chanakya niti


चाणक्य ने अपने पिता की हत्या के बाद बचपन से ही जीवन का उद्देश्य बना लिया था म को एक नेक, सुशील, ईमानदारी और प्रतापी राजा प्रदान करना। अपने इस संकल्प को पूर्ण करने के लिए उन्होंने दिन-रात एक कर दिया। उन्होंने सदाचारी और पराक्रमी युवराज खोजने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया और चंद्रगुप्त को ढूँढ़ निकाला। चंद्रगुप्त का पूरा व्यक्तित्व चाणक्य के द्वारा ही गढ़ा गया था। उन्होंने अपने अनेक शिष्यों को जीवन के पाठ पढ़ाए। वे यहीं तक नहीं रुके अपितु अपने ज्ञान को ‘अर्थशास्त्र’ पुस्तक में समेट दिया। अर्थशास्त्र का ग्रंथ आज अनेक रूपों में समाज के पास उपलब्ध है; बस आवश्यकता है तो उस ग्रंथ को गहनता से पढ़ने की, समझने की और जानने की। चाणक्य ने अपने बुद्धि-कौशल से हर तरह की बाधा से पार पाने के उपाय निकाले हुए थे, जो आज भी उपयोगी हैं। सफलता पाने के लिए यथेष्ट है कि व्यक्ति चाणक्य के व्यक्तित्व को पढ़ें, समझें, जानें और फिर खुद को पहचानें। ऐसा करके प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को एक नए बिंदु पर ले जा सकता है। वह नया बिंदु संतुष्टि, सुख, खुशी, स्वास्थ्य, समृद्धि सबकुछ प्रदान करता है। यह पुस्तक आचार्य चाणक्य के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने को उनके अनुरूप ढालकर सफलता के शिखर छूने का एक प्रबल माध्यम है।.


प्रोडक्ट विवरण :

लेखक के बारे में


रेनू सैनी जन्म: 1 अप्रैल। शिक्षा: एम.फिल. (हिंदी)। प्रकाशन: ‘दिशा देती कथाएँ’, ‘बचपन का सफर’, ‘बचपन मुसकाया जब इन्हें सुनाया’, ‘महात्मा गांधी की प्रेरक गाथाएँ’, ‘कलाम को सलाम’, ‘संत कथाएँ मार्ग दिखाएँ’, ‘सक्सेस गीता: सफल जीवन के 125 मंत्र’, ‘डायमंड लाइफ’, ‘जीवन धारा’, ‘मोदी सक्सेस गाथा’, ‘दीनदयाल उपाध्याय की प्रेरककहानियाँ’, ‘मिशन Impossible’, ‘दिल्ली चलो’, ‘लौहपुरुष सरदार पटेल के प्रेरकप्रसंग’ एवं ‘शास्त्रीजी के प्रेरकप्रसंग ’। सम्मान: दिल्ली सरकार की हिंदी अकादमी द्वारा चार बार नवोदित लेखन एवं आठ बार आशुलेखन में पुरस्कृत; ‘बचपन का सफर’ पुस्तक को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा बाल साहित्य वर्ग के अंतर्गत ‘भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पाँचवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक ‘वितान’ के अंतर्गत कहानी ‘अद्भुत प्रतिभा’ एवं पाठ्यपुस्तक ‘बातों की फुलवारी’ के अंतर्गत ‘आखरदीप’ कहानी का प्रकाशन। राष्ट्रीय स्तर की अनेक पत्र-पत्रिकाओं एवं आकाशवाणी से रचनाओं का प्रकाशन व प्रसारण। अनेक साहित्यिक कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक संचालन। संप्रति: सरकारी सेवा में कार्यरत।