दोस्तों, अक्सर आपने देखा या सुना होगा कि IAS Toppers के toppers बनने की शुरुआत आईएएस प्रिलिम्स में विफलता से शुरु  होती है। और इसी विफलता को फिर अपने सफलता की सीढ़ी बनाकर वो इस एग्जाम को क्रैक कर जाते हैं.आपने थॉमस एडिसन की वो बात जरूर सुनी होगी जब वो कहते हैं- 

मैं विफल नहीं हुआ हूं, मैंने सिर्फ 10,000 तरीके ढूंढ़ें हैं जो मेरे लिए काम नहीं कर पाए।”


ज्यादातर आईएएस उम्मीदवारों की क्लासिक कहानी इस विफलता के आम कारणों में से एक है प्रिलिम्स के महत्व को कम आंकना। उम्मीदवार प्रिलिम्स को सिर्फ योग्यता परीक्षा मानते हैं और इसलिए अंक जुटाने के नजरिए से वे आईएएस प्रिलिम्स पर फोकस करने की जरूरत नहीं समझते।


देश में आईएएस की परीक्षा सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। सामान्य तौर पर एक उम्मीदवार आईएएस या आईपीएस अधिकारी बनने के लिए अपने जीवन के चार या पांच वर्ष समर्पित करता है। आईएएस बनने का सपना रखने वाले कई उम्मीदवार नई दिल्ली आते हैं। नई दिल्ली कोचिंग सेंटर्स और इस परीक्षा के सटीक वातावरण के लिए जानी जाती है।


प्रत्येक वर्ष 5 लाख उम्मीदवारों में से करीब सिर्फ 15000 उम्मीदवार ही आईएएस प्रिलिम्स की परीक्षा में सफल हो पाते हैं, यह कुल छात्रों का 3% भी नहीं है। ये आंकड़े वाकई निराशाजनक हैं क्योंकि इनके पीछे 97% सपनों का टूटना और आकांक्षाओं का खोना छिपा है। लेकिन ये आंकड़े ये भी बताते हैं कि ज्यादातर उम्मीदवार मामूली अंतर से अंतिम सूची में आने से रह जाते हैं। इससे पता चलता है कि आईक्यू में बहुत अधिक अंतर नहीं है लेकिन सफल और विफल उम्मीदवार के बीच दृष्टिकोण का मौलिक अंतर है।

आईए आईएएस प्रिलिम्स में विफलता के कुछ आम कारणों या गलतियों की जांच करने की कोशिश करते हैं:

1. विफल होने का डर

एकमात्र चीज जिसे हमें डरना चाहिए वह डर खुद है”- फ्रैंकलिन डी। रूजवेल्ट
कुछ छात्र प्रिलिम्स परीक्षा के नतीजों को लेकर इतना डर जाते हैं कि आईएएस प्रिलिम्स परीक्षा के दिन नर्वस हो जाते हैं। पूरे वर्ष उन्होंने जो पढ़ाई की और परीक्षा के दिन आने तक उन्होंने कितनी कड़ी मेहनत की है, उस पर से उनका ध्यान हट जाता है ।

परीक्षा के दौरान नर्वस होना और डर महसूस करना बहुत सामान्य है लेकिन परीक्षा के दिन इनसे बचने का सबसे अच्छा तरीका है परीक्षा से पहले जितना अधिक हो सके समयबद्ध टेस्ट दें और प्रश्नों के प्रकार के संदर्भ में अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करें। इससे परीक्षा के दौरान चिंता को कम करने में निश्चित रूप से मदद मिलेगी क्योंकि आपको इतना विश्वास आ जाएगा कि कई प्रश्नों के सटीक उत्तर नहीं जानने के बावजूद आप प्रतियोगिता से बाहर नहीं हुए हैं।

But we should always remember only a student who has tasted failure can leisure the true meaning of success

