हिंदी माध्यम और गाँव वालों के लिए UPSC करेगा बदलाव
यदि आप यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं और अगले साल या उसके बाद सिविल सेवा परीक्षा लिखने का मन बना रहे हैं तो आज का यह वीडियो आपको जरूर देखना चाहिए। आज हम आपको यूपीएससी में कुछ बड़े बदलावों के बारे में बताएँगे जो आने वाले समय में इस परीक्षा की रूप रेखा को बदल सकता है। और इस बदलाव के कारण आपको अपनी तैयारी का तरीका भी बदलना पड़ सकता है। तो आइए शुरू करते हैं।
अभी कुछ दिनों पहले संसद की एक समिति, कार्मिक, लोक शिकायत और कानून एवं न्याय की स्थायी समिति ने यूपीएससी को अपनी परीक्षा के विषय में कुछ सुझाव दिये हैं। आगे बढ्ने से पहले यह समझ लेते हैं कि स्थायी समिति क्या होती है? संसद के सदस्य आपस में कई समितियों का गठन करते हैं जिसमे दोनों सदनों और पक्ष एवं विपक्ष दोनों के सदस्य शामिल होते हैं। यह समितियां दो प्रकार की होती हैं – स्थायी समिति यानि स्टैंडिंग कमेटी, और तदर्थ यानि ad – hock committee। स्थायी समिति एक permanent committee होती है और इसका कार्यकाल निश्चित होता है जबकि तदर्थ समितियां किसी खास मौके पर जांच करने या सुझाव देने के लिए गठित की जाती हैं।
तो यहाँ हम जिस समिति की बात कर रहे हैं, वह एक स्थायी समिति है और इसके सुझावों और findings को काफी seriously लिया जाता है। अब बात उन सुझावों की जो यूपीएससी को इस समिति ने दिए हैं।
Shorten the process – आम तौर पर देखा गया है कि notification आने से लेकर फ़ाइनल रिज़ल्ट आने तक लगभग सवा से डेढ़ साल तक का समय लग जाता है। यदि इस साल होने वाली सिविल सेवा परीक्षा की बात करें तो 2023 में होने वाली परीक्षा का नोटिफ़िकेशन फ़रवरी के महीने में आया था, इसके बाद form भरने की प्रक्रिया हुई और फिर मई में प्री की परीक्षा होगी, फिर mains, फिर interview और फिर अगले साल यानि 2024 के अप्रैल या मई महीने में फ़ाइनल रिज़ल्ट की घोषणा की जाएगी। समिति का मानना है कि यह प्रक्रिया बहुत लंबी है और इस दौरान aspirants को काफी मेंटल और फ़िज़िकल fatigue हो जाता है और इसका असर उनके रिजल्ट्स पर भी पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए समिति ने यूपीएससी से यह कहा है कि इस पूरी प्रक्रिया को छह महीने में पूरा कर लिया जाए लेकिन साथ ही आयोग को यह भी सुनिश्चित करने को खा है कि ऐसा करने से selection process की quality में कोई गिरावट नहीं हो। अब यह कैसे होगा, क्या मेंस के नौ papers को कम कर दिया जाएगा, क्या optional paper खत्म कर दिया जाएगा, यह सब हमें कुछ नहीं पता। लेकिन समिति ने सुझाव दिया है तो यूपीएससी को बदलाव करने के बारे में सोचना पड़ेगा, यह तो तय है।
Urban vs rural students – इस विषय पर हमने भी पहले कई वीडियो में बात की है कि यूपीएससी की परीक्षा वैसे तो सभी के लिए एक समान होती है लेकिन English medium के students, शहरों में पढे हुए स्टूडेंट्स, science background वाले students का रिज़ल्ट कहीं ना कहीं ग्रामीण students, हिन्दी मीडियम के students से बेहतर जरूर होता है। समिति ने आयोग को इस विषय पर भी ध्यान देने के ले कहा है और यह भी कहा है कि यदि संभव हो तो आयोग कोई ऐसा उपाय करे जिससे हर स्टूडेंट को एक level playing फील्ड मिल सके।
Pre answer key – दोस्तों, आपने देखा होगा कि जिस दिन प्री की परीक्षा होती है, उसी शाम से या उसके अगले दिन ही कई कोचिंग संस्थान answer key जारी करने लगते हैं और उन्हीं के आधार पर students अपने स्कोर का अंदाज़ा भी लगाने लगते हैं। हालांकि उन answer keys की कोई authenticity नहीं होती और आयोग द्वारा जारी answer key को ही फ़ाइनल माना जा सकता है लेकिन दिक्कत यह है कि यूपीएससी अपनी answer key परीक्षा की पूरी प्रक्रिया के बाद ही जारी करता है और तब तक कई students जो answer को challenge करना चाहते हैं उनके लिए काफी देर हो जाती है। इसी लिए समिति ने आयोग से कहा है कि वह अपनी answer key प्री के बाद ही जारी कर दिया करे ताकि स्टूडेंट्स को answers को challenge करने का मौका भी मिल सके।
Low turn out in exams – दोस्तों, समिति ने एक और बात पर चिंता जाहिर की है कि आखिर क्या कारण है कि जितने लोग यूपीएससी की अलग अलग परीक्षाओं के लिए registration करते हैं और application` form भरते हैं, उनमे से लगभग 50 प्रतिशत परीक्षा देने जाते ही नहीं। उधारण के लिए हर साल लगभग 10 लाख students सिविल सेवा के लिए application form भरते हैं मगर प्री में लगभग 5 लाख ही अपियर करते हैं। समिति ने आयोग से कहा है कि यदि संभव हो तो वह इसके कारणों का भी पता लगाए और इसे दूर करने के लिए उपाय करे।
Utilization of exam fee – आपको पता ही है हर application form के यूपीएससी आपसे कुछ application फी लेती है जो परीक्षा conduct करवाने में काम आती है। समिति ने आयोग से यह भी कहा है कि वह इस बात का ब्योरा दे कि यह राशि वह किस तरह से खर्च कर रहा है। इसका मतलब यह नहीं है कि समिति को आयोग पर भरोसा नहीं है बल्कि समिति तो यह छह रही है कि जो फीस ली जा रही क्या उतनी ली जानी चाहिए या उसी फीस में students को और भी facilities दी जा सकती है।