उनके दाएं हाथ पर दो टैटू हैं, बांह पर एक 'पाई' का निशान और कलाई पर एक इक्वेशन एक विषय से किसी टीचर को कितनी मोहब्बत हो सकती है, उसे पढ़ाने के पीछे कितनी शिद्दत हो सकती है| ये टैटू शायद इसी इंतिहां की बानगी हैं | Physics Wallah के को-फाउंडर अलख पांडेय की आंखों में जितना आत्मविश्वास है | उतना ही उनकी आवाज़ में नुमाया होता है | अलख ने महज 22 साल की उम्र में इंजीनियरिंग कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी  इसके बाद उन्होंने 75 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज की नौकरी का ऑफर भी छोड़ दिया फिर अलख ने शुरू किया अपना काम और आज अलख पांडे की कंपनी PhysicsWallah देश की 101 वीं यूनिकॉर्न बनी है | यानी कंपनी का वैल्यूएशन अरब डॉलर है  लेकिन इस कमयाबी को पाने के लिए अलख पांडेय को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा  पर सफलता के लिए अलख पांडेय की जिद्दी ही ऐसी थी की आखिर मुसीबतों को हार माननी पड़ी आईये जानते है अलख पांडेय की सफलता की कहानी |

अलख पांडेय मूल रूप से प्रयागराज के रहने वाले हैं | उनके परिवार में उनके माता पिता और एक बहन हैं | पहले उनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी और एक समय ऐसा भी आया जब उनके माता पिता को अपने दोनों बच्चों यानी अलख और बेटी अदिति को पढ़ाने के लिए अपना घर तक बेचना पड़ गया था बावजूद ऐसी परिस्थितियों के अलख शुरू से ही पढ़ने में बहुत ही अच्छे थे |

उनकी शुरुआती स्कूली पढ़ाई प्रयागराज से ही विशप जॉनसन स्कूल से हुई आपको बता दे अलख को हाईस्कूल में 91%(इक्यानबे) और 12वीं में 93.5%(तिरानबे) अंक मिले थे | जब अलख तीसरी क्लास में थे तब उनका आधा घर बिक गया उस उम्र में उन्हें आभास हुआ कि परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है | पिताजी सरकारी ठेकेदार थे इसलिए काम कभी आता कभी नहीं आता तीसरी से छठी क्लास में आते-आते पूरा घर बिक गया | लेकिन अलख नाम के बालक को ये सुकून था कि घर बिकेगा तो नई साइकिल मिलेगी पिताजी ने वादा जो किया था | मगर नई साइकिल पर चढ़कर तकदीर नहीं बदलने वाली थी ये अलख को तब पता पड़ा जब किराए का नया घर शहर के ऐसे इलाके में लिया गया जो, अलख के शब्दों में कहें तो 'स्लम' यानी झुग्गी था |

धीरे धीरे घर की आर्थिक स्थिति को समझते हुए उन्होंने स्कूल के समय से ही अपने से छोटे बच्चों को पढ़ाना शुरु कर दिया था | कुछ समय बाद अलख पांडेय ने एक कोचिंग में 3 हजार रुपये महीने में पढ़ाना शुरू कर दिया था | उन्हें टीचिंग में पहले ही रूचि थी और फिर बच्चों को पढ़ाते पढ़ाते टीचिंग से और लगाव हो गया  यही वजह थी की उन्होंने टीचिंग को ही आगे चलकर अपना करियर बना लिया | हालंकि इसे उन्होंने अपनी आय का जरिया बनाने के बावजूद इसे सभी विद्यार्थियों की पहुँच में रखा | जिससे कम फीस में अधिक से अधिक छात्रों को लाभ मिल सके |

अपने बारे में बताते हुए अलख पांडेय ने बताते हैं | की उन्हें एक्टिंग के क्षेत्र में काफी इंट्रेस्ट था लेकिन समय के साथ साथ जब उन्हें घर की आर्थिक स्थिति की समझ हुई तो उन्होंने कक्षा 8वीं में पढ़ते हुए ही बच्चों को ट्यूशन देना शुरू किया  उस वक्त वो जरुरत थी लेकिन आज ये उनका शौक और उनका पैशन है | उनका कहना है की आज उन्हें टीचिंग में ही मज़ा आता है |

ट्यूशन का ये सिलसिला कॉलेज तक चलता रहा | जैसे-जैसे बड़े होते गए | अपने से छोटी क्लास के स्टूडेंट्स को ट्यूशन पढ़ाते रहे | तकदीर की साइकिल अंततः स्पीड पकड़ने वाली थी | कॉलेज ख़त्म करने के बाद लगभग चार साल तक अलख ने ऑफलाइन कोचिंग में पढ़ाया ये वो दौर था जब पढ़ाने के साथ 'ऑफलाइन' या 'ऑनलाइन' जैसे उपसर्ग नहीं जोड़ने पड़ते थे |

अपने सफ़र के बारे में अलख ने बतया की "मेरे पार्टनर एक दिन आए और बड़े गर्व से बोले, अलख ये तुम क्या पढ़ा रहे हो! बच्चे पागल हो रहे हैं. भीड़ लग रही है. देखना अगले दस साल में तुम 7000 बच्चों का बैच पढ़ाओगे  उनके लिए ये गर्व की बात थी मगर मैं मायूस हो गया. सोचा सिर्फ 7000! और तब मेरे यूट्यूब चैनल का जन्म हुआ."  