2. प्रिलिम्स के महत्व को कम आंकना
कई उम्मीदवार मानते हैं कि सिर्फ आईएएस की मुख्य परीक्षा (मेन एग्जाम) ही ज्ञान और बुद्धिमत्ता की सच्ची परीक्षा है और आईएएस प्रिलिम्स योग्यता परीक्षा भर है। इस मिथक को जितना जल्द हो सके तोड़ना बहुत जरूरी है क्योंकि जमीन से आरंभिक सीढ़ीयों को चढ़े बिना कोई भी शीर्ष पर नहीं पहुंच सकता।

यह तथ्य है कि आईएएस मेन्स सब्जेक्टिव परीक्षा है जो उम्मीदवारों को उनके उत्तरों के माध्यम से उनकी क्षमताओं को सिद्ध करने का अधिक अवसर देती है लेकिन यदि आप आईएएस प्रिलिम्स में विफल हो जाएंगे तो इस अवसर तक पहुंच ही नहीं पाएंगे। आईएएस प्रिलिमनरी एग्जाम विषय को आपने कितनी अच्छी तरह से समझा है, इसका सच्चा टेस्ट होता है क्योंकि ज्यादातर प्रश्न कथन आधारित होते हैं।

सबसे अच्छा सुझाव होगा कि आईएएस की तैयारी में आप पूरक दृष्टिकोण अपनाएं। आंकड़ों और वर्तमान अंश से तैयारी करना शुरु करें और महत्वपूर्ण तथ्यों को चिन्हित करें क्योंकि इससे आपको वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को हल करने में मदद मिलेगी और मुख्य परीक्षा में तथ्य आपको वर्तमान मुद्दों या विषय पर आपके तर्क का समर्थन करने में मदद करेंगे।

3. परीक्षा के दौरान समय प्रबंधन का अभाव

समय प्रबंधन वह ढीला छोर है जिसे आपको यथासंभव समय–बद्ध टेस्ट का अभ्यास कर कसने की जरूरत है। आपके पास पेपर को कम– से– कम दो बार दुहराने और जरूरत पड़े तो अपना उत्तर बदलने का भी समय होना चाहिए।

आपको एक बार प्रश्न पत्र पढ़ने के लिए जितना समय चाहिए उसका एक लक्षित समय निर्धारित करें और जिन प्रश्नों के उत्तर के लिए आप 110% निश्चित हैं, उन्हें तुरंत अंकित कर लीजिए। आईएएस प्रिलिम्स में 100 प्रश्नों से औसतन 40 प्रश्न ही ऐसे होते हैं जो सीधे– सीधे पूछे जाते हैं और जिनके जवाब आप एक बार में दे सकते हैं। पहला चरण जितनी जल्द हो सके पूरा कर लिया जाना चाहिए। आप जितने प्रत्यक्ष प्रश्नों को हल कर सकते हैं, उन्हें हल करने की कोशिश करिए क्योंकि यह परीक्षा का सबसे अधिक अंक दिलाने वाला हिस्सा होता है।
अब हिट एंड ट्रायल गेम पर आते हैं जो आपको तथ्य कितनी अच्छी तरह से याद हैं, पर आधारित होता है। यह ऐसा चरण है जिसमें आपको 50% निश्चित उत्तर वाले प्रश्नों को हल करने की कोशिश करनी होती है। इसमें समय और सोचने की जरूरत पड़ती है इसलिए सबसे पहले प्रश्न का विश्लेषण करें और फिर उत्तर दें। यदि आप 70वें प्रश्न तक पहुंच चुके हैं तो रुकने की कोशिश करें।

4. टेस्ट सीरीज का अभ्यास नहीं

यदि आपने एक भी टेस्ट नहीं दिया है और सोच रहे हैं कि वास्तविक परीक्षा में आप बहुत अच्छा प्रदर्शन करेंगे तो आप भ्रम में जी रहे हैं। परीक्षाओं से अधिक आप परीक्षा में कैसी प्रतिक्रिया करेंगे, इसे पहचानने की जरूरत है।
कभी– कभी नियमित टेस्ट देना अलग– अलग स्टडी मटेरियल्स को पढ़ने से अधिक महत्वपूर्ण होता है क्योंकि मटेरियल्स हमेशा अनंत होते हैं लेकिन आपका प्रश्न पत्र सिमित होता है। इसलिए आपको निश्चित समय में निश्चित संख्या में प्रश्नों में महारत हासिल करने के लिए अभ्यास करने की जरूरत है।

