस लेख में उल्लिखत फिल्में IAS तथा IPS अधिकारी बनने की चाह रखने वाले उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा का श्रोत बने। फिल्में IAS तथा IPS अधिकारी के कैरियर के सकारात्मक पहलुओं को दिखाती है। फिल्में विभिन्न प्रकार के राजनीतिक, विभागीय और मीडिया के दबावों से निपटने के लिए आवश्यक कुशलता तथा उपायों के बारे में जानकारी प्रदान करती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कुछ फिल्में IAS तथा IPS अधिकारियों को भ्रष्ट और अयोग्य के रूप में दर्शाती हैं; लेकिन, IAS उम्मीदवारों को उनसे निराश नहीं होना, बल्कि लोक सेवाओं के अहम मूल्यों पर हीं ध्यान केंद्रित करना चाहिए।


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