Kabeer Dohawali

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सामान्य तरीके से जन्म लेकर और एक अति सामान्य परिवार में पलकर कैसे महानता के शीर्ष को छुआ जा सकता है यह महात्मा कबीर के आचार व्यवहार व्यक्‍त‌ि‍त्व और कृतित्व से सीखा जा सकता है। कबीर ने कोई पंथ नहीं चलाया कोई मार्ग नहीं बनाया बस लोगों से इतना कहा कि वे अपने विवेक से अपने अंतर्मन में झाँकें। कबीर मूर्ति या पत्‍थर को पूजने की अपेक्षा अंतर में बसे प्रभु की भक्‍त‌ि करने पर बल देते थे।

14वीं सदी में कबीर दलितों के सबसे बड़े मसीहा बनकर उभरे और उच्च वर्गों के शोषण के विरद्ध उन्हें जागरूक करते रहे। वह निरंतर घूम-घूमकर जन-जागरण चलाते और लोगों में जागृति पैदा करते थे।

रमैनी सबद और साखी में उन्होंने अंधविश्‍वास वेदांत तत्त्व धार्मिक पाखंड मिथ्याचार संसार की क्षणभंगुरता हृदय की शुद्धि माया छुआछूत आदि अनेक प्रसंगों पर बड़ी मार्मिक उक्‍त‌ियाँ कही हैं।

महात्मा कबीर अपनी कालजयी रचनाओं के कारण युगों-युगों तक हमारे बीच उपस्‍थ‌ित रहेंगे। उनकी वाणी का अनुसरण करके हम अपना वर्तमान ही नहीं भविष्य भी सँवार सकते हैं।कबीर आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस काल में थे।

प्रस्तुत पुस्तक में वर्तमान प्रासंगिकता को ध्यान में रखकर ही संत कबीर की जीवनी और काव्य-रचना के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत किया गया है जिससे कि पाठकों को कबीर को समझने और उनके दरशाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिल सके।


महात्मा कबीर अपनी कालजयी रचनाओं के कारण युगों-युगों तक हमारे बीच उपस्‍थ‌ित रहेंगे। कबीर आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस काल में थे।

सामान्य तरीके से जन्म लेकर और एक अति सामान्य परिवार में पलकर कैसे महानता के शीर्ष को छुआ जा सकता है यह महात्मा कबीर के आचार व्यवहार व्यक्‍त‌ि‍त्व और कृतित्व से सीखा जा सकता है। कबीर ने कोई पंथ नहीं चलाया कोई मार्ग नहीं बनाया बस लोगों से इतना कहा कि वे अपने विवेक से अपने अंतर्मन में झाँकें।

कबीर मूर्ति या पत्‍थर को पूजने की अपेक्षा अंतर में बसे प्रभु की भक्‍त‌ि करने पर बल देते थे। 1 4 वीं सदी में कबीर दलितों के सबसे बड़े मसीहा बनकर उभरे और उच्च वर्गों के शोषण के विरद्ध उन्हें जागरूक करते रहे। वह निरंतर घूम-घूमकर जन-जागरण चलाते और लोगों में जागृति पैदा करते थे। रमैनी सबद और साखी में उन्होंने अंधविश्‍वास वेदांत तत्त्व धार्मिक पाखंड मिथ्याचार संसार की क्षणभंगुरता हृदय की शुद्धि माया छुआछूत आदि अनेक प्रसंगों पर बड़ी मार्मिक उक्‍त‌ियाँ कही हैं।

महात्मा कबीर अपनी कालजयी रचनाओं के कारण युगों-युगों तक हमारे बीच उपस्‍थ‌ित रहेंगे। उनकी वाणी का अनुसरण करके हम अपना वर्तमान ही नहीं भविष्य भी सँवार सकते हैं। कबीर आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस काल में थे।

प्रस्तुत पुस्तक में वर्तमान प्रासंगिकता को ध्यान में रखकर ही, संत कबीर की जीवनी और काव्य-रचना के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत किया गया है जिससे कि पाठकों को कबीर को समझने और उनके दरशाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिल सके।


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लेखक के बारे में

नीलोत्पल हिंदी साहित्य के गंभीर अध्येता, समसामयिक विषयों पर चिंतन-लेखन। पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित। हिंदी व संस्कृत के विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा देते हैं।