IAS बनना गरीबो का सपना क्यों होता है ?


भारत में हर साल यूपीएससी की परीक्षा होती है और हर साल लगभग 700 लोग इस प्रतिष्ठित परीक्षा के लिए सिलैक्ट होते हैं। इनमे से सबसे ज्यादा Selection उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से होता है। आंकड़ों के हिसाब से हर साल सिविल सेवा के लिए चुने जाने लोगों में से लगभग 15 प्रतिशत छात्र उत्तर प्रदेश तो लगभग 10 प्रतिशत स्टूडेंट्स बिहार से आते हैं। यानि टोटल Selection का 25 प्रतिशत या यूं कहें एक चौथाई हिस्सा तो सिर्फ इन दोनों राज्यों से कवर हो जाता है। एक और बहुत ही इंट्रेस्टिंग Fact ये भी है कि आईएएस की तैयारी, जो वैसे तो सभी राज्यों के स्टूडेंट्स करते हैं, मगर उन राज्यों के Students में इसका क्रेज सबसे जादा है जहां गरीबी ज्यादा है जैसे कि उत्तर प्रदेश, बिहार, ओड़ीशा, मद्य प्रदेश इत्यादि। तो आखिर ऐसा क्यों है कि जहां गरीबी ज्यादा है, वहाँ आईएएस बनने का क्रेज भी ज्यादा है, आइए जानते हैं आज एक इस Blog में।


दोस्तों, गरीबी एक अभिशाप है जो बड़े से बड़े हौसले वाले इंसान को भी तोड़ कर रख देती है। हमारे देश में गरीबी धीरे धीरे घट तो रही है मगर इसकी रफ्तार इतनी धीमी है कि आज भी हमारी आबादी का आधे से अधिक हिस्सा अपने राशन के लिए पूरी तरह से सरकार पर निर्भर करता है। देश के कुछ राज्य तो अपने यहाँ से गरीबी को मिटाने में काफी हद तक सफल रहे हैं मगर वहीं कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां की 70 – 80 प्रतिशत आबादी आज भी गरीबी, बहुत ही अधिक गरीबी में अपना जीवन जीने के लिए मजबूर है।


अब इस गरीबी से निकलने का प्रयास तो हर कोई कर रहा होता है मगर जब आपके पास पैसे नहीं होते ना, तब आपके पास मौके भी ना के बराबर ही होते हैं। वो क्या है न कि बिज़नस करने के लिए भी पैसा इन्वेस्ट तो करना ही पड़ता है और जब आपके पास इतने पैसे भी ना हो कि आप दिन में दो वक़्त का खाना खा सकें तो बिज़नस तो बहुत दूर की बात है। ऐसे में अपनी गरीबी से निकलने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप कोई अच्छी नौकरी ढूंढ लें मगर गरीब राज्यों के साथ एक बड़ी समस्या यह भी होती है कि वहाँ प्राइवेट नौकरियाँ भी बहुत कम होती है तो ऐसे में लोगों के पास एक ही रास्ता बचता है – सरकारी नौकरी। और जब सरकारी नौकरी में सबसे पहला नाम जो दिमाग में आता है वह है – यूपीएससी।


यूपीएससी एक ऐसा जरिया है जो इन गरीब राज्य के लोगों को कई प्रकार से आना जीवन स्तर सुधारने का अवसर देता है। इनमे से कुछ इस प्रकार है –


सामाजिक स्थिति - भारत में एक आईएएस अधिकारी का पद बहुत उच्च दर्जे का माना जाता है। इसे सफलता और उपलब्धि के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यूपी और बिहार में, जहां उच्च स्तर की गरीबी और बेरोजगारी है, आईएएस अधिकारी बनना गरीबी से बचने और किसी की सामाजिक स्थिति में सुधार करने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है।


शक्ति और प्रभाव - आईएएस अधिकारियों के पास बहुत अधिक शक्ति और प्रभाव होता है। वे लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार हैं। यूपी और बिहार में, जहां सरकार में बहुत भ्रष्टाचार और अक्षमता है, आईएएस अधिकारी बनना लोगों के जीवन में बदलाव लाने और उन्हें बेहतर बनाने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है।

नौकरी की सुरक्षा - आईएएस अधिकारियों के पास जीवन भर नौकरी की गारंटी होती है। उन्हें अच्छा वेतन और लाभ भी मिलता है। यूपी और बिहार में, जहां भविष्य को लेकर बहुत अनिश्चितता है, आईएएस अधिकारी बनना किसी के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है।

चुनौती - यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। यह किसी की बुद्धिमत्ता, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की एक कठोर परीक्षा है। यूपी और बिहार में कई लोग आईएएस अधिकारी बनने की चुनौती से आकर्षित होते हैं।

राज्य में अवसरों की कमी: बिहार में अविकसितता का एक लंबा इतिहास है। राज्य में खराब शिक्षा प्रणाली, कमजोर औद्योगिक आधार और उच्च स्तर का भ्रष्टाचार है। परिणामस्वरूप, बिहार में युवाओं के लिए अच्छी नौकरी पाने के अवसर सीमित हैं। आईएएस अधिकारी बनना बिहार की गरीबी और निराशा से बचने और अपने और अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य बनाने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है।

इन कारणों के अलावा, कुछ सांस्कृतिक कारक भी हैं जो यूपी और बिहार के लोगों के बीच आईएएस की लोकप्रियता में योगदान करते हैं। उदाहरण के लिए, इन राज्यों में शिक्षा और सार्वजनिक सेवा पर ज़ोर दिया जाता है। बहुत से लोग मानते हैं कि अपने समुदाय और देश की सेवा करना उनका कर्तव्य है और आईएएस अधिकारी बनना ऐसा करने का एक तरीका माना जाता है।