 साल 2016 में Physics Wallah ने ऑनलाइन पढ़ाना शुरू किया | ये वो दौर था जब सोशल मीडिया पर अगले 2-3 साल बाद आने वाली वीडियो कॉन्टेंट की बाढ़ की आहट सुनाई पड़ने लगी थी | ऑनलाइन मौजूदगी की शुरुआत के लिए ये सबसे अच्छा दौर था | और अलख के पास तो सक्सेस का फ़ॉर्मूला भी था, जो था औसत परफॉरमेंस वाले स्टूडेंट्स पर ज्यादा मेहनत कर उन्हें स्टार परफ़ॉर्मर बनाना | 

इस बारे में अलख बताते हैं: "छोटे शहरों में तो अच्छे टीचर मिलना यूं ही मुश्किल है | बड़े शहरों में जो कुछ अच्छे टीचर हैं वो अपने लेवल पर पढ़ा रहे हैं, बच्चे के लेवल तक नहीं पहुंच पाते | क्लास में भौकाल मारने के पहले टीचर को ये याद करना चाहिए कि वो खुद 10वीं क्लास में कैसा था, उसे खुद कितना आता था" | उस दौर में यूट्यूब पर कोई भी टीचर पूरे लेक्चर अपलोड नहीं करते थे | वे 5 मिनट का हिस्सा अपलोड करते और फुल कॉन्टेंट एक्सेस के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर बुलाते थे | ऐसे में अलख ने फुल लेक्चर अपलोड करने शुरू किए यूट्यूब पर व्यूज लाने में अलख को लगभग एक साल का वक़्त लगा चैनल के व्यूज बढ़ने के साथ ज़िम्मेदारी भी बढ़ती गई  एक टीचर के तौर पर कुछ गलत पढ़ा देना स्टूडेंट्स की दुनिया में आपराधिक काम होता है |

अलख ने देश की सबसे बड़ी कोचिंग मंडी यानी कोटा जाने का फैसला लिया वहां से वे देश के बेस्ट टीचर्स का बनाया हुआ स्टडी मटीरियल लेकर लौटे इसकी मदद से अपना नया कोर्स मटीरियल बनाया | 5 साल बाद फिजिक्सवाला ने कोटा में अपना खुद का इंस्टिट्यूट खोल लिया है और एक महीने के अंदर उसमें 10 हज़ार स्टूडेंट्स एनरोल कर चुके हैं |

फिजिक्सवाला का कोर्स 4,000 रुपये का है | जिसमें आर्थिक रूप से कमज़ोर बच्चे भी एनरोल कर सकते थे | उनका पहला पेड बैच 'लक्ष्य' था, जिसमें 63(तिरेसठ) हज़ार स्टूडेंट्स ने एनरोल किया | अलख के मुताबिक, ये उनके स्टूडेंट्स का प्यार था, जो उनके लिए शुरुआत से बिज़नेस लेकर आया | साल 2020 में कोरोना के समय लगे लॉक डाउन में नीट और जेईई जैसे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को इसका बहुत लाभ हुआ | साथ ही यूट्यूब चैनल भी काफी प्रसिद्द हुआ | इसी साल अलख पांडेय ने प्रतीक माहेश्वरी के साथ मिलकर फिजिक्सवाला प्राइवेट लिमिटेड के रूप में बतौर कंपनी रजिस्टर कर लिया इस बारे में उन्होंने बताया की उनकी इस कंपनी की सफलता के पीछे उनके छात्रों का हाथ है |

ऐसा इसलिए क्यूंकि अभी तक जो भी स्टूडेंट्स उनको सलाह देते रहे हैं उन्हें पूरा करने की कोशिश भी जारी रही है | और ऐसा करने से उनका चैनल दिन प्रतिदिन और बेहतर होता रहा | वो आज भी छात्रों की जरूरतों के अनुसार अपने पढ़ाने के तरीके और अन्य बातों में बदलाव करते रहे हैं | कुछ समय बाद विद्यार्थियों की मांग पर और उनकी जरुरत को समझते हुए अलख पांडेय ने इसकी एप्प भी लांच की चैनल की पॉपुलैरिटी इतनी थी की कम से कम 50 लाख से भी ऊपर लोगों ने एप्लीकेशन डाउनलोड की  इस पॉपुलैरिटी का ही नतीजा था की कोचिंग वर्ल्ड में प्रचलित कंपनियों में से एक ने बढ़ते कम्पटीशन के चलते अलख पांडेय को 75 करोड़ सालाना का पैकेज ऑफर किया | जिसे उन्होंने मना कर दिया |

जहाँ एक और कई संस्थान लाखों रूपए के पैकेज में प्रतियोगी परीक्षा तैयारी करवा रही थी | वहीँ फिजिक्सवाला सिर्फ 999 रूपए के पैकेज में विद्यार्थियों की तैयारी पूरी करवा रहे थे | इसी वजह से उन्हें ये ऑफर दिया गया था | जिसे उन्होंने ठुकरा दिया | उनका कहना था कि उनका उद्देश्य देश के उन वंचित समुदाय के विद्यार्थियों तक इस सुविधा को पहुँचाना है जिन्हे आर्थिक तंगी के चलते तैयारी करने का अवसर नहीं मिलता | आज Alakh Pandey की कंपनी उन लाभदायक स्टार्टअप कंपनियों में से है, जिसमें वर्तमान में 6 मिलियन से अधिक छात्रों, 1500 से अधिक टीचर्स और 350 करोड़ रुपए की आय वाली एजुकेशन स्टार्टअप में शामिल है |