यदि मैं आपसे यह पूछूँ कि भारत का सबसे कठिन exam कौन सा है तो बिना समय लगाए आप सभी यूपीएससी सिविल सर्विसेज का ही नाम लेंगे। और आपका जवाब गलत भी नहीं है। वाकई यूपीएससी सिविल सर्विसेज को भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि आखिर यह परीक्षा कठिन क्यों है? क्या इसके फ़ारमैट के कारण, क्या इसके syllabus के कारण या फिर जो लोग इस परीक्षा में अपियर करते हैं, वही इसको कठिन बना देते हैं। आइए जानते हैं |
दोस्तों, यूपीएससी एक मुश्किल परीक्षा है और अक्सर हम यह सोच कर रह जाते हैं कि इस परीक्षा में इतने सारे लोग अपियर करते हैं, इस परीक्षा का syllabus इतना बड़ा है, इस परीक्षा के सवाल इतने अप्रत्याशित होते हैं तो परीक्षा तो मुश्किल होगी ही न। आपके यह सारे तर्क अपनी जगह ठीक हैं लेकिन सिर्फ इन्हीं कारणों से यह परीक्षा इतनी मुश्किल नहीं हो जाती। बल्कि सच तो यह है कि इस परीक्षा में बैठने वाले students ही इसे हर साल और भी कठिन बनाते जा रहे हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है कि aspirants ही इसे मुश्किल कैसे बना सकते हैं? तो आइए आपको बताते हैं कैसे –
सबसे पहले तो एक फ़िगर यह समझ लीजिये कि हर साल लगभग दस लाख लोग इस परीक्षा में enroll करते हैं और उनमे से फ़ाइनल selection औसतन 700 से 800 स्टूडेंट्स का होता है। यदि absolute टर्म्स में देखा जाए तो सुकेस्स रैशियो 0.001 परसेंट से भी कम है। लेकिन इन दस लाख में सभी लोग सिरियस candidates तो होते नहीं। तो यदि हम यह मान लें कि 50 प्रतिशत लोग नॉन सिरियस होते हैं तो भी सुकेस्स रैशियो 1 परसेंट से भी कम ही रहेगी। अगर आपको यकीन ना हो तो दिल्ली के मुखर्जी नगर ओल्ड राजेंद्र नगर का ही चक्कर लगा लीजिये, आपको अंदाज़ा हो जाएगा कि कितने स्टूडेंट्स हैं जो घर बार दुनियादारी सब छोड़ कर सिर्फ यूपीएससी की तपस्या में लीन हैं। और यह तो सिर्फ एक शहर की बात है। हिंदुस्तान के लगभग सभी बड़े शहरों में यूपीएससी aspirants के यही हालात हैं। तो यहाँ एक बात तो क्लियर हो गयी कि इतनी बड़ी संख्या में अपियर होकर candidates इसे मुश्किल बना देते हैं।
लेकिन इनके अलावा और भी कुछ candidates हैं जो इसे मुश्किल बना रहे हैं।
इनमे सबसे ऊपर तो वो हैं जो फ़ाइनल selection हो जाने के बाद भी अपनी पसंद की service ना मिलने के कारण दोबारा परीक्षा में appear करते हैं। जैसे यदि किसी को आईआरएस मिला है तो वह अगली बार भी यह सोच कर अपियर करता है कि इस बार उसे आईएएस या आईपीएस मिल जाएगा। अब जरा सोचिए कि ऐसे candidates जो ना सिर्फ परीक्षा पास कर चुके अगर वह भी इसमे बैठेंगे तो दूसरों के लिए competition कितना tough हो जाएगा। और आपको यह जन कर हैरानी होगी कि ऐसे स्टूडेंट्स की संख्या 400 से 500 के बीच में होती है।
इसके बाद आते हैं वो जो पिछले साल mains qualify कर गए मगर interview से आगे नहीं बढ़ सके। अब उनके पास तो अनुभव भी है और information भी। ऐसे students जब परीक्षा में अपियर करते हैं तो उनके पास एक upper hand होता है जो कई बार दूसरे स्टुडेत्न्स के पिछड्ने का कारण बन जाता है।
अगली category उन लोगों की है जो किसी अन्य सरकारी सेवा में हैं जैसे कि रेलवे, एसडीएम, डीएसपी बड़ो इत्यादि। वैसे तो स्टेट पीसीएस पास करके भी प्रोमोट होकर आईएएस आईपीएस बनने का प्रावधान होता है लेकिन यह प्रक्रिया बहुत ही धीमी होती है और सामान्य तौर पर उन्हें promotion retirement से कुछ दिन पहले ही मिल पाता है। तो अपने career को और ऊंची उड़ान देने के लिए वे भी इस परीक्षा में अपियर करते रहते हैं।
और दोस्तों,अंत में बात उन candidates की जो देश के टॉप colleges, top universities से पढ़ कर निकलते हैं या जो आईआईटी, आईआईएम और एम्स जैसे संस्थानों से पढ़ने और नौकरी के बेहतरीन अवसर होने के बावजूद भी इस परीक्षा में अपियर करते हैं। अब चूंकि उनकी पढ़ाई बहुत अच्छे संस्थानों में हुई होती है तो जाहिर है कि उनका पढ़ने का तरीका भी बेहतर होगा और उनके विचार भी काफी स्पष्ट होंगे। तो ऐसे में साधारण कॉलेज से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स केल ईईए मुश्किलें तो बढ़ेंगी ही ना।
दोस्तों, इस वीडियो से हमारा मकसद किसी को भी नीचा दिखाना या किसी की बुराई करना नहीं है। इस परीक्षा में जितने भी स्टूडेंट्स अपियर करते हैं वे सभी भारत के ही नागरिक हैं और अपने अधिकारों के अंतर्गत ही ऐसा करते हैं। हमारा मकसद तो आपको बस यह क्लियर करना है कि यह परीक्षा सिर्फ अपने सिलैबस या फ़ारमैट के कारण नहीं बल्कि अपने aspirants के कारण भी मुश्किल बन जाती है और आपको इस पक्ष को ध्यान में रखकर अपनी तैयारी करनी चाहिए कि आपका competition कैसे कंडीडटेस से है। तो उम्मीद है कि अब अपने competition को सही ढंग से पहचान कर आप भी उसी के अनुरूप पढ़ाई करेंगे।