Preparation Environment for UPSC: UPSC के Preparation के लिए पर्यावरण की तैयारी कैसे करें |
UPSC ने वर्ष 2011 में सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के सामान्य अध्ययन (पेपर-1) में एक नया विषय प्रस्तुत किया, जिसे हम पर्यावरण पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन के नाम से जानते हैं। हालांकि UPSC ने पाठ्यक्रम में यह कथन दिया है, कि पाठ्यक्रम के इस विषय में किसी प्रकार की विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है, लेकिन environment एवं पारिस्थितिकी क्षेत्र में होने वाले निरंतर विकास एव परिवर्तनों के दृष्टिकोण से इसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
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पर्यावरण महत्वपूर्ण विषय क्यों ?
- environment pollution से जुड़े विषयों को पढ़ने के लिए NCERT की 9वीं से 12वीं तक की किताबों
को पढ़ना चाहिए। साथ ही इंटरनेट पर मौजूद पर्यावरण से सम्बंधित जानकारियां भी
लाभदायक होती हैं। पर्यावरण से सम्बंधित IGNOU के पाठ्य सामग्री भी परीक्षा के
दृष्टिकोण से लाभदायक है।
- अभ्यर्थी
को जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता सम्बंधित खतरे, ऊर्जा आदि Topic का updation
जारी रखना चाहिए। इसके द्वारा अभ्यर्थी प्रारंभिक के साथ मुख्य परीक्षा में लाभान्वित
हो सकते हैं।
- समाचार
पत्र environment के सभी क्षेत्रों की विस्तृत जानकारी देते हैं, साथ ही विज्ञान
प्रगति का अध्ययन पर्यावरण के महत्वपूर्ण मुद्दों की जानकारी लिए लाभदायक है।
- अभ्यर्थी
को ज्यादा से ज्यादा पिछले वर्ष के प्रश्न पत्रों को हल करना चाहिए। प्रश्नों
के अभ्यास के लिए अभ्यर्थी को प्रश्न पत्र पुस्तिका की सहायता लेनी चाहिए। छात्रों
को इससे, एक तो प्रश्नों की प्रकृति को समझने में मदद मिलती है, साथ ही अवधारणा
में भी स्पष्टता आती है।
पर्यावरण सम्बंधित मुद्दों का, विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है। सरकार की नीतियों में चिंताएं, मुख्य रूप से शामिल रहती हैं। पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास वर्तमान में वैश्विक मुद्दा है।
सिविल सेवा परीक्षा में पिछले कुछ वर्षों से, environmental protection से संबंधित प्रश्नों में वृद्धि हो रही है, इसलिए अभ्यर्थियों को environment मुद्दों पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। इस खंड की गंभीरता इस तथ्य से भी तय की जा सकती है कि यह General Studies (पेपर-1) के लगभग 25-30% अंको के प्रश्न इसी विषय से पूछे जाते हैं। यदि हम पिछले कुछ वर्षों में पर्यावरण, पारिस्थितिकी, जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन खंड पर एक नजर डालें, तो हमें इस खंड के महत्व के बारे में जान सकते हैं। How to Prepare environment for UPSC
पर्यावरण विषय
की तैयारी कैसे
करें ?
- Preparational Environment से जुड़े विषयों को पढ़ने के लिए NCERT की 9वीं से 12वीं तक की किताबों
को पढ़ना चाहिए। साथ ही इंटरनेट पर मौजूद कैसे upsc के लिए पर्यावरण और पारिस्थितिकी के लिए तैयार करने के से सम्बंधित जानकारियां भी
लाभदायक होती हैं। लिए से सम्बंधित IGNOU के पाठ्य सामग्री भी परीक्षा के
दृष्टिकोण से लाभदायक है।
- अभ्यर्थी
को जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता सम्बंधित खतरे, ऊर्जा आदि Topic का updation
जारी रखना चाहिए। इसके द्वारा अभ्यर्थी प्रारंभिक के साथ मुख्य परीक्षा में लाभान्वित
हो सकते हैं।
- समाचार
पत्र environment के सभी क्षेत्रों की विस्तृत जानकारी देते हैं, साथ ही विज्ञान
प्रगति का अध्ययन पर्यावरण के महत्वपूर्ण मुद्दों की जानकारी लिए लाभदायक है।
- अभ्यर्थी
को ज्यादा से ज्यादा पिछले वर्ष के प्रश्न पत्रों को हल करना चाहिए। प्रश्नों
के अभ्यास के लिए अभ्यर्थी को प्रश्न पत्र पुस्तिका की सहायता लेनी चाहिए। छात्रों
को इससे, एक तो प्रश्नों की प्रकृति को समझने में मदद मिलती है, साथ ही अवधारणा
में भी स्पष्टता आती है।
देखते रहिए Prabhat Exams !
नमस्कार >>>
पारिस्थितिकी
क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन की वजह से इसे महत्वपूर्ण
माना जाता है
UPSC
के preparation के लिए पर्यावरण की तैयारी कैसे करें?
सरकारी नीतियों में पर्यावरण चिंताएं
शामिल
UPSC परीक्षा में पर्यावरण से संबंधित प्रश्नों में वृद्धि हो रही है
General
Studies के पेपर में लगभग
25-30% अंको के प्रश्न environment of Business विषय से पूछे जाते हैं
Environment for UPSC विषय की तैयारी कैसे
करें ?
पर्यावरण से जुड़े विषयों के लिए
NCERT की 9वीं-12वीं तक की किताबें पढ़े
IGNOU के पाठ्य सामग्री भी परीक्षा
के दृष्टिकोण से लाभदायक है
जलवायु परिवर्तन एंव जैव विविधता
सम्बंधित जानकारी से अपडेटेड रहें
समाचार पत्र से Environmental essay के सभी क्षेत्रों की विस्तृत जानकारी मिलती हैं |
अभ्यर्थी को पिछले वर्ष के प्रश्न
पत्रों को हल करना चाहिए |
धार्मिक रूप से इन युक्तियों का पालन करें और केवल अध्ययन
के उपर्युक्त स्रोतों का हवाला देकर आपको UPSC के लिए पर्यावरण तैयार करने में
मदद मिलेगी। आवश्यक ज्ञान प्राप्त करने के लिए, प्रासंगिक जानकारी बनाए रखें और अपने डी-डे पर अपेक्षित
उत्तर लिखें, आपको
इन सुझावों को दैनिक अभ्यास करना चाहिए।
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