दिल्ली हाई कार्ट ने उठाया UPSC कोचिंग सेंटर्स पर सख्त कदम


दिल्ली के मुखर्जी नगर में स्थित कोचिंग सेंटर्स अक्सर चर्चाओं का विषय बने रहते हैं. अभी कुछ समय पहले भी इन पर एक करवाई की गयी थी जिसमें विशेष तौर पर बच्चों की Safty का मुद्दा और झूठे प्रचार का मुद्दा शामिल था.  अब एक बार फिर से ये कोचिंग सेंटर्स चर्चाओं का विषय बने हैं और इस बार तो दिल्ली है कोर्ट ने इन कोचिंग सेंटर्स पर सख्त करवाई करो के आदेश दिए हैं. क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं आज की Blog में.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 5 अप्रैल यानि शुक्रवार को वकील गौतम नारायण की अध्यक्षता में वकीलों की एक टीम गठित की, जो मुखर्जी नगर में चल रहे कोचिंग सेंटरों का निरीक्षण कर उनकी स्थिति और सुरक्षा पर रिपोर्ट मांगेगी.

हाई कोर्ट ने मुखर्जी नगर में स्थित कोचिंग सेंटरों के संचालन से संबंधित कई मामलों की सुनवाई कर रहा था,  जिसमें पिछले साल शुरू की गई स्वत: संज्ञान याचिका भी शामिल थी- आपको बता दें यह वो याचिका है जिसने 2023 में चार मंजिला इमारत में एक कोचिंग सेंटर में आग लगने की घटना का संज्ञान लिया था.

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और रविंदर डुडेजा की खंडपीठ ने कहा: "हम अतिरिक्त रूप से एक स्वतंत्र टीम का गठन करते हैं, जिसका नेतृत्व विद्वान न्याय मित्र श्री गौतम नारायण करेंगे, जो स्वतंत्र रूप से क्षेत्र का निरीक्षण करेगी और पाए गए कोचिंग सेंटरों की संख्या पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।" परिचालन, और उनमें से कितने को यूबीबीएल के अनुपालन में कहा जा सकता है”

इस मामले में नियुक्त न्याय मित्र नारायण की सहायता के लिए, हाई कार्ट ने दिल्ली कानूनी सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को न्याय मित्र के साथ पैनल में शामिल पांच वकीलों को रखने के लिए कहा.

भले ही पहले से मौजूद कोचिंग संस्थानों ने संचालन बंद कर दिया हो, लेकिन नए केंद्र उसी परिसर में खुल गए हैं और चालू हैं.

हाई कार्ट के अनुसार, निरीक्षण के लिए इस स्वतंत्र टीम का गठन "पहले से जारी निर्देशों के निरंतर अनुपालन में MCD यानि की दिल्ली नगर निगम और अन्य वैधानिक प्राधिकरणों के निरंतर दायित्व" के अतिरिक्त है.

इसके बाद पीठ ने कहा, "हम दिल्ली फायर सर्विसेज को निर्देश देते हैं कि वे संबंधित क्षेत्र के सत्यापन की एक स्वतंत्र प्रक्रिया शुरू करें, और गैर-पुष्टि करने वाले कोचिंग सेंटरों की संख्या के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें, जिनकी पहचान की जा सकती है"

सुनवाई के दौरान, MCD ने अपनी रिपोर्ट के माध्यम से अदालत को सूचित किया कि 21 कोचिंग संस्थानों ने स्वेच्छा से अपना संचालन बंद कर दिया है. साथ ही रिपोर्ट के अनुसार, 25 कोचिंग सेंटरों को सीलिंग के नोटिस जारी किए गए हैं, और इनमें से छह को पहले ही सील किया जा चुका है; और यह भी कि "MCD शेष के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करेगी"

इस मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद की जायेगी. अदालत ने कहा कि वह उस दिन कोचिंग सेंटरों को "शैक्षिक भवनों" की परिभाषा में शामिल करने के खिलाफ कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की एक याचिका पर भी सुनवाई करेगी, जिसके लिए उन्हें अग्नि सुरक्षा आदि के लिए कुछ विशिष्ट अनुपालन करने की आवश्यकता होती है.

इसके बाद MCD के वकील ने कहा कि कुछ अनुपालन शिक्षा भवनों (जैसे स्कूल या कॉलेज) पर लागू किए गए हैं और ये कोचिंग सेंटर पर लागू नहीं हैं.

“इसे लागू क्यों नहीं किया जाना चाहिए, और इन शर्तों को जोड़ना मनमाना क्यों होगा, यह एक सवाल है जिसका आपको जवाब देना होगा. मुख्य प्रश्न जो हम प्रस्तावित करते हैं वह यह है कि भले ही आप ऐसे क्षेत्र में एक कोचिंग सेंटर स्थापित करने आए हैं जहां मिश्रित भूमि उपयोग की अनुमति है, एक बार ऐसी गतिविधि शुरू होने के बाद क्या आप आवासीय रह जाते हैं या चरित्र से वंचित हो जाते हैं? पीठ ने मौखिक रूप से कहा.

अदालत ने MCD को एक नई स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा, जिसमें मुखर्जी नगर में अब तक संचालित कुल कोचिंग सेंटरों की संख्या बताई जा सके.

अब देखना ये होगा कि इतने कड़े एक्शन के बाद क्या कोचिंग सेंटर्स खुद को सुधारते हैं या फिर इस तरह चलते जाते हैं.