हिंदी मीडियम कैसे बने UPSC टॉपर ?


बदलते वक्त के साथ जीने का अंदाज के साथ ही एक और चीज बदली और वो है युवाओं की करियर से जुड़ी रुचियां। आज युवाओं के पास कई सारे विकल्प मौजूद हैं। लेकिन एक चीज में कोई बदलाव नहीं आया और वो है आईएएस बनने का ख्वाब। ये एक ऐसा ख्वाब है जो हमेशा से युवाओं को अपनी तरफ आकर्षित करता रहा। आज भी न जाने कितने युवा बड़ी-बड़ी कंपनियों की मोटे पैकेज वाली नौकरियां छोड़कर यूपीएससी की तैयारी करने लगते हैं और आईएएस बन जाते हैं। लेकिन एक मजेदार तथ्य ये है कि जिन दो राज्यों से सबसे ज्यादा सिविल सरवेंट चुने जाते हैं वो हैं - उत्तर प्रदेश और बिहार, और इन दोनों ही राज्यों की आधिकारिक भाषा तो हिन्दी है मगर फिर भी आईएएस बनने वालों में हिन्दी के विद्यार्थियों की संख्या बहुत कम ही है। तो आज के वीडियो में हम जानेंगे कि हिन्दी माध्यम के विद्यार्थी कैसे यूपीएससी ना सिर्फ Qualify कर सकते हैं बल्कि Top भी कर सकते हैं।


कभी यूपी और बिहार जैसे राज्यों का लगभग हर युवा आईएएस बनने के बारे में सोचता जरूर था और आर्ट्स बैकग्राउंड के लोगों को तो मान लिया जाता था कि वे यूपीएससी की तैयारी ही करेंगे। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। अब इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसी पढ़ाई करने वाले युवा आईएएस की तरफ आकर्षित हो रहे हैं और बड़ी संख्या में चयनित भी हो रहे हैं। लेकिन चिंता की बात ये है कि चयनित उम्मीदवारों में हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं की पृष्ठभूमि से आने वाले युवाओं की संख्या लगातार कम होती गई। हालत ये हो गई कि टॉप 100 उम्मीदवारों में हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले लोगों के नाम बड़ी मुश्किल से खोजने से मिलते हैं। इस चिंता के बीच एक सुखद खबर सुनने को मिली जब साल 2014 की यूपीएससी की परीक्षा में हिंदी माध्यम के अभ्यर्थी निशांत जैन को 13वीं रैंक मिली। उनका इस यूपीएससी में चयनित होना और आईएएस बनना आज भी हिंदी अभ्यर्थियों में आत्मविश्वास भर रहा है।


जहां तक हिंदी माध्यम में यूपीएससी देने की बात है तो दो बातें समझ में आती हैं - एक तो हिंदी में अच्छे मटीरियल और सोर्स की कुछ कमी है। उदाहरण के तौर पर करेंट अफेयर्स कवर करने के लिए अंग्रेजी में द हिंदू अखबार है, लेकिन उसके मुकाबले हिंदी में कोई अखबार नहीं दिखता। हालाँकि अब इस समस्या का समाधान काफ़ी हद तक हो गया है और ज़्यादातर सभी सरकारी और उत्कृष्ट निजी प्रकाशनों के हिंदी अनुवाद बाज़ार में उपलब्ध हैं।


दूसरी बात ये कि हिंदी माध्यम के युवाओं की परवरिश कुछ ऐसी हुई होती है कि उन्हें हमेशा लगता रहता है कि अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले लोग उनसे बेहतर हैं। इससे उनके अंदर एक तरह की हीन भावना भर जाती है। इससे उनका आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है और वे परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते।


तो यदि आप सफल होना चाहते हैं तो सबसे पहले तो अपने मन से यह भाव निकाल दीजिये कि आप किस इसे कम हैं। अपने ऊपर पूरा भरोसा रखिए और इसी भरोसे के साथ अपनी तैयारी कीजिये। यूपीएससी की खासियत है कि इसमें सफल होने का कोई फिक्स फॉर्म्यूला नहीं है। लेकिन एक बात है कि सिलेबस तय है और हर विषय एक दूसरे से इस तरह जुड़ा हुआ है कि हम कुछ भी अलग नहीं कर सकते। इसलिए हमें हर विषय को एक दूसरे से जोड़ते हुए पढ़ना चाहिए। यहां तक कि करेंट अफेयर्स को भी। दूसरी बात, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र के जो अलग-अलग खंड हैं वे भी एक दूसरे से पूरी तरह से जुड़े हुए हैं। जैसे भूगोल का अर्थव्यवस्था से काफी गहरा संबंध है तो अर्थव्यवस्था का असर राजनीति और अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों पर भी पड़ता है। तो इस संबंध को पहचानने की जरूरत है और बिना किसी विचारधारा से प्रभावित हुए संतुलित रहकर बगैर अगर आप उत्तर लिख पाएं तो ज्यादा अंक मिलने की संभावना रहती है।


जब आप अपने वैकल्पिक विषय का चुनाव करें तो ये न सोचें कि यह विषय सामान्य अध्ययन के पेपर के लिए काम आएगा। आप वही विषय लें जिसमें आप अच्छे नंबर ला सकते हैं। उदाहरण के तौर पर आप सामान्य अध्ययन में इतिहास खंड की पढ़ाई करेंगे तो आप ज्यादा गहराई में नहीं जाएंगे, लेकिन वहीं अगर आप इतिहास को अपना वैकल्पिक विषय बनाएंगे तो आपको विषय की गहराई में जाना होगा। हिंदी साहित्य विषय की खासियत यह है कि इसमें आपको अंग्रेजी में परीक्षा देने वाले लोगों से मुकाबला नहीं करना पड़ेगा क्योंकि इसे तो हिंदी में ही लिखना पड़ता है। साथ ही इसमें निश्चित सिलेबस है और ख़ुद को ज़्यादा अपडेट नहीं करना पड़ता।


तो दोस्तों, यदि आप भी हिन्दी माध्यम से यूपीएससी की परीक्षा देना चाहते हैं तो अपने माध्यम से ज्यादा सोर्स ऑफ मटिरियल और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दीजिये।