'बूढ़ा आदमी और समुद्र' उपन्यास एक बूढ़े गरीब मछुआरे के जीवन-संघर्ष की कहानी है। मछली पकडऩे जाना, मछली पकडऩे की कोशिश करना, उस कोशिश में कामयाब होना, फिर इस सफलता को अंजाम तक लाने की जद्दोजहद का नाम है 'बूढ़ा आदमी और समुद्र'।
एक मछुआरे के जीवन-संघर्ष की यह दास्तान काल, समय और सीमा के बंधन से परे है। यह मछुआरा दुनिया के हर कोने में मौजूद है— अपने परिवेश से जूझता हुआ बिना किसी आक्रोश के, बिना किसी तिरस्कार भाव के। शायद यह मछुआरा एक विकसित आत्मा भी है। उसके सारे मनोभाव तात्कालिक हैं। वह समुद्र से, चिडिय़ों से और मछलियों से संवाद करता है। विषम परिस्थितियाँ उसे विचलित नहीं करतीं। उसकी जिजीविषा मरजीवड़े से कम नहीं।
प्रकृति और मनुष्य के अंतर्संबंधों को बयान करता हुआ अर्नेस्ट हेमिंग्वे का यह उपन्यास निश्चित ही एक कालजयी रचना है तो फिर हम हिंदी के पाठक इससे क्यों वंचित रहते। अस्तु!
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लेखक के बारे में :
अर्नेस्ट हेमिंग्वे—अर्नेस्ट हेमिंग्वे का जन्म अमरीका के इलिनॉय प्रदेश के ओक पार्क में 21 जुलाई, 1899 को हुआ था। 1920 में पत्रकारिता के क्षेत्र में आए। लेखन के आरंभिक दौर में हेमिंग्वे की रचना 'इन आवर टाइम' 1925 में तथा 1926 में 'सन आल्सो राइजेज' प्रकाशित। 1927 में 'मैन विदाउट वूमेन' के प्रकाशित होने के बाद उनकी रचनाओं की माँग बढ़ गई। 1929 में केवल 30 वर्ष की अवस्था में उनकी सुप्रसिद्धऔपन्यासिक कृति 'ए फेयरवेल टू आम्र्स' प्रकाशित हुई, जिसकी धूम मच गई। 1950 में प्रकाशित 'अक्रॉस द रिवर एंड इन टू द ट्रीज' में उन्होंने मृत्यु का वर्णन कर अपनी ही मृत्यु की कल्पना की है। यह पुस्तक भी बेस्टसेलर सिद्ध हुई। 1954 में उनकी संसार प्रसिद्ध रचना 'दि ओल्ड मैन एंड द सी' प्रकाशित हुई, जिसपर उन्हें नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। स्मृतिशेष : 2 जुलाई, 1961।
अजय चौधरी—वर्ष 1967 में जनमे अजय चौधरी ने प्रारंभिक शिक्षा अपने गृह-जनपद एटा में प्राप्त की। उसक बाद उन्होंने अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय का रुख किया। वहीं से अंग्रेजी साहित्य में प्रथम श्रेणी में बी.ए. (ऑनर्स), तदुपरांत एम.बी.ए. किया। कुछ वर्ष दैनिक 'अमर उजाला' से जुड़े रहे और वर्ष 1996 में भारतीय पुलिस सेवा के सदस्य बने। भारतीय पुलिस में Community Policing के क्षेत्र में उनकी विशिष्ट पहचान है। एक संवेदनशील अधिकारी के साथ साहित्य एवं संस्कृति में अभिरुचि के चलते हेमिंग्वे के बहुचर्चित उपन्यास ‘A Farewell to Arms’ का अनुवाद भी कर चुके हैं। अंग्रेजी भाषा में उनका प्रथम उपन्यास प्रकाशनाधीन है। संप्रति दिल्ली पुलिस में विशेष आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं।