कारोबार को चलाने में तकनीक कमाल का काम करती है। आपका उद्यम चाहे किसी भी आकार का क्यों न हो, तकनीक के ऐसे ठोस व अप्रत्यक्ष फायदे होते हैं, जिनसे आप धन कमा सकते हैं और ग्राहकों की माँग के अनुसार सेवा दे सकते हैं। इस पुस्तक की कहानियाँ साबित करती हैं कि कैसे प्रत्येक उद्यमी ने अपना विस्तार करने और सबसे आगे बने रहने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया है। बिजनेस की बढ़ोतरी और उन्नति के लिए नई-नई तकनीकों के प्रयोग और उसके महत्त्व को रेखांकित करती पठनीय पुस्तक, जो सफलता के द्वार खोलेगी।
इस पुस्तक की कहानियाँ साबित करती हैं कि कैसे प्रत्येक उद्यमी ने अपना विस्तार करने और सबसे आगे बने रहने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया है।
1) ऐसे युग में जहाँ नई पीढ़ी में धैर्य की कमी होती जा रही है, वहाँ चंद मिनटों के भीतर ही काम हो जाने की उम्मीद को मानवीय संसाधनों से पूरा करना संभव नहीं है। चूँकि ग्राहकों से संबंध के आधार पर ही कारोबार चलता है और जिस तरह दिन-ब-दिन ग्राहकों का धैर्य खत्म होता जा रहा है, तो सिर्फ तकनीक से ही किसी व्यापार की संस्कृति, दक्षता और संबंधों को संभव बनाया जा सकता है। इसके अलावा तकनीक ही गोपनीय सूचना की सुरक्षा और व्यापार के फायदे की गारंटी देती है।
2) किसी भी व्यापार को चलाते रहने के लिए जरूरी है कि वह बढ़े और नए-नए अवसरों का लाभ उठाए। इंटरनेट की मदद से कोई भी व्यापार नए-नए बाजारों तक पहुँच जाता है, जिसमें न तो किसी बिजनेस जेट का खर्च आता है और न विदेश में फैक्टरी लगाने का जोखिम उठाना पड़ता है। अगर कुछ कारोबार अपने क्षेत्र में दूसरों से बहुत आगे हैं तो इसका मतलब है कि वे तकनीक के प्रभावी उपयोग से अपने प्रतिद्वंद्वियों से एक कदम आगे रहते हैं।
3) इस कारण व्यापार में तकनीक धीरे-धीरे अनिवार्य होती जा रही है। अब कोई भी व्यक्ति दुनिया में कहीं से भी व्यापार कर सकता है। तकनीक से ई-कॉमर्स में जबरदस्त तेजी आई है और व्यापार के वैश्वीकरण में नए-नए आयाम जुड़ गए हैं।
4) विभिन्न प्रकार के कारोबारों से लिये गए इन उदाहरणों से आप समझ जाएँगे कि आपकी पसंद के किसी भी कारोबार में तकनीक की भूमिका क्या हो सकती है। सभी कारोबारी पुरुषों और स्त्रियों से मैं एक ही बात कहता हूँ कि तकनीक की सहायता से आप कारोबार में कुछ भी हासिल कर सकते हैं।
एन. रघुरामन
मुंबई विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट और आई.आई.टी. (सोम) मुंबई के पूर्व छात्र श्री एन. रघुरामन मँजे हुए पत्रकार हैं। 30 वर्ष से अधिक के अपने पत्रकारिता के कॅरियर में वे ‘इंडियन एक्सप्रेस डीएनए’ और ‘दैनिक भास्कर’ जैसे राष्ट्रीय दैनिकों में संपादक के रूप में काम कर चुके हैं। उनकी निपुण लेखनी से शायद ही कोई विषय बचा होगा, अपराध से लेकर राजनीति और व्यापार-विकास से लेकर सफल उद्यमिता तक सभी विषयों पर उन्होंने सफलतापूर्वक लिखा है। ‘दैनिक भास्कर’ के सभी संस्करणों में प्रकाशित होनेवाला उनका दैनिक स्तंभ ‘मैनेजमेंट फंडा’ देश भर में लोकप्रिय है और तीनों भाषाओं मराठी, गुजराती व हिंदी में प्रतिदिन करीब तीन करोड़ पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है। इस स्तंभ की सफलता का कारण इसमें असाधारण कार्य करनेवाले साधारण लोगों की कहानियों का हवाला देते हुए जीवन की सादगी का चित्रण किया जाता है।