हमारे देश में कानून बनाने का काम सरकार करती है लेकिन उस कानून को लागू करना और उसका पालन कराने की जिम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारियों पर होती है | प्रशासनिक अधिकारियों और नौकरशाहों के इस योगदान की सराहना करने और उनका आभार व्यक्त करने के लिए ही हर साल 21 अप्रैल का दिन 'सिविल सेवा दिवस' (Civil Service Day) के तौर पर मनाया जाता है | यह दिवस ऐसे लोक सेवकों को समर्पित है, जो देश की प्रगति के लिए कार्य करते हैं | इसके साथ ही नीति-निर्माण में भी अपना अहम योगदान प्रदान करते हैं. ये दिवस अलग-अलग स्तरों पर कार्य करने वाले सिविल सेवकों के लिए मनाया जाता है कि उसके लिए राष्ट्र और उसके नागरिकों की सेवा से ऊपर कुछ भी नहीं है |
जैसा कि हम जानते हैं कि सिविल सेवा वह सेवा है जो देश की सरकार के लोक प्रशासन के लिए उत्तरदायी होती है। इसमें विधायी, न्यायपालिका और सैन्य कर्मी शामिल नहीं हैं। आपको बता दें कि सिविल सेवा के सदस्य किसी भी राजनीतिक सत्ता पक्ष के लिए कोई प्रतिज्ञा नहीं लेते हैं बल्कि सत्ताधारी राजनीतिक दल की नीतियों के निष्पादक होते हैं।
नमस्कार आज की तारीख है 21 अप्रैल
भारत में सिविल सेवा में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), भारतीय विदेश सेवा (IFS), और अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं के समूह A और समूह B की एक व्यापक सूची शामिल है। 21 अप्रैल समर्पित है सिविल सेवा के लोगों को उनकी अनुकरणीय सेवाओं को याद करने और वर्षों पहले किए गए कार्यों को प्रतिबिंबित करने के लिए। साथ ही इस दिन वे आने वाले साल की योजना बनाते हैं और बताते हैं कि उन्हें अपने-अपने विभागों के लिए कैसे काम करना है।
21 अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है Civil Service Day
देश में सिविल सेवाओं की शुरुआत अंग्रेजों के समय में हुई. उस दौरान इसे ICS के नाम से जाना जाता था. हालांकि बाद में इसे बदलकर IAS कर दिया गया. 21 अप्रैल 1947(सैंतालीस) को देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आईएएस के पहले बैच के अधिकारियों को दिल्ली के मेटकॉफ हाउस में संबोधित किया था. अपने इस संबोधन में सरदार पटेल ने कई ऐसी बातें कहीं, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गईं और अपने इस संबोधन में सरदार पटेल ने देश के विकास में नौकरशाही की अहमियत के बारे में बताया था. यही वजह है कि 21 अप्रैल 2006 से हर साल इस दिन को सिविल सर्विस डे के तौर पर मनाने का फैसला किया गया.
सरदार पटेल ने अपने संबोधन में कहा था कि 'आपके पूर्ववर्ती ऐसी परंपरा में काम करते थे जिसमें वह आम जनता और उनकी समस्याओं से दूर रहते थे लेकिन यह आपका कर्तव्य होगा कि आप देश के आम नागरिक को अपना समझो.' नए-नए आजाद मुल्क को, जिसने बंटवारे का दंश झेला, उसे अपने पैरों पर मजबूती से खड़ा करने में सिविल सेवा का बड़ा हाथ है. सरदार पटेल ने सिविल सेवा की इस ताकत को पहचानते हुए इसे 'स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया' कहा था.सरकार कानून बनाने का काम करती है लेकिन उसे सफलतापूर्वक लागू कराने की जिम्मेदारी सिविल सेवकों पर ही होती है |
हर साल सिविल सेवा दिवस पर प्रधानमंत्री पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (Public Administration) के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने वाले अधिकारियों को सम्मानित करते हैं. देश की सरकार व्यक्तियों और संगठनों के कार्य का मूल्यांकन करने के साथ उन्हें पुरस्कार प्रदान करके उनके प्रयास की सराहना करती है. लोक प्रशासन में प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार भी सिविल सेवकों को राष्ट्र के लिए उनके उल्लेखनीय योगदान और सेवा का सम्मान करने के लिए प्रदान किया जाता है |
राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस का महत्व
यह दिन सिविल सेवाओं में विभिन्न स्तरों और विभागों में शामिल और काम करने वाले सभी लोगों को याद करने के लिए समर्पित है। नौकरशाही शासन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसलिए देश के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में इसका बहुत महत्व है।
भारतीय सिविल सेवा के जनक
देश में सिविल सेवाओं के सुधार और आधुनिकीकरण में उनके योगदान के लिए चार्ल्स कार्नवालिस को भारतीय सिविल सेवा के पिता के रूप में जाना जाता है. भारत में सिविल सेवाओं की नींव वारेन हेस्टिंग्स ने रखी थी, लेकिन सुधार लाने की जिम्मेदारी कार्नवालिस ने ली थी. उन्होंने भारतीय सिविल सेवा के दो प्रभागों को भी पेश किया था |
1910 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और उड़ीसा के 5वें मुख्यमंत्री सदाशिव त्रिपाठी का जन्म।
1924 में कर्णी सिंह का जन्म हुआ साल 1977सतहत्तर में मेजर जनरल जियाउर्रहमान बांग्लादेश के राष्ट्रपति बने।
1987सत्तासी में श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में हुए बम धमाके में 100 से अधिक लोगों की मौत हुई।
2008: भारत और ब्रिटेन की नौसेनाओं के बीच तीसरा साझा अभ्यास गोवा के निकट कोंकण में शुरू हुआ।