दोस्तों, प्रत्येक साल लाखों अभ्यर्थी IAS और PCS परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं और सफल होते हैं. हालांकि इन दोनों ही परीक्षाओं में सफल उम्मीदवार की संख्यां बहुत ही कम होती है और वो कुल आवेदन के 1% से भी कम होते हैं. फिर भी युवाओं में इन परीक्षाओं के लिए क्रेज लगातार बढ़ती ही जा रही है.
लेकिन बहुत कम लोग इस नौकरी से जुड़े प्रतिष्ठा, सम्मान और विशेषाधिकार को अच्छे तरह जानते हैं. तो आईये इस विडियो में हम जानते हैं कि IAS
और PCS अधिकारी में क्या अंतर है और इन्हें किस प्रकार का सम्मान और विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं-
पहले जानते हैं कि इन दोनों पदों के लिए चयन प्रक्रिया क्या है?
IAS में बहाली संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय सिविल सर्विसेस परीक्षा के माध्यम से होती है। और केंद्र सरकार द्वारा स्थापित केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) लोक सेवकों की भर्ती और सेवा संबंधित सभी मामलों का फैसला करता है।
वहीँ, PCS में चयन राज्य लोक सेवा आयोग (एसपीएससी) द्वारा आयोजित की जाने वाली राज्य सिविल सेवा परीक्षा द्वारा भर्ती किए जाते हैं। और संबंधित राज्य सरकार के विशेष अनुरोध पर केंद्र सरकार द्वारा स्थापित राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एसएटी) राज्य सरकार के कर्मचारियों की भर्ती और सेवा संबंधित सभी मामलों का फैसला करता है।
अब अगर परीक्षा के पैटर्न की बात करें तो IAS के लिए परीक्षा तीन चरणों– प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार में होती है। प्रश्न तथ्यात्मक की तुलना में अधिक अवधारणात्मक होते हैं।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में अनिवार्य योग्यता एप्टीट्यूड परीक्षा (सीसैट) होती है जो उम्मीदवारों की तर्क कौशल का आसानी से परीक्षण करता है। इसमें एकमात्र क्वालिफाइंग क्षेत्रीय भाषा का पेपर होता है।
PCS के लिए भी परीक्षा तीन चरणों में होती है लेकिन इसमें अवधारणात्मक प्रश्नों की बजाय तथ्यात्मक प्रश्नों पर जोर दिया जाता है। राज्य लोक सेवा परीक्ष में सीसैट का पेपर हो भी सकता है और नहीं भी। कुछ राज्यों में अनिवार्य रूप से क्षेत्रीय भाषा का पेपर या सांख्यिकी का पेपर होता है।
यहाँ इस बात को जानना भी आवश्यक है कि कुछ राज्यों ने इस परीक्षा के लिए UPSC स्तर के सिलेबस और प्रश्नों को व्यवहार में लाया है.
3.नियुक्ति
आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा होती है लेकिन ये उन्हें आवंटित किए गए कैडर में राज्य सरकार के अधीन कार्य करते हैं। पीसीएस अधिकारियों की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा होती है इसलिए ये पूरी तरह से राज्य सरकार के नियंत्रण में होते हैं।
4.निष्कासन
एक आईएएस अधिकारी को सेवा से निष्कासित करने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार (विशेषतौर पर राष्ट्रपति) को है। राज्य सरकार के पास इन अधिकारियों के स्थानांतरण, निलंबन और निष्कासन का पूरा अधिकार होता है।
5. वेतन और वेतनमान
IAS का वेतन और पेंशन कैडर राज्य देता है। चाहे ये किसी भी राज्य में सेवा दे रहे हों पूरे देश में इसका वेतनमान एकसमान होता है। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग भारत में केंद्रीय कार्मिक एजेंसी है जो लोक सेवकों की नौकरी, वेतन, कैडर प्रबंधन और प्रशिक्षण के वर्गीकरण से संबंधित है।
वहीँ, PCS का वेतन और पेंशन पूरी तरह से राज्य सरकार के हाथों में होता है। ये जिन राज्यों में सेवा दे रहे होते हैं उनके अनुसार इनका वेतनमान अलग हो सकता है। कार्मिक विभाग या आम प्रशासनिक विभाग राज्य की केंद्रीय कार्मिक एजेंसी होती है और यही एजेंसी इनकी नौकरी, वेतन, कैडर प्रबंधन और प्रशिक्षण के वर्गीकरण से संबंधित होती है।
6. पदोन्नति और पद
एक आईएएस अधिकारी अपना करिअर एसडीएम (स्वतंत्र कार्यालय) से शुरु कर सकता है और भारत सरकार में सचिव पद तक पहुंच सकता है। नौकरी शुरु करने के बाद एक आईएएस अधिकारी को जिला का कलक्टर बनने में करीब 5-7 वर्षों का समय लग सकता है। इनकी कार्यप्रणाली सभी जानते हैं और सभी पदोन्नतियां समय पर होती हैं।
एक पीसीएस अधिकारी अपने राज्य सेवा के नियमों के अनुसार करिअर की शुरुआत करता है। पीसीएस अधिकारियों की पदोन्नति की प्रक्रिया जिन आईएएस अधिकारियों के साथ काम कर रहे होते हैं, उनकी तुलना में धीमी होती है। राज्य सेवा में काम करने वाले व्यक्ति को आईएएस अधिकारी के पद जितना प्रगति करने में 15-17 वर्षों का समय लग सकता है और संभव है उस उंचाई तक पहुंचने से पहले वह सेवानिवृत्त भी हो जाए।
हालांकि अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1951 के वरिष्ठ पदों पर तैंतीस वर्षों से अधिक नहीं होना चाहिए और आईएएस, आईपीएस और आईएफएस सेवाओं के एक तिहाई पद राज्य सेवा में नियुक्त अधिकारियों के पदोन्नति द्वारा भरी जाने की आवश्यकता है।
7. अन्य अवसर
आईएएस अधिकारी निर्देश के अनुसार केंद्र सरकार के विदेशों में स्थित अलग– अलग कार्यालयों में प्रतिनियुक्ति के आधार पर अपनी सेवाएं देते हैं।
आईएएस अधिकारी अंतर– कैडर स्थानांतरण के पात्र होते हैं और आवश्यकता के अनुसार इन्हें अलग– अलग राज्यों में प्रतिनियुक्ति के आधार पर नियुक्त किया जा सकता है।
पीसीएस अधिकारी को अलग– अलग विभागों में प्रतिनियुक्ति के आधार पर नियुक्त किया जा सकता है लेकिन अपने कैडर राज्य में ही।
हालांकि भारतीय प्रशासनिक सेवा और राज्य लोक सेवा दोनों ही सेवाओं को देश में प्रशासनिक शासन के सुचारू संचालन के एक एजेंडे के तहत बनाया गया था लेकिन राज्य के अनुसार नौकरी के नियमों और विनियमों में अंतर है।
हमारे देश में स्पष्ट क्षेत्रीय विवधता की वजह से व्यापक राज्य केंद्रित सेवा की आवश्यकता है। इसलिए एक स्थानीय प्रशासक के लिए लोगों की तत्काल आवश्यकताओं को समझने में सक्षम होना और उनके क्षेत्रीय स्थितियों के अनुसार प्रतिक्रिया देना अत्यंत आवश्यक है।
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