किस राज्य से बनते हैं सबसे ज्यादा IAS और IPS

 आईएएस बनने का सपना देश के हर राज्य के विद्यार्थी देखते हैं और यूपीएससी भी हर राज्य के स्टूडेंट्स को परीक्षा में बराबर का मौका देता है। लेकिन फिर भी कुछ राज्य ऐसे हैं जहां से ढेर सारे आईएएस हर साल निकलते हैं। आज के विडियो में हम कुछ ऐसे ही राज्यों के बारे में जानेंगे जहां से बड़ी संख्या में आईएएस निकलते हैं। आगे बढ्ने से अहले सरकार के आंकड़ों पर एक नज़र डाल लेते हैं। 4,443 आईएएस अधिकारियों के लिए नवीनतम कार्मिक मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 671 (15 प्रतिशत) उत्तर प्रदेश में नियुक्त हैं, बिहार 419 (9.4 प्रतिशत) अधिकारियों की सेवा में योगदान देता है।


हालाँकि आंकड़ों में IAS को उनके कार्यकाल के अंत तक पदोन्नत किए गए राज्य सेवा अधिकारियों के नाम शामिल हैं, लेकिन डेटा यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि नौकरशाही उत्तर प्रदेश और बिहार के युवाओं के लिए एक प्रमुख आकर्षण बनी हुई है।

 

इसके बाद सबसे ज्यादा आईएएस अधिकारी तमिल नाडु का स्थान आता है, जबकि आंध्र प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब और मध्य प्रदेश का स्थान इन तीनों राज्यों के बाद आता है।

 

2007 से 2016 के बीच देशभर से कुल 1664 आईएएस अधिकारी बने उनमें से 125 यानी (7.51 प्रतिशत) शामिल हुए थे। बता दें कि एक ऐसा समय भी था जब सबसे ज्यादा आईएएस बिहार से ही आते थे लेकिन 1990 के बाद से इसमें गिरावट आई हालांकि अब एक बार फिर बिहार के विद्ययार्थों ने असमें महारथ हासिल कर ली है। मगर इन सबके बावजूद उत्तर प्रदेश कई सालों से इस मामले में पहले स्थान पर बना हुआ है। 

सबसे ज्यादा आईएएस कौन से राज्य के हैं?


ऐसे में यदि हम उत्तर प्रदेश के एक गाँव की चर्चा नहीं करनेग तो शायद बात पूरी नहीं होगी। लखनऊ के पास महज 75 परिवार वाला एक छोटा सा गाँव है - माधोपट्टी जिसने देश को अनेक आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसर दिए हैं। माधोपट्टी के होनहार छात्रों की सफलता केवल सिविल सेवा तक सीमित नहीं हैं बल्कि वे अपनी सेवाएं इसरो और इंटरनेशनल कोर्ट में भी दे रहे हैं। यूं तो गांव के छात्रों के अफसर बनने का सफ़र 1914 में ही शुरू हो गया था जब माधोपट्टी ने मुस्तफा हुसैन के रूप में 1914 में पहला आईएएस अफसर दिया लेकिन ये चर्चा में तब आया जब माधोपट्टी ने देश को कुल 47 अफसर दिए। माधोपट्टी के सफल परीक्षार्थियों की सबसे ख़ास बात ये रही कि इस गांव में दूर-दूर तक कोई कोचिंग सेन्टर नहीं है और तब भी छात्रों की लगन और मेहनत ने सब कुछ बेहद आसान कर देश की कठिनतम परीक्षा में उन्हें स्थान दिलवाया। जहां कोचिंग को कई लोग यूपीएससी की तैयारी और उसके सफर में एक महत्वपूर्ण फैक्टर मानते हैं वहीं माधोपट्टी ने इस मान्यता को सिरे से खारिज कर सफलता के नए कीर्तिमान लिखे हैं।