"Rajyabhishek " आचार्य चतुरसेन द्वारा लिखित एक अद्भुत ऐतिहासिक उपन्यास है, जो पाठकों को रामायण की घटनाओं से जोड़ते हुए एक जीवंत चित्र प्रस्तुत करता है। यह उपन्यास भगवान श्रीराम के द्वारा लंका विजय से लेकर माता सीता के भूमि में प्रवेश तक की घटनाओं को विस्तार से वर्णित करता है। इसकी प्रत्येक पंक्ति और प्रत्येक दृश्य इतना प्रभावशाली और सजीव है कि पाठक स्वयं को उस युग में उपस्थित महसूस करता है।


उपन्यास की विशेषताएँ

  1. जीवंत वर्णन – उपन्यास की भाषा और शैली इतनी प्रभावशाली है कि पाठक को यह महसूस होता है कि वह स्वयं घटनाओं का साक्षी बन गया है।

  2. इतिहास और कल्पना का संगम – यह उपन्यास ऐतिहासिक तथ्यों और साहित्यिक कल्पना का सुंदर समावेश है।

  3. गहरी भावनाएँ – इसमें युद्ध, राजनीति, धर्म, और मानवीय भावनाओं को गहराई से उकेरा गया है।

  4. रोचक शैली – उपन्यास की कथा शैली इतनी प्रवाहमयी है कि पाठक इसे एक बार शुरू करने के बाद छोड़ नहीं सकता।

"Rajyabhishek" की कहानी

यह उपन्यास रामायण के उत्तर-खंड की कहानी को एक नये दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है। राम द्वारा लंका विजय के बाद कैसे अयोध्या का राज्याभिषेक हुआ, कैसे माता सीता को अग्निपरीक्षा देनी पड़ी और अंत में कैसे उन्हें वन गमन करना पड़ा इन सभी घटनाओं को अत्यंत संवेदनशीलता और ऐतिहासिक सटीकता के साथ प्रस्तुत किया गया है।

राम का राज्याभिषेक केवल एक विजय का उत्सव नहीं था, बल्कि यह आदर्श शासन व्यवस्था का प्रतीक भी था। श्रीराम ने जिस प्रकार न्याय और धर्म का पालन करते हुए शासन किया, वह सभी के लिए प्रेरणा है। हालाँकि, उनकी निजी ज़िन्दगी में कई संघर्ष भी थे, विशेषकर माता सीता के प्रति समाज की निष्ठुरता और अयोध्या की प्रजा की कठोर अपेक्षाएँ।


क्यों पढ़ें 'Rajyabhishek'?

यदि आप भारतीय इतिहास, पौराणिक कथाएँ, और रामायण के प्रसंगों में रुचि रखते हैं, तो यह उपन्यास आपके लिए ही है। यह न केवल धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि एक भावनात्मक अनुभव भी प्रदान करता है।

"Rajyabhishek" पुस्तक कैसे खरीदें?

इस अद्भुत उपन्यास को खरीदने के लिए आप प्रमुख ऑनलाइन स्टोर्स जैसे Amazon, Flipkart, और Prabhat Prakashan के स्टोर पर जा कर भी ले सकते हैं।



आचार्य चतुरसेन के बारे में

आचार्य चतुरसेन का जन्म 26 अगस्त 1891 को हुआ था और वे 2 फरवरी 1960 को स्मृतिशेष हुए। वे एक बहुमुखी लेखक, विचारक और चिकित्सा विशेषज्ञ थे। उन्होंने लगभग 40 उपन्यास, 10 नाटक, 10 एकांकी और 450 से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनका साहित्य न केवल ऐतिहासिक और पौराणिक विषयों को प्रस्तुत करता है, बल्कि समाज, धर्म, राजनीति और चिकित्सा जैसे विषयों को भी छूता है।

उनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं:

  • वैशाली की नगरवधू – यह ऐतिहासिक उपन्यास भारतीय इतिहास और संस्कृति को दर्शाता है।

  • वयं रक्षामः – राक्षसों की दृष्टि से रामायण को देखने का एक अनूठा प्रयास।

  • सोना और खून – क्रांतिकारियों के संघर्ष की कहानी।

  • सोमनाथ – मंदिरों और उनके विनाश की गाथा।

  • आरोग्य शास्त्र – चिकित्सा और स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण ग्रंथ।

Conclusion

"राज्याभिषेक" केवल एक ऐतिहासिक उपन्यास नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और मानवीय मूल्यों को समझने का एक माध्यम भी है। आचार्य चतुरसेन की लेखनी इतनी प्रभावशाली है कि यह पाठकों को पूरी तरह से मंत्रमुग्ध कर देती है। यदि आप एक बेहतरीन ऐतिहासिक कथा पढ़ना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए सर्वोत्तम विकल्प है।