क्या IAS की तैयारी करना अब भेड़चाल है ? 

दिल्ली में एक इलाका है मुखर्जी नगर। अगर आप इस इलाके का एक चक्कर लगाएंगे तो आपको लगेगा कि आप किसी ऐसी जगह पर आ गए हैं जहां रहने वाले लोग सिर्फ एक ही चीज जानते हैं यूपीएससी। उठते – बैठते, खाते पीते, सोते जागते हर किसी की जबान पर सिर्फ यूपीएससी का ही नाम रहता है। और ये हाल सिर्फ मुखर्जी नगर का ही नहीं है बल्कि देश में ऐसे कई हिस्से हैं जहां कमोबेश ऐसा ही माहौल है। शायद यही कारण है कि यूपीएससी preparation की दुनिया से बाहर रहने वाले लोग इस trend को अब भेड़चाल कहने लगे हैं। तो क्या सच में आईएएस की तैयारी करना भेड़चाल हो गया है?    


 आगे बढ्ने से पहले यह समझना जरूरी है कि भेड़चाल आखिर होता क्या है? भेड़चाल जिसे इंग्लिश में herd mentality कहते हैं एक ऐसी मानसिकता होती है जिसमे व्यक्ति कोई का सिर्फ इसलिए करता है या करना चाहता है क्योंकि उसके आस पास के कई लोग कर रहे हैं। आपने कभी भेड़ों को झुंड में चलते हुए देखा है? भेड़ें जब झुंड में चलती हैं तो वह चुपचाप अपने आगे चलने वाली भेड़ का अनुसरण करती रहती हैं। उसे इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि जिस राह पर उससे आगे वाली भेड़ चल रही, वह रास्ता ठीक है या नहीं। यदि उसकी आगे वाली भेड़ चलते चलते किसी गड्ढे में गिर जाए तो पीछे वाली भेड़ भी बिना सोचे समझे उस गड्ढे में कूद जाएगी। इन्सानों की इसी प्रवित्ति को भेड़चाल कहा जाता है।    



अब जैसे आपने आईएएस बनने और यूपीएससी की तैयारी करने का निर्णय ले लिया है। यह फैसला अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी। आपके लिए यह फैसला अच्छा है या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने इयसबनने का फैसला क्यों किया है। क्या सिर्फ इसलिए कि आपके दोस्त, या रिश्तेदार इसकी तैयारी कर रहे हैं। यह कारण कुछ हद तक ठीक भी हो सकता है लेकिन असली बात तब आती है जब आप अपनी तैयारी भी उन्हीं दोस्तों और रिशतेदारों की देखादेखी करने लगते हैं। असल में यही भेड़चाल है। और यह भेड़चाल सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रहती। आप अपने स्टडी मटिरियल कैसे सिलैक्ट करते हैं, कोचिंग में एड्मिशन लेना है या नहीं, अगर लेना है तो कौन सी कोचिंग में एड्मिशन लेना चाहिए, आपका टाइम टेबल कैसा हो, यह सभी बातें भेड़चाल को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, यूपीएससी toppers की बातें हम सब सुनते हैं और फिर बिना उसका proper एनालिसिस किए, उनकी आदतों को imitate करने लगते हैं यानि उनकी नकल करने लगते हैं। हम इस बात पर बिलकुल ध्यान नहीं देते कि जो परिस्थिति उन toppers की हैं, वह हमारी हैं या नहीं। या फिर उन toppers की जो strong और week points क्या वो आपके strong और week पॉइंट्स से मैच करते हैं या नहीं।  


  दुर्भाग्य से यह बात आज अधिकांश aspirants पर पूरी तरह फिर बैठती है और यही उनकी असफलता का सबसे बाद कारण बनता है। अगर आपको यकीन ना हो ऐसे ही किसी random aspirant से बात कीजिये और उससे कुछ बेसिक सवाल पूछिए, जैसे वह उसी किताब या नोट्स से क्यों पढ़ रहा है या उसने उसी कोचिंग में एड्मिशन क्यों लिया है। 90 प्रतिशत से अधिक लोगों का जवाब होगा – क्योंकि अमुक topper इस किताब से पढ़ा था या उसके दोस्त भी उसी कोचिंग में पढ़ रहे हैं। यही भेड़चाल है और अगर आप आईएएस बनना चाहते हैं तो आपको इससे बचना होगा।    एक बात हमेशा ध्यान रखिए कि प्रकृति ने हर इंसान को अलग बनाया है और सफलता तभी मिलती है जब आप अपने अंदर छुपे उस different एलिमंट को पहचाने और उसी के एकोर्डिंग अपने जीवन की रूपरेखा तैयार करें। यूपीएससी में सफल होने के लिए आपको भेड़ नहीं बल्कि शेर बनना होगा जो अपना रास्ता खुद बनाता है।