उम्मीदवारों को यह समझने की जरूरत है कि परीक्षा आपके प्रदर्शन और भाग्य को निर्धारित करे उसकी बजाए वास्तविक परीक्षा से पहले आत्म– मूल्यांकन अधिक बुद्धिमानी भरा फैसला होगा।

5. बेतुके स्टडी मटेरियल

सही समय पर सही सामग्री पढ़ना आईएएस प्रिलिम्स के लिए अच्छा काम कर सकता है लेकिन ऐसे में कहां से पढ़ाई करें, यह चयन न कर पाना विनाशकारी हो सकता है। परीक्षा में किस तरह के अध्ययन सामग्री का प्रयोग करें, इस बारे में कई लेख, सुझाव और पोस्ट इंटरनेट पर उपलब्ध हैं लेकिन आपको क्या नहीं पढ़ना है, पर भी गौर करने की जरूरत है।

पूरे ईयरबुक या किसी सरकारी दस्तावेज के पूरे दस्तावेज को पढ़ने में समय नष्ट करने की बजाय आप स्टैंडर्ड किताबें और अक्सर खबरों में रहने वाली वर्तमान घटनाओं की रीवीजन कर सकते हैं।

6. रीविजन (दुहराना) की कमी

यूपीएससी का कोई भी सफल उम्मीदवार यह बताने में सक्षम होगा कि आईएएस की तैयारी में नई सामग्री को पढ़ने के मुकाबले अवधारणाओं का रीविजन कितना अधिक महत्वपूर्ण है। आईएएस उम्मीदवारों को हमेशा याद रखना चाहिए कि किसी भी परीक्षा में सफलता का सिर्फ एक ही मंत्र है 3R – रीड, रिवाईज और रिवाईज।

परीक्षा में सफल होने वाले ज्यादातर उम्मीदवार वैसे होते हैं जो रीविजन में हमेशा अपडेट होते हैं। संभव है वे किसी भी विषय में महारत न हो लेकिन वे जो भी पढ़ते हैं उसमें सही और सटीक होते हैं। आईएएस प्रिलिम्स की धुरी याद रखने और विश्लेषण करने पर टिकी है और ये दोनों ही यथासंभव रीविजन कर सिद्ध किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

ज्यादातर उम्मीदवार आईएएस अधिकारी बनने की प्रक्रिया पर ध्यान लगाने की बजाय आईएएस अधिकारी बनने पर मिलने वाले दर्जे और विलासिता के मायाजाल में फंसे रहते हैं। संक्षेप में कहें तो आईएएस परीक्षा में कैसे सफल हों, इस पर किसी के भी किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले परीक्षा के पहले चरण यानि प्रिलिम्स परीक्षा में सफल होने के ट्रिक्स को डिकोड करना महत्वपूर्ण है।


लेकिन सिविल सर्विसेज एग्जाम में वास्तम में सफल होने तक उम्मीदवारों को प्रेरित बने रहना चाहिए। ज्यादातर छात्रों के लिए यह बहुत कठिन काम होता है। और हर बीतते वर्ष और प्रत्येक विफल प्रयास के साथ चुनौतियां बढ़ती और मुश्किल होती जाती हैं।

जैसे– जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हम खुद में विश्वास करना छोड़ने लगते हैं। पहले हम जितने घंटे ध्यान लगा पता थे अब वैसा नहीं कर पाते। सभी दोस्त भी अपने जीवन में व्यस्त हो जाते हैं। जिन लोगों के साथ हम बड़े हुए थे, वे सभी सफल करिअर बना चुके होते हैं। हालांकि, यदि उम्मीदवार वाकई सिविल सेवक बनना चाहता है तो उसे हार के बावजूद पढ़ाई जारी रखने का इरादा रखना होगा।

जंगल सुंदर, घने और गहरे हैं लेकिन मैंने चलना जारी रखने का वादा किया है और सोने से पहले मुझे मीलों का सफर तय करना है”- रॉबर्ट फ्रोस्ट

 

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