ये नहीं जानते ? तो भूल जाओ IAS


यूपीएससी को देश की सबसे मुश्किल परीक्षा माना जाता है। हर Aspirant जो इस मैदान में कूदता है उसके मन में यही आस होती है कि वह भी यहाँ अपनी सफलता के झंडे गाड़ेगा। लेकिन एक कड़वा सच यही है कि इस परीक्षा में बैठने वाले निन्यानबे दशमलव नौ नौ प्रतिशत लोग यहाँ से खाली हाथ वापस जाने वाले हैं। तो सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्यों है या यूं कहें कि वो कौन सी चीज है जो ये असफल लोग समझ नहीं पाते और सफल होने वाले लोग समझ लेते हैं। तैयारी के समय आपको गाइड करने के लिए कई सलाह दिये जाते हैं लेकिन एक छोटी सी बात जिस पर शायद ही कोई ध्यान देते है वह है – व्यक्तित्व का विकास। जी हाँ, यूपीएससी ही नहीं यदि आप किसी भी क्षेत्र में सफल होना छाते हैं तो यह बेहद जरूरी है कि आप अपने व्यक्तित्व का विकास करें और हर समय करते रहें।

सफलता एक ऐसा शब्द है जो हर कोई प्राप्त करना चाहता है. लेकिन सफलता प्राप्त कैसे की जाए यह बहुत कम लोग जानते है. लेकिन जो प्राप्त करना चाहते है उनको यह पता नहीं होता कि व्यक्तित्व के विकास में ही ऐसी बहुत सारी खूबियाँ छुपी होती हैं जिनको सुधार लेने मात्र से ही कई सारी असफलताओं को आप सफलता में बदल सकते है।

व्यक्तित्व को निखारा कैसे जाए यह जानने से पूर्व यहाँ यह जान लेना उचित होगा कि व्यक्तित्व होता क्या है. “व्यक्तित्व व्यक्ति की उस सम्पूर्ण छवि का नाम होता है जो आप दूसरों के सामने बनाते हैं.” यदि आपकी छवि सकारात्मक होती है तो आप एक ही व्यक्ति होकर भी दूसरे के सामने प्रशंसा के पात्र हो जाते हैं जबकि यदि आपकी छवि नकारात्मक होती है तो वही आप को अपमान के पात्र बन सकते हैं

व्यक्तित्व को निखारा कैसे जाए यह जानने से पूर्व यहाँ यह जान लेना उचित होगा कि व्यक्तित्व होता क्या है. “व्यक्तित्व व्यक्ति की उस सम्पूर्ण छवि का नाम होता है जो आप दूसरों के सामने बनाते हैं.” यदि आपकी छवि सकारात्मक होती है तो आप एक ही व्यक्ति होकर भी दूसरे के सामने प्रशंसा के पात्र हो जाते हैं जबकि यदि आपकी छवि नकारात्मक होती है तो वही आप को अपमान के पात्र बन सकते हैं

दोस्तों, तैयारी करने वाले हर छात्र के पास संसाधन एक से ही होते हैं और कइयों के पास तो कम भी होती है। कई लोग ऐसे भी हैं जो बिना किसी Proper Guidance के, बिना किसी कोचिंग के भी इस परीक्षा मे सफल हो जाते हैं। तो उसका कारण है कि वे अपने व्यक्तित्व में वह बदलाव लाते हैं जो उन्हें आईएएस के लिए एक योग्य बना देती है। ज्ञान तो आप कितना भी इकट्ठा कर लें, आप चाहें कितनी भी सूचनाएँ अपने अंदर समेट लें, चाहें आप कितना भी आन्सर राइटिंग की प्रैक्टिस कर लें लेकिन अंत तक जाते हजाते जो चीज आपको औरों से अलग कर देगी वह है आपका व्यक्तित्व।

