UPSC क्या सिर्फ Toppers Clear करते हैं ?
यूपीएससी का नाम जितना बड़ा है उतना ही बड़ा उसका मान है। और जिसका नाम और मान बड़ा होता है उसके साथ सम्मान भी उतना ही बड़ा जुड़ जाता है। जो लोग यूपीएससी क्लियर करते हैं उनसे मिल कर, उनसे बात करने पर आप के मन में उनके प्रति एक सम्मान जागृत हो जाता है। उनसे मिल कर आपको लगता है कि यार ये इंसान कितना जानकार है, इसने कितनी मेहनत की है और पढ़ाई के प्रति इसका लगाव तो जरूर बचपन से रहा होगा तभी तो आज ये यूपीएससी क्लियर कर पाया है या कर पायी है। है ना? लेकिन क्या अप जानते हैं कि जो लोग यूपीएससी क्लियर करते हैं उनमे से अधिकांश ऐसे होते हैं जो Topper तो छोड़िए, बल्कि स्कूल कॉलेज में एक Average स्टूडेंट होते हैं। यदि आपको यकीन नहीं हो रहा हो तो इस Blog को पूरा जरूर देखिये।
अभी कुछ ही दिनों पहले एक फिल्म आयी थी – 12th फ़ेल। ये फिल्म आईपीएस मनोज शर्मा के जीवन पर आधारित है। अब चूंकि आप यूपीएससी Aspirant हैं तो आपने वो फिल्म जरूर देखी होगी। तो मैं उस फिल्म के बारे में तो ज्यादा बात नहीं करूंगी लेकिन हाँ इतना जरूर कहूँगी कि उस फिल्म में जो दिखाया गया है दरअसल वही यूपीएससी का सच है। और वो सच ये है कि जीवन में सफलता पाने के लिए संघर्ष तो सभी करते हैं लेकिन सफलता का स्वाद वही चख पाता है, जिसके संघर्ष में लक्ष्य की प्राप्ति ही अंतिम निर्णय हो। सफलता के बाद वह अन्य लोगों के लिए आदर्श बन जाता है।
यदि आपको अब भी मेरी बात पर भरोसा नहीं है तो आप और भी लोगों की कहानी सुन लीजिए। केरल की रहने वाली एक पेशेवर नर्स एनीज़ कनमनी जॉय 2011 में 65वीं रैंक के साथ आईएएस बनीं। एक मध्यम वर्गीय कृषक परिवार में जन्मी एनीज़ को कुछ साल पहले तक यह भी पता नहीं था कि स्नातक होने के नाते वह यूपीएससी के लिए पात्र हैं। 2010 में उन्होंने अपना पहला प्रयास किया और 580वीं रैंक हासिल की। उस वक्त मिल रहे आईसीएएस पद से संतुष्ट नहीं होने पर, उन्होंने 2011 में अपने दूसरे प्रयास में अपना सब कुछ दे दिया और आईएएस अधिकारी बनकर अपने परिवार और अपने गांव को गौरवान्वित किया।
कुछ ऐसी ही कहानी नेहा नौटियाल की है। नेहा नौटियाल ने यूपीएससी सीएसई 2011 में अखिल भारतीय स्तर पर 185वीं रैंक हासिल की। वह यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के दौरान नौकरी कर रही थीं। नेहा ने अपनी पोस्ट-ग्रेजुएशन (M.SC - जूलॉजी) पूरी की और एक औसत छात्रा थी। यह उन्हें आईएएस परीक्षा में सफल होने और अपने सपने को हासिल करने से नहीं रोक सका। एक कामकाजी पेशेवर होने के बावजूद, नेहा हर दिन कम से कम एक घंटा पढ़ाई करती थी। उनकी कड़ी मेहनत और समय प्रबंधन कौशल का फल उन्हें 2011 में मिला जब उन्हें अपने दूसरे प्रयास में सेवा के लिए चुना गया। नेहा के अनुसार, यह एक शानदार अकादमिक प्रोफ़ाइल नहीं है, बल्कि दृढ़ता, आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण है जो किसी को भी महान ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। वह कहती हैं कि इस परीक्षा को पास करने के लिए किसी भी अन्य चीज से ज्यादा जरूरी है करेंट अफेयर्स से अपडेट रहना। वह खुद को एक औसत छात्रा मानती हैं और स्वीकार करती हैं कि दैनिक समाचार पत्र पढ़ने की उनकी आदत ने उनके पक्ष में काम किया है।
वैसे तो कहानियाँ और भी कई सारी हैं मेरे पास और यदि मैं हर कहानी आपको सुनाने लगूँ तो शायद ये विडियो 4 5 घंटे से भी लंबा हो जाए। लेकिन जो बात मैं आपको समझाना चाह रही हूँ वो ये है कि यूपीएससी की तैयारी करने वाले हर सिरियस कैंडिडैट के जीवन के दो phase होते हैं। upsc की तैयारी के पहले का और यूपीएससी की तैयारी के दौरान का। तैयारी से पहले आपने क्या किया इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। फर्क बस इस बात से पड़ेगा कि तैयारी के दौरान आप क्या करते हैं और आपके अंदर लड़ने की आग कितनी है। यदि आप भी कॉलेज में अच्छा perform नहीं कर पाये हैं तो इसका मतलब ये कतई नहीं है कि आप यूपीएससी की तैयारी नहीं कर सकते या यूपीएससी क्लियर नहीं कर सकते हैं। यदि आप अपने अंदर वो Fire Develop कर लें जिससे आप हर मुश्किल का सामना कर सकें, तो यूपीएससी भी आपके लिए कोई मुश्किल नहीं काम होगा।