दूसरे विश्व युद्ध के दोरान जब  अमेरिकी ने जापान  के हिरोशिमा और नागाशाकी शहर पर परमाणु बम गिराए तो उस वक्त करीब 80 हजार लोग पलभर में राख हो गए | ये खोफनाक मंजर सबने देखा था की कैसे  परमाणु बम  एक पल में ही सब खत्म कर सकता है?  विश्व में सबसे पहले परमाणु बम बनाने वाले देशों में अमेरिका और रूस शामिल है | इन सबको देखते हुए पुरे विश्व में परमाणु बम बनाने की होड़ मच गई | ऐसे में भारत भी अपने देश की रक्षा निति को मजबूत बनाकर न्यूक्लियर हथियारों वाले देशों की लिस्ट में शामिल होना चाहता था | इस्सकी शुरुवात हुई आज ही के दिन यानि 11 मई 1998 को जब भारत ने राजस्थान के पोखरण में तीन परमाणु परीक्षण करने का ऐलान किया और इसमें सफल भी हुआ |


1998 जैसलमेर में एक विशाल गड़गड़ाहट की आवाज हुई और जब ये विस्फोट हुआ  तो  पूरा शहर चौंक गया। इस धमाके की वजह से मशरूम के आकार का एक बड़ा सा ग्रे रंग का बादल बन गया और विस्फोट की जगह पर एक बहुत बड़ा गड्ढा भी हो गया. इसके बाद परीक्षणों का नेतृत्व कर रहे डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अलट बिहारी वाजपेयी को फोन किया और कहा कि ''बुद्धा स्माइलिंग अगेन''. उस वक्त वाजपेयी के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार डॉ एपीजे अब्दुल कलाम थे. देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अलट बिहारी वाजपेयी ने 11 मई को नेशनल टेक्नोलॉजी डे के रूप में घोषित किया | नेशनल टेक्नोलॉजी डे राजस्थान के पोखरण के परमाणु परीक्षणों की वर्षगांठ का प्रतीक है |


पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की अगुआई में यह मिशन कुछ इस तरह से अंजाम दिया गया कि अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगी। दरअसल, अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA भारत पर नजर रखे हुए थी और उसने पोखरण पर निगरानी रखने के लिए 4 सैटेलाइट लगाए थे।


अमेरिका को इस प्रोजेक्ट के बारे में कोई भनक न हो इसलिए प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिक आपस में कोड लैंग्वेज में बात करते थे  । सब वैज्ञानिकों ने एक-दूसरे के लिए कोड नेम भी रखे। यह इतने प्रचलित हो गए कि कई वैज्ञानिक तो एक-दूसरे के वास्तविक नाम तक भूल गए । पोखरण में किसी को कोई शक न हो इसलिए सेना की वर्दी में वैज्ञानिकों की ड्यूटी लगाई गई  ताकि विदेशी खुफिया एजेंसियों को लगे कि सेना के जवान ही ड्यूटी पर हैं। मिसाइलमैन अब्दुल कलाम भी खुद सेना की वर्दी में थे। डॉ. कलाम की वर्दी पर कर्नल पृथ्वीराज का नाम लिखा हुआ था | वे कभी ग्रुप में टेस्ट साइट पर नहीं जाते हमेशा अकेले जाते ताकि कोई शक न कर सके |


ऑपरेशन के दौरान दिल्ली के ऑफिस की बातचीत  भी कोड वर्ड्स में होती। परमाणु बम के दस्ते को ताजमहल कहा गया और ऐसे ही व्हाइट हाउस और कुंभकरण भी प्रोजेक्ट में शामिल कुछ कोड वर्ड्स थे।


10 मई की रात को योजना को अंतिम रूप देते हुए ऑपरेशन को 'ऑपरेशन शक्ति' नाम दिया गया।11 मई को तड़के करीब 3 बजे परमाणु बमों को सेना के 4 ट्रकों के जरिए ट्रांसफर किया गया। इससे पहले इसे मुंबई से भारतीय वायु सेना के प्लेन से जैसलमेर बेस लाया गया।


वैज्ञानिकों ने इस मिशन को पूरा करने के लिए पोखरण को इसलिए चुना क्योंकि यहां से मानव बस्ती बहुत दूरी पर थी . पोखरण जैसलमेर से 110 किलोमीटर दूर जैसलमेर-जोधपुर मार्ग पर स्थित एक कस्बा है. रेगिस्तान के बालू में बड़े बड़े कुए खोद कर परमाणु बम रखे गए थे..धमाके से आसमान में धुएं का गुबार उठा और बड़ा गड्ढा बन गया था। कुछ दूरी पर खड़े  20 वैज्ञानिकों का समूह पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए था।


पोखरण रेंज में 5 परमाणु बम के परीक्षणों से भारत पहला ऐसा परमाणु शक्ति संपन्न देश बन गया, जिसने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। इस वजह से कई देशों ने भारत के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध तक लगा दिए थे।


1951 में  राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने नवनिर्मित सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन किया । 

1965 में बांग्लादेश में आए चक्रवाती तूफान में 17 हजार लोगों की मौत हो गई । 

1988 में  फ्रांस ने परमाणु परीक्षण किया था। 

2000 में पापुलेशन वॉच के मुताबिक भारत की जनसंख्या एक अरब पार पहुंची थी। 

2008 में न्यूयॉर्क के कॉर्नेल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने देश का पहला जेनेटिकली मोडिफाइड मानव भ्रूण तैयार किया था।