"कितने गाजी आए कितने गाजी गए" Kitne Ghazi Aaye, Kitne Ghazi Gaye Book In Hindi

लेफ्टिनेंट जनरल के.जे.एस. 'टाईनी' ढिल्‍लों राजपूताना राइफल्स के दिग्गज रहे हैं, जो लगभग चार दशकों की सैन्य सेवा में अनेक बार कश्मीर में पदस्थ रहे।


इस पुस्तक में ' टाईनी ' ढिल्‍लों उस बंद खिड़की को खोलते हैं, जो न केवल उनके जीवन में बल्कि कश्मीर में भी खुलती है। महज तीन साल की उम्र लेकर कश्मीर में अपने अनेक सेवा-वर्षों के दौरान उन्होंने जिन सबसे कठिन चुनौतियों का सामना किया, उनकी रोचक कहानियाँ हैं, जहाँ उन पर एक तरफ आतंकवाद-विरोधी अभियानों तो दूसरी तरफ सेना की उदारवादी शक्ति के बीच संतुलन बनाए रखने की जिम्मेदारी थी। एक युवा से लेकर चिनार के कोर कमांडर बनने तक की पूरी यात्रा को उन्होंने कलमबंद किया है, जिसमें कश्मीर इस कहानी का अभिन्न अंग है।


प्रत्यक्ष अनुभव पर आधारित इस पुस्तक में कश्मीरी पंडितों के पलायन; पुलवामा में भारतीय सुरक्षाबलों के काफिले पर हुए बर्बर हमले, जिसमें सीआरपीएफ के चालीस जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे; बालाकोट हवाई हमला और अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर उसके प्रभावों समेत अनेक दूसरी घटनाओं के मिथकों, अर्ध-सत्यों, क्या और क्यों की चर्चा की गई है और उनके रहस्यों को सुलझाया गया है। यह पुस्तक जम्मू-कश्मीर के इतिहास में होनेवाली विभिन्‍न षड्यंत्रकारी घटनाओं की बारीकियों को बताती है।


छोटी-छोटी कहानियों से भरी, बेबाक और विचारोत्तेजक, ' कितने गाजी आए, कितने गाजी गए' पुस्तक सेना के इस दिग्गज के अपने जीवन की सच्ची कहानियों को सामने लाती है। यह सेना के एक सैनिक के निजी, पेशेवर और पारिवारिक जीवन पर केंद्रित है, जो उन चुनौतियों और संघर्षों की जानकारी देती है, जिनका सामना सैनिक और उनके परिजन करते हैं । बेहद रोचक यह पुस्तक सुधी पाठकों, विशेष रूप से सेना में जाने के इच्छुक युवाओं को भी प्रेरित करेगी ।


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About the Author

लेफ्टिनेंट जनरल कँवलजीत सिंह' टाईनी ' ढिल्‍लों, पीवीएसएम, यूवाईएसएम,वाईएसएम, बीएसएम ( रिटा. ), नेशनल डिफेंसएकेडमी के पूर्व छात्र, 983 में कमीशन होनेवाले इन्फेंट्री ऑफिसर ( राजपूताना राइफल्स )हैं। टाईनी ढिल्‍लों के नाम से लोकप्रिय, कश्मीरऔर पूर्वोत्तर में उग्रवाद और आतंकवाद-विरोधी अभियानों में व्यापक रूप से सक्रिय रहे हैं। पुलवामा आईईडी ब्लास्ट के सबसेचुनौतीपूर्ण माहौल और अनुच्छेद 370 तथा 35 ए को निरस्त किए जाने के दौरान वे श्रीनगर स्थित 5वीं कोर के कमांडर थे। जनवरी 2022 में रक्षा खुफिया एजेंसी के महानिदेशकके पद से सेवानिवृत्त हुए।