आज की तारीख है 13 फरवरी, आज से ठीक 191 (इक्यानबे) साल पहले एक आदिवासी क्रांतिकारी अपने साथियों के साथ कैप्टन एमपी के द्वारा सिलागांई गांव में घेर लिए गया | उस समय वह आदिवासी क्रांतिकारी और उसके साथी आत्मसमर्पण करना चाहते थे | जिससे कि निर्दोष लोगों की जाने ना जाए | लेकिन क्रांतिकारी के साथी उसके चारों ओर घेरा डालकर खड़े हो गए और कैप्टन के चेतावनी के अनुसार वहाँ पर अंधाधुंध गोलियां चला दी, जिसकी वजह से करीबन 300 से अधिक ग्रामीण मारे गए | इस दौरान वह क्रांतिकारी अंग्रेजों के साथ लड़ाई करते हुए शहीद हो गए यह क्रांतिकारी कोई नहीं "लरका विद्रोह" नामक ऐतिहासिक आन्दोलन शुरू करने वाले बुधू भगत थे |


का जन्म झारखण्ड राज्य में राँची ज़िले के सिलागाई नामक ग्राम में 17 फ़रवरी साल 1792(बानबे) में हुआ था | बचपन से ही वह घंटों अकेले बैठकर तलवार चलाने और धनुर्विद्या में निपुणता हासिल किया करते थे | कुछ लोग तो उन्हें देवी शक्तियों के स्वामी के नाम से भी बुलाते थे क्योंकि उनके प्रतीक स्वरूप वह कुल्हाड़ी अपने साथ सदा रखा करते थे | जब छोटा नागपुर के आदिवासी इलाकों में अंग्रेज़ हुकूमत के दौरान बर्बरता चरम पर थी | तब मुण्डाओं ने ज़मींदारों, साहूकारों के विरुद्ध पहले से ही भीषण विद्रोह छेड़ रखा था | उरांवों ने भी बागी तेवर अपना लिए, बुधु भगत बचपन से ही जमींदारों और अंग्रेज़ी सेना की क्रूरता देखते आए थे | उन्होंने देखा था कि किस तरह तैयार फ़सल ज़मींदार जबरदस्ती उठा ले जाते है, ग़रीब गांव वालों के घर कई-कई दिनों तक चूल्हा नहीं जल पाता बालक बुधु भगत सिलागाई की कोयल नदी के किनारे घंटों बैठकर अंग्रेज़ों और जमींदारों को भगाने के बारे में सोचते रहते थे |


घंटों एकांत में बैठे रहने, तलवार और धनुष-बाण चलाने में पारंगत होने के चलते लोगों ने बुधु को देवदूत समझ लिया तेजस्वी युवक बुधु की बड़ी-बड़ी बातें सुनकर आदिवासियों ने उन्हें अपना उद्धारकर्ता मानना शुरू कर दिया | विद्रोह के लिए बुधु के पास अब पर्याप्त जन समर्थन था , उन्होंने अन्याय के विरुद्ध बगावत का आह्वान किया  हज़ारों हाथ तीर, धनुष, तलवार, कुल्हाड़ी के साथ उठ खड़े हुए कैप्टन इंपे की ओर से  बंदी बनाए गए सैकड़ों ग्रामीणों को विद्रोहियों ने लड़कर मुक्त करा लिया अपने दस्ते को बुधु ने गुरिल्ला युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों का फायदा उठाकर कई बार अंग्रेज़ी सेना को परास्त किया बुधु को पकड़ने के लिए अंग्रेज़ सरकार ने 1  हज़ार रुपये इनाम की घोषणा कर दी थी |


हज़ारों लोगों के हथियारबंद विद्रोह से अंग्रेज़ सरकार और ज़मींदार कांप उठे बुधु भगत को पकड़ने का काम कैप्टन इंपे को सौंपा गया | बनारस की पचासवीं देसी पैदल सेना की छह कंपनी और घुड़सवार सैनिकों का एक बड़ा दल जंगल में भेज दिया गया | टिकू और आसपास के गांवों से हज़ारों ग्रामीणों को गिरफ़्तार कर लिया गया | इसकी खबर मिलते ही बुधु के दस्ते ने घाटी में ही बंदियों को मुक्त करा लिया, इस करारी शिकस्त से कैप्टन बौखला गया | जिसका बदला लेने के लिए कैप्टन ने उन्हें सिलागांई गांव में घेर लिया | जिस पर कैप्टन ने अंधाधुंध गोलीबारी करवा दी, जिसमें निर्दोष ग्रामीण न मारे जाएँ | उस खूनी तांडव में करीब 300 ग्रामीण मारे गए | इस दौरान अंग्रेजी हुकुमत से लड़ते हुए बुधु भगत और उनके बेटे 'हलधर' और 'गिरधर' भी अंग्रेज़ों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए |


दोस्तों आइए अब आखिर में जानते है देश और दुनिया की आज की तारीख यानि 13 फरवरी की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में : 

1975: न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में आग लगी। 

1991: अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने इराक की राजधानी बगदाद पर बमबारी की। इसमें सैकड़ों लोग मारे गए।

 1996: नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी ने नागरिक युद्ध की शुरुआत की। 

2001: स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में स्टेफन केल नाम के व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा शुरू हुआ। उस पर आरोप था कि उसने जानबूझकर एक महिला को HIV संक्रमित किया। 

2001: मध्य अमेरिकी देश अल-सल्वाडोर में 6.6 तीव्रता का भूकंप आया। 400 लोगों की मौत। 

2010: महाराष्ट्र के पुणे में यहूदियों के प्रार्थना स्थल के पास एक बेकरी में हुए बम विस्फोट में 17 लोग मारे गए। 

2017: मलेशिया के कुआलालंपुर एयरपोर्ट पर उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के भाई किम जोंग नाम की हत्या कर दी गई।