आज थिएटर्स में बॉलीवुड की मोस्ट अवेटेड फिल्म ब्रह्मास्त्र आ गई है। ये मायथोलॉजी और फिक्शन का कॉम्बिनेशन है।  

फिल्म पौराणिक काल के सबसे घातक हथियार ब्रह्मास्त्र और उसके रक्षकों पर आधारित है।  ब्रह्मास्त्र किसी के लिए नया नाम नहीं है। पौराणिक ग्रंथों से लेकर साइंस की रिसर्च तक में इसका जिक्र आता है।  

साल 1945 में अमेरिका में हुई ट्रिनिटी रिसर्च में महाभारत के बारे में लिखा गया है। माना गया है कि उस युद्ध में हुई तबाही के पीछे ब्रह्मास्त्र था जिसमें परमाणु बम जैसी विनाशक शक्ति थी। 

हमने ब्रह्मास्त्र के बारे में इंडियन आर्मी के रिटायर्ड मेजर जनरल जी.डी. बख्शी से बात की। उन्होंने महाभारत काल के अस्त्रों पर खासी रिसर्च की है। 

वे भी मानते हैं कि ब्रह्मास्त्र के साथ उस काल में कई तरह के हथियार हुआ करते थे। महाभारत और रामायण के अलावा ब्रह्मास्त्र का सबसे सटीक विवरण अहिर्बुध्न्य संहिता में मिलता है। इस ग्रंथ में कुछ श्लोक ऐसे हैं जो सिर्फ इस अस्त्र से जुड़े हुए हैं।  

तो, अब जब ब्रह्मास्त्र चर्चा में है तो जानते हैं कि आखिर ये अस्त्र कैसा है किसने बनाया और ये कितना विनाशकारी था।


ब्रह्मास्त्र के बारे में सबसे खास रिसर्च

ब्रह्मास्त्र के बारे में एक जगह रि. मेजर जनरल जीडी बख्शी कहते हैं अमेरिका के साइंटिस्ट जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर को फॉदर ऑफ अटोमिक बॉम्ब कहा जाता है।

ओपेनहाइमर और उनकी टीम ने 1945 के आसपास एक रिसर्च की थी जिसे ट्रिनिटी रिसर्च के नाम से जाना जाता है।

ट्रिनिटी रिसर्च में महाभारत और गीता के फैक्ट चेक किए गए थे। इस रिसर्च का निष्कर्ष ये था कि महाभारत के समय परमाणु बम जैसी किसी शक्ति का इस्तेमाल हुआ था। संभवतः ये ब्रह्मास्त्र या ऐसा ही कोई विध्वंसक हथियार था।

ब्रह्मास्त्र का जैसा डिस्क्रिप्शन महाभारत में है | ठीक वैसा ही असर परमाणु बम का भी होता है।

महाभारत के समय ब्रह्मास्त्र था इसके बारे ऐसा कहा जाता है कि ये न्यूक्लियर वेपन की तरह ही था लेकिन आज के समय में इस अस्त्र के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है। वह क्या था कैसा उसका शेप था ये कह पाना मुश्किल है।


क्या होता है जब ब्रह्मास्त्र छोड़ा जाता है ?

महाभारत के सौप्तिक पर्व में अध्याय 13, 14 और 15 में ब्रह्मास्त्र के बारे में लिखा है।  अश्वत्थामा ने पांडवों को खत्म करने के लिए ब्रह्मास्त्र को एक्टिव कर लिया था। उस समय चारों ओर आग लग गई थी।

ऐसा लग रहा था जैसे ये आग पूरी दुनिया को ही जला देगी।

अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र को रोकने के लिए अर्जुन ने भी ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया।अब दोनों ब्रह्मास्त्रों से आग की बड़ी-बड़ी लपटें निकल रही थीं।

काश से बड़ी-बड़ी उल्काएं टूटकर धरती पर गिर रही थीं। आकाश में भी आग दिखाई दे रही थी।पर्वत, पेड़-पौधों के साथ धरती भी हिल रही थी।

