मेरा सपना है IAS बनना

संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी एक ऐसा सपना है जो देश का लगभग हर शख्स कभी न कभी देखता ही हैं। कोई रुतबे और अपने माता-पिता को गर्व कराने के लिए तो कोई समाज को बदलने का सपना लिए जी जान से यूपीएससी की तैयारी में लगा होता है। इसके लिए उम्मीदवार न दिन देखते हैं न रात, न ही उन्हें घरों से सैकड़ों किलो मीटर दूर रहने में कोई हिचक होती है। इस परिश्रम का फल उन्हें परिणाम के बाद मिलता है। सच्ची लगन से मेहनत करने वाले उम्मीदवार परीक्षा में सफलता का परचम लहराते हैं।


यूपीएससी आपका सपना है और आप इसे पूरा करने के लिए पूरी तरह उत्साहित भी हैं। लेकिन यह भी याद रखिए कि यह एक लंबी यात्रा है और इस यात्रा में उतार चढ़ाव भी आते रहते हैं। हर दिन एक जैसा productive नहीं होगा मगर फिर भी आपको निरंतर आगे बढ़ते रहना है। इसका सबसे अच्छा तरीका है छोटे छोटे कदमों से शुरुआत करें। दरअसल होता यह है कि जब कोई छात्र तैयारी की शुरुआत करता है तो उत्साह से भरा हुआ होता है और इसी कारण वह तैयारी की शुरुआत बड़ी तेजी से करता है और निर्णय लेता है की प्रतिदिन 8 -10 घंटे पढ़ना है और इन घंटों में जाने कितने विषय include कर लेता है। वह तैयारी तो तेजी से शुरू करता है पर उसे निरंतर नहीं रख पाता दो या तीन दिन बाद ही उसका उत्साह कम हो जाता है और धीरे धीरे उसकी 8 घंटे की पढाई 6 फिर 5 फिर 4 फिर 2 और फिर 1 घंटे में बदल जाती है तो अब जरा सोचिए कि उसकी गलती कहाँ हुई? जी हाँ उसकी शुरुआत में। क्या इतनी बड़ी शुरुआत करना उचित है ? …क्या आपका दिमाग पहले से 8 से 10 घंटे लगातार पढ़ने के लिए तैयार है? शायद नहीं। दोस्तों यदि ऐसा आपके साथ भी होता है तो कृपया इसमें सुधार कीजिये और पहले दिन की शुरुआत छोटी कीजिये फिर रोज इसमें थोड़ा थोड़ा समय जोड़ते जाइये इस तरह आपकी आदत 8 से 10 घंटे पढ़ने की बन जाएगी और आपका उत्साह भी काम नहीं होगा। यानि पहले दिन 1 या 2 घंटे से शुरुआत कीजिये फिर 3 ,4 .5 .6 और फिर और आगे बढ़ाते जाइये। याद रखिए कि यह एक sprint नहीं बल्कि marathon है। यहाँ किसने तेज शुरुआत की और किसने धीमी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, फर्क पड़ता है तो ब इस बात से कि finish line किसने पहले पार की। तो जिस तरह एक मैरथॉन का धावक शुरुआत धीमी करता है और रेस के अंत तक आते आते अपनी स्पीड बढ़ाता है उसी तरह आप भी शुरुआत भले धीमी करें लेकिन कोशिश कीजिये कि परीक्षा के नजदीक आने पर अपनी रफ्तार बढ़ा लेंगे।


दोस्तों और एक बात, कई लोग एक दिन 8 घंटे पढ़ लेते हैं फिर दूसरे दिन किताब खोलते तक नहीं है कि हमने कल तो इतना सारा पढ़ लिया अब कल पढ़ लेंगे। आप ऐसा बिलकुल मत करिए। आईएएस की तैयारी में निरंतरत बहुत जरूरी है बहले ही एक दिन में आठ की बजाय 4 घंटे पढ़ें लेकिन continuity को टूटने ना दें। वरना इस अथाह समंदर में कब आप गोते खाने लगेंगे आपको पता भी नहीं चलेगा।


इस परीक्षा के लिए एक और बहुत जरूरी एलिमंट है मजबूत इरादा। अक्सर छात्रों की पहली समस्या होती है कि आईएएस का पाठ्यक्रम इतना बड़ा है मैं तो बन ही नहीं सकता, कौन करेगा इतनी मेहनत इत्यादि इत्यादि। लेकिन यह सब सिर्फ बहाने हैं। यदि आप वाकई में आईएएस बनने का सपना देख रहे हैं तो आप चुनौतियों से घबड़ाने की बजाय आखिरी दम तक उससे लड़ना पसंद करेंगे। याद रखिए, आईएएस भी इंसान ही बनते हैं और आप भी एक इंसान हैं। आप सिर्फ आईएएस बन नहीं सकते बल्कि आईएएस टॉप भी कर सकते हैं, सबसे पहले पाने मन को यह समझाइए। समस्याओं का आकलन करिए फिर खुद कि क्षमताओं का आकलन करिए। यह मत भूलिए कि एक मनुष्य के अंदर उतनी शक्तियां मौजूद होती हैं जिससे कि वह अपना भविष्य का निर्माण खुद कर सकता है।


तो आज और अभी उठिए और प्रण कीजिये की आपको आपकी मंजिल से पहले कही नहीं रुकना है। अरे मेहनत ही तो करनी होगी न जान तो नहीं जाएगी और थोड़ा मेहनत के बाद की अपनी लाइफ को भी ध्यान रखिये - एक सरकारी गाड़ी उसमे लाल नीली बत्ती, पद, पैसा और प्रतिष्ठा सब होगा आपके पास, वो सब जो अब तक आपने अपने सपने में ही देखा है।