क्या होती है ‘Beating Retreat‘ ? क्यों चर्चा में है इस बार का ‘ Beating Retreat‘  

हर साल लाखों की संख्या में स्टूडेंट्स यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होते हैं और हर साल हजारों स्टूडेंट्स अपना सारा समान बांध कर गाँव से दिल्ली या किसी अन्य बड़े शहर का रुख करते हैं, यूपीएससी की तैयारी करने के लिए। दरअसल कई स्टूडेंट्स के लिए यह migration तैयारी का पहला कदम होता है। एक बात यूपीएससी circles में बहुत आम है कि गाँव से यूपीएससी की तैयारी कर पाना next to impossible है। तो कितनी सच्चाई है इस दावे में? आइए जानते हैं आज के वीडियो में। 

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क्या होती है ‘Beating Retreat‘ ? क्यों चर्चा में है इस बार का ‘ Beating Retreat‘  

  • हम बात करने जा रहे हैं, गणतंत्र दिवस समारोह की समाप्ति के सूचक Beating Retreat की इस कार्यक्रम में थलसेना वायुसेना और नौसेना के बैंड पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं यह सेना की बैरक वापसी का तो ठीक है
  • गणतंत्र दिवस के पश्चात हर साल 29 जनवरी को बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है क्या होती है बीटिंग द रिट्रीट आइए आपको बताते हैं
  • बीटिंग द रिट्रीट आखिर है क्या छब्बीस जनवरी पर चार दिवसीय समारोह होता है जिसमें सबसे आखिरी कार्यक्रम 29 जनवरी को बीटिंग द रिट्रीट होता है यह कार्यक्रम नई दिल्ली के ऐतिहासिक विजय चौक पर आयोजित किया जाता है
  • यह शब्द मुख्य रूप से सेना के लिए ही इस प्रकार होता है यह सेना का अपने बैरक में लौटने का प्रतीक भी माना जाता है ऐसा माना जाता है कि जब सेना में सूर्यास्त के बाद युद्ध मैदान से वापस लौटी थी जैसे ही वापसी का बिगुल बस तथा लड़ाई रोग की जाति कि हथियार रख दिए जाते थे
  • युद्धस्थल छोड़ दिया जाता था इस दौरान झंडे नीचे उतार दिए जाते इसे ही बीटिंग रिट्रीट कहते हैं भारत में यह समारोह साल में एक बार गणतंत्र दिवस के मौके पर आयोजित किया जाता है बीटिंग रिट्रीट में इस बार 11 आखर सभी महत्वपूर्ण सरकारी भवनों को छब्बीस जनवरी से 29 जनवरी के बीच रोशनी से सजाया गया इस साल बीटिंग रिट्रीट समारोह में प्रस्तुति देने के लिए भारत निर्मित 1000 डोह तैयार किए गए थे कि रोशनी से बूरा आसमान जघ गया पहली बार ड्रोन को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया है
  • यह ट्रेन वे नेशनल वर मेमोरियल की तस्वीर बनाते हुए दिखे 10 मिनट के इस रोल लाइट शो के जरिए अंधेरे आकाश में कई रचनात्मक संरचनाओं के माध्यम से 75 सरकारी उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया, इनमें बैक इन इंडिया के केंद्र आजादी का अमृत महोत्सव जैसे अभियानों को भी ड्रोन के जरिए दर्शाया गया
  •  इसके अलावा बीटिंग द रिट्रीट समारोह में पहली प्ले लिस्ट वर्षों का भी आयोजन किया गया यह आयोजन तीन सेनाओं के साथ मिलकर एक सामूहिक बैंड वादन से हुआ, इस दौरान अवधि एकल प्रदर्शन करते दिखाई दिए इसके अलावा ट्यूबवेल घंटियों द्वारा चाइनीस बजाई गई इसके बाद विपरीत का बिगुल वादन हुआ और बैंड मास्टर ने राष्ट्रपति के पास जाकर बैंड वापस ले जाने की अनुमति मांगी किसी के साथ समापन समारोह पूरा हुआ बैंड मांस वापस जाते समय लोकप्रिय धनु सारे जहां से अच्छा बजाई गई ठीक शाम 6बजे राष्ट्रीय ध्वज को दान दिया गया और राष्ट्रगान के साथ गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन हो गया
  •  क्यों चर्चा में है इस बार का बीटिंग रिट्रीट 1950 से हर साल बजाई जाने वाली अब बाइक विद मी कि दो उसको इस बार के बीटिंग द रिट्रीट समारोह में शामिल नहीं किया गया हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब इस गीत को जर्मनी से हटाया गया है 2030 में हुए बीटिंग द रिट्रीट के समारोह से भी प्रभजीत को हटाने का फैसला लिया गया था लेकिन जमकर मचे हो-हल्ले के बाद अब वाइटबाय मी को पिछले साल के समारोह का हिस्सा बनाया गया था
  • इस खबर के साथ लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं कि आखिर बीटिंग रिट्रीट में यही ध्यान क्यों बजाई जाती रही है और इस अंग्रेजी गाने कि आखिर कहानी क्या है तो आइए आज हम आपको इस गाने की कहानी बताते हैं और साथ ही यह भी बताते हैं कि आखिर यह गाना किस वजह से खास है क्या है
  • इसका ने की कहानी एक रिपोर्ट के अनुसार यह गाना फ्री मोड ऑन वर्ल्ड में स्कॉटलैंड के एंग्लिकन मिनिस्टर हैंडीक्राफ्ट्स लाइट नहीं 1820 में लिखा था जब वह अपने एक दोस्त से मिलकर आए थे जो अपनी जीवन की अंतिम सांसें ले रहा था गाने में उसके जाने का रंग जाहिर किया गया है इस गीत को अंग्रेजी संगीतकार विलियम हेनरी मॉम की ट्यून लगाया जाता है
  • इसाई धर्म के इस लोकप्रिय उनको टाइटैनिक डूब में पर भी बजाया गया था वहीं पहले विश्व युद्ध में भी कि काफी बार गया साथ ही इंडियन आर्मी के अलावा कई अन्य देशों की सेनाओं में भी इसे शहीदों को याद करते हुए बजाया जाता है
  •  भारत से इस गाने का कनेक्शन अबाउट विद मी महात्मा गांधी के निजी पसंदीदा गीतों में से एक का राष्ट्रपिता ने सबसे पहले मैसूर पैलेस बैंक से यह धूम सुनिधि और वह इस गाने को भुला नहीं पा कहा जाता है कि वैष्णव जल्द और रघुपति राघव राजा राम के साथ यह भी उनकी पसंदीदा जगहों में से एक की जो अब बीटिंग द रिट्रीट में सुनाई नहीं देगी माना जाता है
  •  कि महात्मा गांधी की ही वजह से इसे सिलना में बजाया जाता था अब किस गांव में ने ले ली जगह इस साल के बीटिंग रिट्रीट समारोह का समापन सारे जहां से अच्छा कि उनके साथ हुआ था
  •  इसके अलावा ही कांचा चीना बिलोरी ईएस वे जन्मभूमि हिंद की सेना और कदम कदम बढ़ाए जा उन 26 घरों में शामिल थी जिन्हें साल 29 जनवरी की शाम भिजवाया गया इस समारोह में 44 बिल्कुल वादक 16 तुरई बजाने वाले और 75 ढोल वादकों ने भाग लिया


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देखते रहिए, 

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