हालांकि ऐसा माना जाता रहा है कि व्यक्तित्व एक अवधारणा है जो स्थिर और अपरिवर्तनीय होता है या कुछ ऐसी चीज है जिसके साथ आपका जन्म होता है। वास्तव में हाल तक कई शिक्षाविद् का विश्वास रहा है और उन्होंने इस बात का प्रचार– प्रसार भी किया है कि आप अपने व्यक्तित्व में कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता को मिला दें तो उसे आप इस प्रकार बना सकते हैं जो आपके शैक्षणिक आवश्यकताओं के साथ– साथ व्यावसायिक आवश्यकतओं के भी अनुरूप हो सकता है। लें कुछ ऐसी बातें हैं जिनकी मदद से आप भी चाहें तो अपने व्यक्तित्व में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं

1. आत्मविश्वास - व्यक्तित्व आपका अभिन्न हिस्सा है और इसलिए जब तक आप अपने सोचने, विश्वास और काम करने के तरीके में आत्मविश्वास नहीं दिखाएंगे, यह दूसरों के लिए मायने नहीं रखेगा। इसलिए आपके सामने रखी गई चुनौती को पूरा करने के लिए आपका खुद की योग्यताओं और क्षमताओं में विश्वास होना बहुत महत्वपूर्ण है।

2. सकारात्मक सोच रखें - सकारात्मक सोच के बारे में सदैव ये बात कही जाती हैं, “जो आप सोचते हैं. वही बोलते हैं. और जो आप बोलते है वही आप करते हैं.” मतलब यदि आप सदैव उच्च और सकारात्मक विचार रखेंगे तो आप हमेशा सृजनात्मक कार्य करेंगे. जो न सिर्फ आपको मानसिक संतुष्टि देता है अपितु  इससे अपने आपके भीतर एक तरह का आत्म-सम्मान पैदा होता है. जो आपके आत्म-विश्वास को बढाता है।

3. अपना आकलन स्वयं करें - मैनेजमेंट में एक सिद्धांत है जिसे स्वॉट (SWOT) अनैलेसिस के नाम से जाना जाता है. इस सिद्धांत के अनुसार अक्सर वे लोग बाज़ार में अथवा अपने कार्यों में असफल होते हैं जिन्होंने अपना आकलन नहीं किया हुआ होता है और उनको अपनी शक्ति का एहसास नहीं होता है. स्वॉट का पूरा मतलब होता – Strenght –ताकत, Weakness –कमजोरी, Opportunity –अवसर और Threat –चुनौती. इसका मतलब यह हुआ की जो व्यक्ति अपनी ताकत को पहचान कर, अपनी कमजोरियों को सुधार कर, अपने सामने आये किसी अवसर को नहीं छोड़ता उसको कोई पराजित नहीं कर सकता. और उसके रास्ते में आनेवाली छोटी-मोटी चुनौतियाँ भी बहुत बड़ी बाधा नहीं बन सकतीं जिसको पार न किया जा सके।

4. व्यवहार - व्यक्तित्व में आपके दैनिक जीवन के प्राकृतिक अंग, आदतें और व्यवहार पैटर्न्स भी शामिल होते हैं। इसलिए आप विजेता व्यक्तित्व को कैसे विकसित करते हैं और उसे दूसरों के सामने किस प्रकार प्रस्तुत करते हैं, पर आपकी प्रवृत्ति का गहरा प्रभाव पड़ता है। शिष्ट और विनम्र व्यहार कभी भी पुराना नहीं होता। इसलिए ये कुछ ऐसी बातें हैं जिन्हें आपको अपने व्यक्तित्व में विकसित करने का प्रयास करना चाहिए।

5. खुश रहें - जीवन में आपको ऐसे हजारों लोग मिले होंगे जिनके जीवन में आलोचना के सिवाय दूसरी कोई बात सूझती ही नहीं. हमेशा किसी न किसी बात को लेकर दुखी ही रहते हैं. ऐसे व्यक्तियों के साथ रहने और ऐसा व्यवहार करने से आपके भीतर न सिर्फ नकारात्मक बातों का संचार होता है अपितु आपकी सारी सकारात्मक ऊर्जा इन्हीं बातों में ख़त्म हो जाती है और आप कुछ नया कर ही नहीं पाते. इसलिए कहते हैं, जीवन में सदैव मस्त रहना चाहिए, खुश रहना चाहिए जिससे आपको नए-नए काम करने में हमेशा रूचि बनी रहे