अर्जुन-अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र आमने-सामने आ गए तो नारद मुनि और वेद व्यास वहां प्रकट हो गए और दोनों दिव्यास्त्रों के बीच में खड़े हो गए।

कोई भी अस्त्र-शस्त्र नारद मुनि और वेद व्यास को पार करके आगे नहीं जा सकता था। इन दोनों की वजह से ब्रह्मास्त्र आपस में टकरा नहीं पा रहे थे।

उन्होंने अर्जुन और अश्वत्थामा को समझाया कि अगर ये दोनों ब्रह्मास्त्र टकरा गए तो पूरा संसार तबाह हो जाएगा। आज से पहले किसी ने भी इस तरह ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल नहीं किया है। आप दोनों इन्हें तुरंत वापस ले लें।

अर्जुन ने तो अपना ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया, लेकिन अश्वथामा ये विद्या नहीं जानता था। उसने ब्रह्मास्त्र उत्तरा के गर्भ पर छोड़ दिया। श्रीकृष्ण ने अपनी माया से उस ब्रह्मास्त्र से उत्तरा के शिशु को बचा लिया था। बाद में इस बच्चे का नाम परीक्षित रखा गया।


कब, किसने और कहां किया ब्रह्मास्त्र का उपयोग

लंका युद्ध के समय लक्ष्मण ब्रह्मास्त्र चलाना चाहते थे उस समय श्रीराम ने लक्ष्मण को मना कर दिया था।

श्रीराम ने कहा था कि अभी ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल करना सही नहीं है इसके उपयोग से पूरी लंका ही साफ हो जाएगी।

राम-रावण युद्ध में मेघनाद ने लक्ष्मण पर ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया था। लक्ष्मण शेषनाग के अवतार थे, इस वजह से उन्होंने ब्रह्मास्त्र का सम्मान किया और उसका जवाब नहीं दिया। 

भगवान का अवतार होने की वजह से ब्रह्मास्त्र से लक्ष्मण जी की मृत्यु नहीं हुई थी वे सिर्फ बेहोश हुए थे।

मेघनाद ने हनुमान जी पर भी ब्रह्मास्त्र का उपयोग किया था। उस समय हनुमान जी ने सोचा कि अगर ब्रह्मास्त्र का सम्मान नहीं किया तो ब्रह्मा जी का अपमान हो जाएगा। उन्होंने ब्रह्मास्त्र को रोका नहीं और उसके लगते ही वे बेहोश हो गए थे।

विश्वामित्र वशिष्ठ मुनि को पसंद नहीं करते थे। एक दिन विश्वामित्र वशिष्ठ मुनि की नंदिनी गाय लेने पहुंचे।

जब वशिष्ठ जी ने गाय देने से मना कर दिया तो गुस्सा होकर विश्वामित्र ने ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया था। वशिष्ठ मुनि ब्रह्मर्षि थे, इसलिए उनके सम्मान में ब्रह्मास्त्र बेअसर हो गया और लौट गया।


रामायण-महाभारत के अस्त्रों और शस्त्रों का मतलब क्या है?

अस्त्र मंत्रों की शक्ति से इस्तेमाल किए जाते थे। इनकी वजह से बड़ी तबाही मच जाती थी। अस्त्रों में सबसे शक्तिशाली ब्रह्मास्त्र था।

इसके अलावा पाशुपतास्त्र, आग्नेयास्त्र, गरुड़ास्त्र, नारायणास्त्र, वायव्यास्त्र, पर्जन्यास्त्र आदि भी तबाही मचाने वाले अस्त्र थे।

शस्त्र वे हैं, जिनसे योद्धा एक-दूसरे पर सीधे वार करते थे। तलवार, भाला, धनुष-बाण, वज्र, फरसा, चक्र, गदा, कटार को शस्त्र कहा जाता है।