क्या है सहकारिता ?क्या है भारत में इसका भविष्य ?
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क्या है सहकारिता ?क्या है भारत में इसका भविष्य ?
- हाल ही में सहकारिता नीति पर राष्ट्रीय सम्मेलन (National Conference on Cooperation Policy) का आयोजन नई दिल्ली में संपन्न हुआ।
- सम्मेलन छह महत्त्वपूर्ण विषयों पर केंद्रित था जिसमें न केवल सहकारी समितियों के पूरे जीवन चक्र को शामिल किया गया था बल्कि उनके व्यवसाय और शासन के सभी पहलुओं को भी शामिल किया गया।
क्या है सहकारिता ?
'सहकारी' शब्द का अर्थ है- 'साथ मिलकर कार्य करना'। इसका अर्थ हुआ कि ऐसे व्यक्ति जो समान आर्थिक उद्देश्य के लिए साथ मिलकर काम करना चाहते हैं वे समिति या समूह बना लेते हैं जिसे ‘सहकारी समिति’ कहा जाता है दूसरे शब्दों में आर्थिक आवश्यकता की पूर्ति के लिए संस्थाबद्ध हुए लोग, जो व्यवसाय चलाकर समाज की आर्थिक सेवा तथा संस्था के सभी सदस्यों को आर्थिक लाभ कराते हैं, को सहकारिता या सहकारी समिति कहा जाता है।
निम्नलिखित विषयों पर आयोजित की गई पैनल चर्चा
- वर्तमान कानूनी ढांचा, नियामक नीति की पहचान, संचालन संबंधी बाधाएं और उन्हें दूर करने हेतु आवश्यक उपाय जिससे व्यापार करने में आसानी हो तथा सहकारी समितियों तथा अन्य आर्थिक संस्थाओं को एक समान अवसर प्रदान किया जा सके।
- सहकारी सिद्धांतों, लोकतांत्रिक सदस्य नियंत्रण, सदस्यों की बढ़ती भागीदारी, पारदर्शिता, नियमित चुनाव, मानव संसाधन नीति, अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं का लाभ उठाने, खाता रखने एवं लेखा परीक्षा सहित शासन को मज़बूत करने हेतु सुधार करना।
- प्रशिक्षण, शिक्षा, ज्ञान साझा करना और जागरूकता निर्माण जिसमें सहकारी समितियों को मुख्यधारा में लाना, प्रशिक्षण को उद्यमिता से जोड़ना महिलाओं, युवा और कमज़ोर वर्गों को शामिल करना शामिल है।
- नई सहकारी समितियों को बढ़ावा देना, सहकारी समितियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना, सदस्यता बढ़ाना, सामूहिकता को औपचारिक बनाना, सतत विकास के लिए सहकारी समितियों का विकास करना, क्षेत्रीय असंतुलन को कम करना और नए क्षेत्रों की खोज करना।
- सामाजिक सहकारिता को बढ़ावा देना और सामाजिक सुरक्षा में सहकारी समितियों की भूमिका को बढ़ाना।
- ‘सहकार से समृद्धि’ के विज़न को साकार करने के लिये देश में सहकारिता आधारित आर्थिक मॉडल को मज़बूत करने के लिये प्रोत्साहन देना
भारत सरकार का सहकारिता मंत्रालय
- भारत सरकार ने प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में 6 जुलाई, 2021 को एक नए सहकारिता मंत्रालय का गठन किया था, जिसका उद्देश्य सहकारी क्षेत्र के विकास को नए सिरे से गति प्रदान करना और ‘सहकार से समृद्धि’ के दृष्टिकोण को साकार करना था।
- मंत्रालय नई योजनाओं और नई सहकारिता नीति के निर्माण से सहकारी क्षेत्र के विकास के लिये लगातार काम कर रहा है।
- यह मंत्रालय देश में सहकारिता आंदोलन को मज़बूत करने के लिये एक अलग प्रशासनिक, कानूनी और नीतिगत ढाँचा प्रदान करेगा।
- यह सहकारी समितियों को ज़मीनी स्तर तक पहुँच प्रदान कर उन्हें एक जन आधारित आंदोलन के रूप में मज़बूत करने में मदद करेगा।
- यह सहकारी समितियों के लिये 'ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस' हेतु प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और बहु-राज्य सहकारी समितियों (MSCS) के विकास को सक्षम करने पर काम करेगा।
भारत में सहकारिता
- अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) सहकारिता को "संयुक्त स्वामित्व वाले और लोकतांत्रिक रूप से नियंत्रित उद्यम के माध्यम से अपनी आम आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक ज़रूरतों व आकांक्षाओं को पूरा करने हेतु स्वेच्छा से एकजुट व्यक्तियों के एक स्वायत्त संघ" के रूप में परिभाषित करता है।
- भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED),भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको),अमूल भारत में सफल सहकारी समितियों के सुप्रसिद्ध उदाहरण हैं
सहकारिता से सम्बंधित संवैधानिक प्रावधान
- संविधान (97वाँ संशोधन) अधिनियम, 2011 द्वारा भारत में कार्यरत सहकारी समितियों के संबंध में एक नया भाग IXB जोड़ा गया।
- संविधान के भाग-III के अंतर्गत अनुच्छेद 19 (1)(c) में "यूनियन (Union) और एसोसिएशन (Association)" के बाद "सहकारिता" (Cooperative) शब्द जोड़ा गया था।
- यह सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान कर सहकारी समितियाँ के गठन में सक्षम बनाता है।
- राज्य के नीति निदेशक तत्त्वों (भाग IV) में "सहकारी समितियों के प्रचार" के संबंध में एक नया अनुच्छेद 43B जोड़ा गया था।
- ‘सहकारी समिति’ का विषय संविधान की सातवीं अनुसूची में सूची- II (राज्य सूची) के मद 32 में शामिल एक राज्य का विषय है।
भारत में सहकारिता का भविष्य
- प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ भारत में नए क्षेत्र उभर रहे हैं और सहकारी समितियाँ लोगों को उन क्षेत्रों तथा प्रौद्योगिकियों से परिचित कराने में एक बड़ी भूमिका निभा सकती है।
- सहकारिता आंदोलन का सिद्धांत सभी को एकजुट करना है। सहकारिता आंदोलन में लोगों की समस्याओं को हल करने की क्षमता है।
- हालाँकि सहकारी समितियों में अनियमितताएँ हैं जिन्हें रोकने के लिये नियमों का और उनके अधिक सख्त कार्यान्वयन होने की आवश्यकता है।
- सहकारी समितियों को मज़बूत करने के लिये किसानों के साथ-साथ इनका भी बाज़ार से संपर्क होना चाहिये।
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देखते रहिए,
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