UPSC में Disabled Candidate को कौन-कौन सी Post दी जाती है?
दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि 2011 की जनगणना के अनुसार हमारे देश की लगभग सवा दो प्रतिशत आबादी दिव्यांग जनों की है। किसी शारीरिक या मानसिक विकार के कारण एक सामान्य मनुष्य की तरह किसी कार्य को करने में परेशानी या न कर पाने की क्षमता को दिव्यांगता के रूप में पारिभाषित किया जाता है। दिव्यांग व्यक्तियों में, दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित, वाकबाधित, अस्थि दिव्यांग और मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्ति शामिल हैं। दिव्यांग जनों की शारीरिक कमी उनके जीवन में कोई बाधा न बने इसके लिए सरकार ने कई प्रकार के प्रावधान किए हैं जिनमे से एक है सरकारी नौकरियों में उनके लिए आरक्षण का। और आज के वीडियो में हम यह जानेंगे कि यूपीएससी में दिव्यांग जनों के आरक्षण का क्या प्रावधान है।
यू.पी.एस.सी. परीक्षा में विकलांगता श्रेणी में परीक्षा देने या किसी पद के लिए योग्य होने के लिए यह सबसे ज़रूरी शर्त है कि उम्मीदवार को प्रमाणित रूप से बेंचमार्क विकलांगता की श्रेणी में होना चाहिए।
परीक्षा का फॉर्म भरते वक़्त यह आवश्यक है कि अभ्यर्थी के पास उसकी बेंचमार्क विकलांगता को प्रमाणित करता विकलांगता प्रमाण पत्र होना चाहिए। यदि किसी के पास पहले से वैध विकलांगता प्रमाण-पत्र नहीं है तो संघ ने उसके लिए प्रोफोर्मा भी दिया हुआ है जिसे भर कर केंद्र या राज्य सरकार द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड से विकलांगता को प्रमाणित कराया जा सकता है।
चूँकि हर तरह की विकलांगता को एक ही श्रेणी में रखना व्यवहारिक नहीं है, यू.पी.एस.सी. बेंचमार्क विकलांगता वाले लोगों को पाँच उप-श्रेणियों में रखता है। ध्यान रहे कि इन पाँच श्रेणियों में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 से मान्यता प्राप्त विकलांगताओं को शामिल किया जाता है।
PwBD 1 (बेंचमार्क विकलांगता श्रेणी 1) – कम दृष्टि व दृष्टिबाधिता
PwBD 2 (बेंचमार्क विकलांगता श्रेणी 2) – श्रवण दोष और बधिरता
PwBD 3 (बेंचमार्क विकलांगता श्रेणी 3) – चलन सम्बन्धी विकलांगता जिसमें कुष्ठ के ठीक हुए मरीज, सेरिब्रल पाल्सी, बौनापन, तेज़ाब हमले से प्रभावित और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी वाले व्यक्ति शामिल हैं
PwBD 4 (बेंचमार्क विकलांगता श्रेणी 4) – ऑटिज्म, मानसिक विकलांगता, विशिष्ट ज्ञान अक्षमता और बौद्धिक अक्षमता
PwBD 5 (बेंचमार्क विकलांगता श्रेणी 5) – श्रेणी 1 और 4 की विकलांगताओं को मिलकर हुई बहु-विकलांगता जिसमें डेफ-ब्लाइंडनेस (बधिरता और दृष्टिबाधिता का साथ में होना) भी शामिल है।
यू.पी.एस.सी. परीक्षा में विकलांग अभ्यर्थियों को मिलने वाली विशेष रियायत
4% आरक्षण – हर विकलांगता श्रेणी को मिलाकर हर वर्ष कुल रिक्तियों का 4% विकलांग अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित होता है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि नौकरी के कार्य की माँग को देखते हुए विकलांग अभ्यर्थियों के लिए कुछ पद चिन्हित किये गए हैं और उन्हीं पदों पर विकलांग अभ्यर्थियों की भर्ती संभव है। उदाहरण के तौर पर आई.पी.एस. के पदों के लिए अधिकतर विकलांग अभ्यर्थियों का चयन व्यवहारिक नहीं होता और इन पदों पर उनकी भर्ती नहीं होती।
वैध प्रयासों की संख्या – सामान्य (General) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के अभ्यर्थियों के लिए वैध प्रयासों की संख्या 9 है जबकि अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए ऊपरी आयु सीमा तक पहुँचने तक असीमित है। अर्थात यदि एक विकलांग व्यक्ति सामान्य या अन्य पिछड़ा वर्ग से आता है तो संघ उसे ऊपरी आयु सीमा तक पहुँचने तक में 9 बार सिविल सेवा परीक्षा में बैठने की इज़ाज़त देता है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विकलांग अभ्यर्थियों के लिए वैध प्रयासों की संख्या पर कोई रोक नहीं है।
उम्र की सीमा – कोई भी विकलांग अभ्यर्थी 42 वर्ष की उम्र तक सिविल सेवा की परीक्षा में बैठ सकता है।
परीक्षा के दौरान अतिरिक्त समय – सिविल सेवा परीक्षा में विकलांग अभ्यर्थियों को अतिरिक्त समय देने का भी प्रावधान है। प्रति घंटे की परीक्षा के लिए विकलांग व्यक्ति को 20 मिनट का अतिरिक्त समय दिया जाता है।
स्क्राइब या उत्तर लेखक – ऐसे विकलांग अभ्यर्थी जो अपनी परीक्षा खुद नहीं लिख सकते उनके लिए स्क्राइब या उत्तर लेखक देने का भी प्रावधान है। कम दृष्टि वाले अभ्यर्थियों को बड़े अक्षरों में छपे प्रश्न-पत्र भी दिया जा सकता है।