साल था 1928, त्रिवेंद्रम की एक सभा में महिलाओं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलना चाहिए या नहीं, इस मुद्दे पर सब अपनी-अपनी दलीलें दे रहे थे | इस सभा में राज्य के जाने-माने विद्वान टी.के.वेल्लु पिल्लई ने शादीशुदा महिलाओं को सरकारी नौकरी देने के विरोध में भाषण दिया | तभी एक 24 साल की लड़की मंच पर चढ़ी और सरकारी नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण देने के पक्ष में एक-एक कर दलील देने लगीं | उस समय ऐसा लग रहा था जैसे ये बहस किसी मंच पर न होकर किसी अदालत में चल रही हो | यह लड़की कोई और नहीं देश की पहली महिला जज अन्ना चांडी थी | जिन्होंने महिलाओं के काम करने के अधिकारों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया |
आज की तारीख है 4 मई और आज ही के दिन साल 1905 में भारत की पहली महिला जज अन्ना चांडी का जन्म त्रावणकोर के त्रिवेंद्रम में सीरियन ईसाई परिवार में हुआ | बचपन से ही पढ़ाई में तेज अन्ना लॉ की पढ़ाई करना चाहती थी | बीसवीं सदी की शुरुआत के दौर में केरल बाकी राज्यों की तुलना में प्रगतिशील माना जाता था | यहां महिलाओं को पढ़ाई-लिखाई के कई अवसर मौजूद थे | लेकिन अन्ना ने जब त्रिवेंद्रम के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में एडमिशन लिया तो उन्हें बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा | कॉलेज में उनका मजाक उड़ाया जाता, कोई लड़की लॉ की पढ़ाई करे, ये बात उनके कॉलेज के ही लड़कों को पसंद नहीं थी | लेकिन इरादों की पक्की अन्ना ने हार नहीं मानी और पढ़ाई जारी रखी |
साल 1926 में अन्ना ने लॉ कॉलेज से अपना पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया | उस दौर में ये पहली बार था जब किसी महिला ने क़ानून की डिग्री हासिल की हो | साल 1929 में अन्ना ने बतौर बैरिस्टर अपने करियर की शुरुआत की प्रैक्टिस करते हुए अन्ना को कुछ साल बीते, देखते ही देखते अन्ना क्रिमिनल केसेज़ की बढ़िया वकील मानी जाने लगीं | इसके बाद साल 1937 में केरल के एक दीवान थे सर सीपी रामास्वामी अय्यर, उन्होंने अन्ना को अपना मुंसिफ नियुक्त कर लिया | तमाम मुश्किल और बड़े केसेज़ में मिली जीत प्रोफाइल में जुड़ी तो साल 1948 में अन्ना चांडी प्रमोट होकर जिला जज बन गईं | इसके बाद 9 फरवरी, 1959 को उनके नाम के आगे हाईकोर्ट के जज की पदवी भी शामिल हो गई | 5 अप्रैल 1967 तक केरल हाईकोर्ट में अन्ना ने इस पद पर काम किया | रिटायर होने के तीन महीने बाद साल 1967 में ही उनके पति का निधन हो गया |
रिटायर होने के बाद अन्ना लॉ कमीशन में नियुक्ति हो गई | लेकिन इसके पहले अन्ना ने राजनीति में भी अपने हाथ आजमाएं | साल 1931 में उन्होंने त्रावणकोर की श्री मूलम पॉप्युलर एसेंबली के लिए चुनाव लड़ा | लेकिन ये रास्ता भी महिलाओं के लिए आसान नहीं था | अन्ना चुनाव लड़ने उतरीं तो उन पर बेहद अपमानजनक आरोप लगाए गए | पोस्टर, न्यूज़ पेपर छापे गए, जिनमें लिखा था कि अन्ना के राज्य के दीवान के साथ निजी सम्बन्ध हैं | अफवाह फ़ैली और अन्ना ये चुनाव हार गईं | अन्ना चुनाव में हार के बाद चुप नहीं बैठीं | साल 1930 में अन्ना ने 'श्रीमती' नाम से मलयालम में एक पत्रिका का सम्पादन शुरू किया था | उन्होंने श्रीमती में अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में एडिटोरियल लिखकर विरोध जताया | साल 1932 में वो फिर चुनाव लड़ने के लिए खड़ी हुई और इस बार जीत गईं |
विधानसभा सदस्य रहते हुए अन्ना महिलाओं के मुद्दों के अलावा बजट की बहसों में भी शरीक रहा करती थीं |
अन्ना को रियल फेमिनिस्ट कहकर बुलाना गलत नहीं होगा | उन्होंने महिलाओं के हक की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई और ये भी कहा कि औरतों को क़ानून की नज़र में भी बराबर देखा जाना चाहिए | त्रावणकोर शासन में बड़ा अपराध करने पर महिलाओं को फांसी की सजा से छूट दिए जाने का प्रावधान था | इस छूट का भी विरोध अन्ना ने किया था | महिलाओं को उनके खुद के शरीर पर हक़ मिले, ये बात भी उन्होंने कई जगहों पर बात रखी | ऑल इंडिया विमेन्स कॉन्फ़्रेंस में उन्होंने प्रस्ताव दिया कि पूरे देश में महिलाओं को गर्भ निरोध जैसी बातों की जानकारी देने के लिए क्लिनिक होने चाहिए | लेकिन उन्हें इस प्रस्ताव पर कई ईसाई महिला सदस्यों का विरोध झेलना पड़ा | लेकिन इसके बाद भी अन्ना ने महिलाओं के अधिकारों के लिए हमेशा अपनी आवाज बुलंद की साल 1996 में 91 साल की उम्र में अन्ना चांडी का निधन हो गया |
1767: प्रसिद्ध कवि तथा संगीतज्ञ त्यागराज का जन्म।
1799: मैसूर राज्य के शासक टीपू सुल्तान का निधन हुआ।
1896: लंदन डेली मेल का पहला संस्करण प्रकाशित हुआ।
1902: कर्नाटक के पहले मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे केसी रेड्डी का जन्म हुआ।
1922: “शार्क लेडी” के नाम से मशहूर अमेरिकी समुद्री जीवविज्ञानी यूजीनी क्लार्क का जन्म हुआ।
1924: पेरिस में 8वें ओलिंपिक खेलों की शुरुआत हुई।
1957: भारतीय इतिहासकार हेमचंद्र रायचौधरी का निधन।
1975: मूक फिल्मों के स्टार चार्ली चैपलिन को बकिंघम पैलेस में नाइट की उपाधि प्रदान की गई।
2008: विख्यात तबला वादक पंडित किशन महाराज का निधन।