भारत के इतिहास में कई वीर योद्धाओं ने जन्म लिया, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो अमर हो जाते हैं। जैसे कि छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज  जो  एक वीर योद्धा थे। उनकी वीरता, बलिदान और स्वराज्य की रक्षा के लिए उनका संघर्ष इतिहास के स्वर्णिम पन्नो में दर्ज है। मेधा देशमुख भास्करन द्वारा लिखित पुस्तक "छावा" हमें संभाजी महाराज के जीवन की अद्भुत गाथा बताती है। यह पुस्तक केवल एक ऐतिहासिक जीवनी नहीं, बल्कि राष्ट्रप्रेम, वीरता और बलिदान की प्रेरणादायक कथा है।  

संभाजी महाराज (Chhaava) का बचपन और शिक्षा

संभाजी महाराज (Chhaava) का जन्म 14 मई 1657 को हुआ था। वे बचपन से ही बहादुर, बुद्धिमान और युद्ध कौशल में निपुण थे। शिवाजी महाराज ने उनकी शिक्षा और युद्धनीति पर विशेष ध्यान दिया। वे संस्कृत, मराठी, फारसी और कई अन्य भाषाओं के ज्ञाता थे। छोटी उम्र से ही वे सैन्य अभियानों में भाग लेने लगे और युद्ध में अपनी कुशलता का परिचय दिया।  


संभाजी महाराज (Chhaava) का शौर्य

संभाजी महाराज (Chhaava) बहुत बहादुर थे। वो शिवाजी महाराज के बेटे थे और उन्हीं की तरह निडर भी थे। उन्होंने दुश्मनों से खूब लड़ाई की और कभी हार नहीं मानी।

जब मुगलों ने हमला किया, तो संभाजी महाराज ने अपनी छोटी सी सेना के साथ उनका मुकाबला किया। उन्होंने दुश्मनों को बहुत परेशान किया और उन्हें कई बार हराया। वो बहुत तेज थे और अपनी बुद्धि से दुश्मनों को चकमा देते थे।


संभाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य को बचाने के लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं की और दुश्मनों से लड़ते हुए अपनी आखिरी सांस तक देश की रक्षा की। उनकी बहादुरी की कहानियां आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। वो एक सच्चे योद्धा थे और हमेशा याद किए जाएंगे। उन्होंने दिखाया कि अगर दिल में हिम्मत हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किल को भी हराया जा सकता है। वो एक ऐसे वीर थे जिन्होंने अपने देश के लिए सब कुछ त्याग दिया था।

औरंगजेब के खिलाफ संघर्ष

संभाजी महाराज का सबसे बड़ा संघर्ष मुगल सम्राट औरंगजेब के खिलाफ था। औरंगजेब ने भारत में मुगल साम्राज्य को फैलाने के लिए मराठाओं को समाप्त करना चाहा, लेकिन संभाजी महाराज ने बहादुरी से मुकाबला किया। उन्होंने 1681 से 1689 तक मुगलों के खिलाफ कई सफल युद्ध लड़े। अंततः उन्हें धोखे से बंदी बना लिया गया और पर इतनी क्रूर यातनाओं के बावजूद भी वे झुके नहीं।  उनकी मृत्यु ने मराठाओं के हृदय में ऐसी ज्वाला जलाई, जिसने मुगलों के सपनों को राख कर दिया। उनका बलिदान मराठा इतिहास का सबसे गौरवशाली अध्याय बन गया।  



Chhaava पुस्तक क्यों पढ़नी चाहिए?

Chhaava पुस्तक हर भारतीय को पढ़नी चाहिए, ताकि हम अपने महान इतिहास को समझ सकें और उससे प्रेरणा ले सकें।

यह हमें यह भी सिखाती है कि हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और हमेशा अपने लक्ष्यों के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। "छावा" पुस्तक न केवल संभाजी महाराज के जीवन पर प्रकाश डालती है, बल्कि हमें यह भी सिखाती है कि कैसे एक व्यक्ति अपने साहस, दृढ़ संकल्प और देशभक्ति से इतिहास बदल सकता है। संभाजी महाराज का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चे नायक हमेशा अमर रहते हैं|

लेखिका के बारे में

मेधा देशमुख भास्करन एक प्रसिद्ध लेखक और माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं। उन्होंने चिकित्सा, फार्मा और इतिहास से जुड़े विषयों पर कई लेख लिखे हैं। उनकी अन्य प्रमुख पुस्तकें चैलेंजिंग डेस्टिनी' और *फ्रंटियर्स: द रिलेंटलेस बैटल बिटविन औरंगजेब एंड शिवाजी' भी इतिहास प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।


निष्कर्ष 

संभाजी महाराज की कहानी केवल एक योद्धा की नहीं, बल्कि एक ऐसे वीर पुरुष की है जिसने अपने स्वराज्य और आत्मसम्मान के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। "छावा" पुस्तक इस महान योद्धा की गाथा को हमारे सामने लाती है और हमें राष्ट्रप्रेम और साहस की सीख देती है।