दोस्तों, आपसब में से बहुत से अभ्यर्थी ऐसे होंगे जिनकी IAS बनने के प्रति अभिरुचि 10वीं या 12वी कक्षा में जगी होगी. ऐसे स्टूडेंट्स इस बात के प्रति चिंतित भी रहते हैं कि ग्रेजुएशन किस कोर्स में किया जाए. दोस्तों, IAS बनना महज एक प्रतिष्ठा या पॉवर की जॉब नहीं है बल्कि ये एक अवसर है जिसमे समाज कल्याण की अपार संभावनाए हैं. अत्यधिक अधिकार एवं कार्य करने की स्वतंत्रता ने इस नौकरी को बहुत अधिक लोकप्रिय बना दिया है. IAS परीक्षा  का महत्व साल दर साल बढ़ता जा रहा है जिसका प्रमाण इसमें बढ़ते हुए आवेदनों की संख्या है. IAS परीक्षा दो चरणों में होती है और दोनों चरणों की तैयारी के लिए अलग अलग रणनीति होती है.

वास्तव में कई उम्मीदवार अपने स्कूल के दिनों से ही भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होने का सपना देखते है और उसी समय से इस प्रतिष्ठित सिविल सेवा की तैयारी में प्रतिबद्धता से जुट जाते हैं. पिछले दो सालों में यह प्रवृति बढती हुयी देखी जा रही है. यहाँ तक की IAS कोचिंग संस्थानों में भी स्नातक की योग्यता प्राप्ति के पूर्व ही उम्मीदवारों को IAS परीक्षा की तैयारी के लिए नामांकन करते देखा जा सकता है.

उम्मीदवार जिन्होंने अभी तक स्नातक के स्ट्रीम को नहीं चुना है उनके मन में एक सामान्य जिज्ञासा होती है कि स्नातक में ऐसा कौन सा विषय रखा जाए जो IAS परीक्षा की तैयारी में मददगार हो और इस कठिन परीक्षा को पार कर जाने का सपना पूरा हो सके. लक्ष्य के प्रति समर्पित उम्मीदवारों के इस जिज्ञासु प्रश्न का जवाब कोई भी साधारण रूप से नही दे सकता, ऐसे में जबकि IAS परीक्षा के लिए आधारभूत शैक्षणिक योग्यता स्नातक है और IAS परीक्षा में विभिन्न वैकल्पिक विषय उपलब्ध है, जो इस परीक्षा को किसी भी पृष्ठभूमि से आने वाले उम्मीदवारों के लिए सामान्य अवसर का खेल बनाता है चाहे उम्मीदवार तकनीकी पृष्ठभूमि से हो या फिर मानविकी से.

नीचे हमने इस प्रश्न का यानी IAS परीक्षा के लिए योग्य विषय चुनने के आलोक में प्रत्येक विषय के फायदे और नुकसान को चिन्हित कर जवाब देने का प्रयास किया है:

सामाजिक विज्ञान

मानविकी विषय को पारंपरिक रूप से सिविल सेवा परीक्षा के गढ़ के रूप में माना जाता रहा है. अगर हम यूपीएससी द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट में उल्लिखित डाटा पर दृष्टि डालें तो हम पाते हैं कि अन्य विषयों की तुलना में मानविकी विषय का चयन करने वाले उम्मीदवारों का सफलता प्रतिशत ज्यादा रहा है. इस प्रवृति के वावजूद कुछ वर्षों से मानविकी विषय रखने वाले उम्मीदवारों की सफलता अनुपात कम हुई है. परन्तु इन सभी कारकों के वावजूद मानविकी पृष्ठभूमि के उम्मीदवार अधिक संख्या में सफल घोषित हो रहे हैं.

इंजीनियरिंग

वर्तमान परिस्थितियों में हम स्पष्टता से देख सकते हैं कि इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों का सफलता अनुपात बहुत बढ़ा है. अगर हम पिछले कुछ वर्षों के IAS टॉपर्स का अवलोकन करें तो यह स्पष्ट होता हैं कि इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों का इस परीक्षा में प्रभुत्व है. हालाँकि वैकल्पिक विषय के रूप में इंजीनियरिंग विषय का चयन करने वाले उम्मीदवारों का सफलता अनुपात अन्य विषयों की तुलना में कम है, परन्तु अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि टॉपर्स टेक्नीकल विषय का चयन कर ही सफल हुए हैं. इस प्रकार अगर कोई उम्मीदवार न केवल सफल होना चाहता बल्कि खुद को IAS टॉपर्स की कतार में खड़ा हुआ देखना चाहता है तो इस विषय के चुनाव और कड़ी मेहनत के दम पर वह अपने आपको कतार में शामिल कर सकता है.

विज्ञान

अल्प पर सम्माननीय संख्या में विज्ञान विषय से स्नातक उम्मीदवार लगातार IAS परीक्षा में सफल होते रहे हैं. हालाँकि उनकी संख्या इतनी अधिक नही है कि वे सफलता के लिए विषय चुनाव में उतना प्रभावशाली स्थान बना पाए. परन्तु वैज्ञानिक सोच एवं टेक्नोक्रेट के नौकरीशाही तंत्र में बढती मांग को देखते हुए निश्चित रूप से धीमी और स्थिर वृद्धि देखा जा सकता है.

चिकित्सा विज्ञान

समरूप चिकित्सा विज्ञान विषय को IAS परीक्षा के सम्बन्ध में उतना अनुरूप नही माना गया है. यह इसलिए क्योंकि इस व्यावसायिक डिग्री को प्राप्त करने वाले बहुत कम लोग नौकरशाही का अंग बनना चाहते हैं. परन्तु भौतिक विज्ञान विषय की तरह ही चिकित्सा विज्ञान पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों की संख्या एवं सफलता अनुपात में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है.

बीकॉम/एमबीए/बीबीए/सीए/सीएस/सीएफए

ये सभी डिग्रियां प्रकृति में पेशेवर मानी जाती है इसलिए इन क्षेत्रों से बहुत कम संख्या में उम्मीदवार IAS परीक्षा के लिए आकर्षित होते हैं. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से हम निश्चित रूप से बीकॉम एवं एमबीए पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों की संख्या में बढ़ोतरी देख सकते हैं. IAS परीक्षा में सीसैट (जो तर्क, गणित, डेटा की व्याख्या और निर्णय लेने पर केंद्रित है) को शामिल किये जाने के साथ ही बीकॉम और एमबीए पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों ने सिविल सेवा परीक्षा के बारे में और अधिक गंभीरता से सोचना शुरू कर दिया. आने वाले दिनों में हमें आशा करनी चाहिए इनकी भागीदारी एवं सफलता अनुपात में उल्लेखनीय वृद्धि होगी.

निष्कर्ष

निरपेक्ष रूप से अतीत और वर्तमान रुझान के आकलन के उपरान्त यही कहा जा सकता है कि IAS में सफलता केवल और केवल उम्मीदवार के जूनून और रूचि पर निर्भर करता है. यहाँ तक कि इस परीक्षा के लिए आदर्श कहे जाने वाले स्ट्रीम और विषय चुनने के वावजूद, अगर आपके अंदर विषय और परीक्षा की तैयारी के लिए जूनून नही है तो कोई फर्क नही पड़ने वाला. जूनून के साथ यह आवश्यक है कि आप जो विषय चुनते हैं वो आपकी रूचि का हो एवं आपको कठिन परिश्रम के लिए प्रेरित करे. जब सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी की बात आती है तो इस परीक्षा में सफलता के लिए आवश्यक कठिन परिश्रम का कुछ भी प्रतिस्थापन नही है.

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